गरीबी के खिलाफ भारत की ऐतिहासिक जीत! पाकिस्तान में अभी भी भुखमरी का संकट

विश्व बैंक की Spring 2025 Poverty And Equity Brief के अनुसार, भारत ने गरीबी उन्मूलन में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है, जहां अत्यंत गरीबी 16.2% से घटकर 2.3% हो गई, और 17.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे। 
गरीबी के खिलाफ भारत की ऐतिहासिक जीत! पाकिस्तान में अभी भी भुखमरी का संकट

विश्व बैंक की हालिया Spring 2025 Poverty And Equity Brief रिपोर्ट ने भारत और पाकिस्तान के बीच गरीबी की स्थिति पर गहरी रोशनी डाली है। जहां भारत ने पिछले एक दशक में गरीबी को रिकॉर्ड स्तर तक कम करने में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है, वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान में गरीबी की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

भारत की यह उपलब्धि समावेशी नीतियों, आर्थिक सुधारों और सामाजिक कल्याण योजनाओं का परिणाम है, जबकि पाकिस्तान आर्थिक अस्थिरता और नीतिगत कमियों से जूझ रहा है। आइए, इस तुलना को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि भारत कैसे गरीबी उन्मूलन में विश्व के लिए एक मिसाल बन रहा है।

भारत का शानदार प्रदर्शन 

भारत ने गरीबी उन्मूलन में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वे वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बनी हैं। World Bank की रिपोर्ट के अनुसार, 2011-12 से 2022-23 के बीच भारत ने अत्यंत गरीबी (प्रति दिन 2.15 डॉलर से कम आय) को 16.2% से घटाकर मात्र 2.3% कर दिया।

इस दौरान लगभग 17.1 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी रेखा से ऊपर उठे। ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 18.4% से 2.8% और शहरी क्षेत्रों में 10.7% से 1.1% तक कम हुई। इसके अलावा, निम्न-मध्यम आय गरीबी रेखा (प्रति दिन 3.65 डॉलर) के तहत गरीबी भी 61.8% से घटकर 28.1% हो गई, जिससे 37.8 करोड़ लोग इस स्तर से बाहर निकले।

भारत का Gini Index, जो आय असमानता को मापता है, 2011-12 में 28.8 से सुधरकर 2022-23 में 25.5 हो गया। यह समावेशी विकास का स्पष्ट संकेत है। NITI Aayog की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 से 2019-21 तक 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले।

भारत सरकार की योजनाएं जैसे Pradhan Mantri Ujjwala Yojana (सब्सिडी वाली रसोई गैस), Swachh Bharat Mission (स्वच्छता), और Ayushman Bharat (स्वास्थ्य) ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रोजगार के अवसरों में वृद्धि, खासकर महिलाओं के बीच, और ग्रामीण-शहरी अंतर को कम करने वाली नीतियों ने भारत को इस मुकाम तक पहुंचाया।

पाकिस्तान की चुनौतियां 

विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में गरीबी की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। 2023-24 में, लगभग 44.7% आबादी (10.7 करोड़ लोग) निम्न-मध्यम आय गरीबी रेखा (प्रति दिन 3.65 डॉलर) से नीचे थी, और 16.5% लोग अत्यंत गरीबी (प्रति दिन 2.15 डॉलर से कम) में जी रहे थे।

केवल एक साल में 1.9 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए। World Bank ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान का मौजूदा आर्थिक मॉडल गरीबी कम करने में नाकाम रहा है। उच्च मुद्रास्फीति, बिजली की बढ़ती कीमतें, और Climate Change के प्रभाव जैसे 2022 की बाढ़ और 40% कम बारिश ने फसल उत्पादन को प्रभावित किया, जिससे गरीबी और बढ़ी।

पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति वास्तविक विकास दर 2000 से 2020 तक मात्र 1.7% रही, जो दक्षिण एशिया के औसत 4% से काफी कम है। राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार, और सैन्य खर्चों का सामाजिक क्षेत्रों पर हावी होना इस स्थिति को और गंभीर बनाता है। World Bank के अर्थशास्त्री Tobias Haque ने कहा कि पाकिस्तान को बड़े नीतिगत बदलावों की जरूरत है, जैसे कृषि और रियल एस्टेट पर कर बढ़ाना, व्यय में कटौती, और ऊर्जा सब्सिडी कम करना।

भारत बनाम पाकिस्तान 

भारत और पाकिस्तान की तुलना करें तो अंतर स्पष्ट है। 2022-23 में भारत में अत्यंत गरीबी की दर 5.3% थी, जबकि पाकिस्तान में यह 16.5% थी। भारत ने 17.1 करोड़ लोगों को अत्यंत गरीबी से बाहर निकाला, जबकि पाकिस्तान में 1.9 करोड़ लोग और गरीबी में फंस गए।

भारत की अर्थव्यवस्था (4.19 Trillion Dollar) और साक्षरता दर (80.6%) पाकिस्तान (373 Billion Dollar, 62.8%) से कहीं बेहतर है। भारत की नीतियां समावेशी विकास और रोजगार सृजन पर केंद्रित हैं, जबकि पाकिस्तान की नीतियां आर्थिक स्थिरता और मानव विकास में पीछे रह गई हैं।

भारत की सफलता का राज

भारत की सफलता का आधार उसकी समावेशी नीतियां और आर्थिक सुधार हैं। Pradhan Mantri Awas Yojana, Digital India, और Make In India जैसी योजनाओं ने रोजगार और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ी है।

Narendra Modi सरकार की नीतियों ने गरीबी उन्मूलन को गति दी, जिसका परिणाम World Bank और NITI Aayog की रिपोर्ट्स में साफ दिखता है। इसके विपरीत, पाकिस्तान में नीतिगत सुधारों की कमी और आर्थिक अस्थिरता ने गरीबी को बढ़ाया।

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