12% GST हटेगा! सरकार की नई योजना से सस्ते होंगे जूते, मिठाई और कपड़े

GST Slab Change News : केंद्र सरकार जल्द ही गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) में बड़े बदलाव की तैयारी में है, जिससे मिडिल और लोअर इनकम वाले परिवारों को बड़ी राहत मिल सकती है। सूत्रों की मानें तो सरकार 12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब को खत्म करने या इसे 5 प्रतिशत के दायरे में लाने पर विचार कर रही है।
इसका सीधा असर रोजमर्रा की जरूरतों जैसे जूते-चप्पल, मिठाई, कुछ कपड़े और डेयरी प्रोडक्ट्स पर पड़ेगा, जो सस्ते हो सकते हैं। जीएसटी परिषद की अगली बैठक, जो इस महीने होने की संभावना है, में इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला हो सकता है। इस बदलाव से न सिर्फ आम लोग बल्कि कारोबारी भी राहत की सांस लेंगे, क्योंकि टैक्स सिस्टम आसान और पारदर्शी होगा।
जीएसटी सिस्टम में क्यों जरूरी है बदलाव?
जुलाई 2017 में लागू हुआ जीएसटी एक ऐसा टैक्स सिस्टम था, जिसने कई अलग-अलग टैक्सों को एक छतरी के नीचे लाने का काम किया। लेकिन आठ साल बाद अब सरकार इसे और सरल करने की दिशा में कदम उठा रही है। मौजूदा 12 प्रतिशत स्लैब में आने वाले ज्यादातर सामान, जो आम घरों में रोज इस्तेमाल होते हैं, अब 5 प्रतिशत के दायरे में आ सकते हैं।
इससे न सिर्फ कीमतें कम होंगी, बल्कि टैक्स की गणना और क्लासिफिकेशन भी आसान हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, जीएसटी परिषद की बैठक में इस बदलाव को अमलीजामा पहनाने के लिए सभी राज्यों की सहमति जरूरी होगी, जिसके लिए 15 दिन पहले नोटिस जारी किया जाता है।
कुछ चीजों पर बढ़ सकता है टैक्स का बोझ
हर बदलाव के दो पहलू होते हैं। जहां रोजमर्रा की चीजें सस्ती होने की उम्मीद है, वहीं कुछ महंगे सामान जैसे कारें, तंबाकू, पान मसाला और कोल्ड ड्रिंक्स पर लगने वाला एक्स्ट्रा टैक्स (सेस) अब जीएसटी रेट में ही शामिल हो सकता है। इसका मतलब है कि इन चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। सरकार का मकसद टैक्स सिस्टम को और पारदर्शी बनाना है, ताकि कारोबारियों को जटिल गणनाओं से छुटकारा मिले और राज्यों को टैक्स का हिस्सा ज्यादा मिल सके।
आम लोगों और कारोबारियों को क्या होगा फायदा?
इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा आम लोगों को होगा, क्योंकि उनकी रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें सस्ती हो सकती हैं। साथ ही, कारोबारियों के लिए टैक्स सिस्टम की जटिलताएं कम होंगी, जिससे व्यापार करना आसान होगा। सरकार को भी उम्मीद है कि टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि सिस्टम में पारदर्शिता और सरलता आएगी।
अगर सभी राज्य इस प्रस्ताव पर सहमत हो जाते हैं, तो आने वाले कुछ महीनों में देशभर में कई जरूरी सामान सस्ते हो सकते हैं। यह कदम न सिर्फ मिडिल और लोअर इनकम वर्ग के लिए राहत भरा होगा, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी नई गति दे सकता है।