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50:30:20 का फॉर्मूला अपनाकर घर खरीदने के बाद नहीं आएंगे पैसों के संकट, वित्तीय स्थिति रहेगी मजबूत

घर खरीदने में मोटी रकम की जरूरत होती है जिसके चलते अधिकतर लोग होम लोन (Home Loan) का सहारा लेते हैं। बता दें कि होम लोन लंबी अवधि का कर्ज होता है और इसकी ईएमआई (Home Loan EMI) भी ठीक-ठाक होती है। 
50:30:20 का फॉर्मूला अपनाकर घर खरीदने के बाद नहीं आएंगे पैसों के संकट, वित्तीय स्थिति रहेगी मजबूत
50:30:20 का फॉर्मूला अपनाकर घर खरीदने के बाद नहीं आएंगे पैसों के संकट, वित्तीय स्थिति रहेगी मजबूत

हर किसी का सपना होता है अपना घर खरीदना, क्योंकि यह भावनात्मक और मानसिक सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन मौजूदा समय में घर की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिसके चलते घर खरीदना कठिन होता जा रहा है। 

यह एक बड़ा वित्तीय निर्णय है और इसे सोच-समझकर लेना आवश्यक है। कई लोग समय से पहले घर खरीदने पर पछताते हैं, जबकि कुछ तकनीकी कारणों (technical reasons) से देरी करने पर अफसोस करते हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप पर्सनल फाइनेंस (personal finance) के आधारभूत नियमों को समझें और अपनाएं। सही योजना और जानकारी के साथ, आप अपने सपनों का घर खरीद सकते हैं बिना पछतावे के। घर खरीदने की प्रक्रिया में समझदारी भरा निर्णय बहुत आवश्यक है।

ताकि न देनी पड़े कई सपनों की बली

घर खरीदने में मोटी रकम की जरूरत होती है जिसके चलते अधिकतर लोग होम लोन (Home Loan) का सहारा लेते हैं। बता दें कि होम लोन लंबी अवधि का कर्ज होता है और इसकी ईएमआई (Home Loan EMI) भी ठीक-ठाक होती है।

अगर आप कई सालों तक अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा कर्ज की किस्तों में देने के लिए तैयार हैं, तब तो ये आपके लिए ठीक है, लेकिन अगर आपकी तैयारी गड़बड़ हुई तो यह फैसला आप पर भारी पड़ सकता है। इस कारण संभव है कि आपका यह एक सपना आपके परिवार के कई सपनों की बलि ले ले। ऐसे में आइए जानते हैं कि यह अहम फैसला लेने से पहले अपनी जेब को कैसे चेक करें।

क्या कहता है 50:30:20 नियम 

50:30:20 का नियम पर्सनल फाइनेंस (personal finance) का एक महत्वपूर्ण थंब रूल है। इस नियम के तहत, अपनी इन हैंड सैलरी (In Hand salary) का 50 प्रतिशत जरूरतों पर खर्च करें, जैसे यूटिलिटी बिल, रेंट (rent), ईएमआई (EMI) और ग्रॉसरी की खरीदारी। इसके बाद, 20 प्रतिशत हिस्सा निवेश के लिए आरक्षित करें।

अंत में, बचे हुए 30 प्रतिशत को गैरजरूरी खर्चों के लिए उपयोग करें। महत्वपूर्ण है कि जब भी कोई लोन (Loan) लें, तो ध्यान रखें कि कुल ईएमआई आपकी सैलरी के 30 प्रतिशत से अधिक न हो। यदि ऐसा हुआ, तो आप कर्ज के जाल में फंस सकते हैं। इस नियम का पालन करके, आप वित्तीय स्थिरता बनाए रख सकते हैं और भविष्य के लिए बेहतर योजना बना सकते हैं।

ऐसे समझें सारा कैलकुलेशन 

 उदाहरण के तौर पर मान लेते हैं कि अगर आपकी कमाई हर महीने 01 लाख रुपये है। इसमें से 50 हजार रुपये आपको जरूरी खर्चों के लिए रखने होंगे। इसी 50 हजार रुपये से आपको घर की EMI का भी भुगतान करना होगा। आपकी सैलरी 01 लाख रुपये है, तो 50:30:20 नियम के हिसाब से आपकी कुल ईएमआई 30 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

20 हजार रुपये कहीं इन्वेस्ट करेंगे, जबकि बाकी के बचे 30 हजार रुपये को अन्य खर्चों के लिए रखा जाएगा। अब अगर आप 30 हजार रुपये के आसपास की EMI भर सकते हैं, तो आपका होम लोन (Home loan) 20 साल के लिए 35 लाख रुपये, 25 साल के लिए 38 लाख रुपये और 30 साल के लिए 40 लाख रुपये से ज्यादा का नहीं होना चाहिए।

इसे नीचे दिए गए चार्ट से समझें 

  • होम लोन (रुपये) - ब्याज दर (%) - अवधि (वर्ष) - ईएमआई (प्रति माह)
  • 35 लाख 8.65 20 30,707
  • 38 लाख 8.65 25 30,984
  • 40 लाख 8.65 30 31,183

इन खर्चों का भी कर लें प्रबंध

घर खरीदने के लिए लोग आमतौर पर होम लोन (Home loan benefits) लेते हैं, जो बैंक घर की कीमत का 80 से 90 प्रतिशत तक प्रदान करते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि घर की कीमत (House price) 50 लाख रुपये है, तो आपको 10 लाख रुपये का डाउन पेमेंट (down payment) खुद करना होगा। आमदनी के अनुसार, एक लाख रुपये के लिए आप 40 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं।

अधिक लोन लेने पर EMI बढ़ जाती है, जिससे अन्य खर्च कम करने की जरूरत पड़ सकती है। अधिक डाउन पेमेंट करने पर आपकी ईएमआई कम होगी, जो वित्तीय बोझ को हल्का कर सकती है। इसके अलावा, घर खरीदने में स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज (regiestration duty) जैसे अतिरिक्त खर्च शामिल होते हैं। इन खर्चों के लिए पर्सनल लोन (personal loan) लेना ठीक नहीं है, क्योंकि इससे आपकी वित्तीय स्थिति पर दोहरी ईएमआई का भार पड़ सकता है। इसलिए, योजना बनाकर लोन लेना महत्वपूर्ण है।

इन बातों की बांध लें गांठ

कोई भी कर्ज लेने से पहले ईएमआई की कैलकुलेशन (EMI Calculation) का ध्यान रखें। ज्यादा ईएमआई का बोझ आपके अन्य जरूरी खर्चों पर असर डाल सकता है, जिससे मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है और फिर कर्ज के जाल में फंस सकते हैं।

कर्ज लेते समय यह ध्यान रखें

  • अपनी आय और व्यय की जांच करें।
  • ईएमआई का भुगतान करने की क्षमता का आकलन करें।
  • अन्य विकल्पों पर विचार करें, जैसे कि कर्ज को छोटे टुकड़ों में लेना।
  • सबसे जरूरी बात: ईएमआई की कैलकुलेशन के बाद ही कर्ज लें, नहीं तो आप कर्ज के जाल में फंस सकते हैं।

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