FD में पैसे लगाना हो सकता है खतरनाक, जानें इन 5 बातों को और लें सही फैसला

एफडी में निवेश करना एक सिक्योर्ड डिपोजिट माना जाता है। बेशक एफडी में निवेश करके आप अपना और अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित मानते हों, लेकिन इसमें कई तरह के जोखिम भी हैं, जो निवेश के बजाय आर्थिक रूप से नुकसान (FD ke nuksan) भी पहुंचा सकते हैं। एफडी में निवेश के मार्केट में कई विकल्प मौजूद हैं, पर कहीं भी एफडी में निवेश करने से पहले ये 5 बातें जरूर जान लें नहीं तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
1. फिक्स्ड डिपॉजिट पर रिटर्न हो सकता है कम
जब ब्याज दरों में कमी होती है, तो फिक्स्ड डिपॉजिट्स (FD) पर रिटर्न कम हो सकता है। बैंक आमतौर पर अपनी एफडी रेट्स घटा देते हैं, जिससे निवेशकों को कम ब्याज मिलता है। फिर भी, कुछ बैंक अच्छे रिटर्न ऑफर कर रहे हैं, इसलिए अगर सही बैंक में निवेश किया जाए, तो एफडी (FD investment tips) में पैसा लगाना भी फायदेमंद हो सकता है।
2. एफडी पर इंश्योरेंस कवर
जब निवेशक इन बैंकों में एफडी करते हैं, तो उन्हें इंश्योरेंस (insurance in FD) कवर भी मिलता है, जो डिपॉजिट की सुरक्षा करता है। वित्तीय विशेषज्ञों की सलाह है कि निवेशक अपनी कमाई को विभिन्न बैंकों में बांटकर निवेश करें, ताकि उन्हें इंश्योरेंस कवरेज का फायदा अधिक से अधिक मिल सके और जोखिम कम हो। फिलहाल स्मॉल फाइनेंस बैंक एफडी पर ज्यादा ब्याज (interest rates on FD) ऑफर कर रहे हैं, जो सरकारी और प्राइवेट बैंकों की तुलना में 1 से 1.5 प्रतिशत ज्यादा है। उदाहरण के तौर पर, सूर्योदय बैंक और यूनिटी बैंक 5 साल या उससे ज्यादा की अवधि वाली एफडी पर 8.25 प्रतिशत तक ब्याज दे रहे हैं, जो एक आकर्षक दर मानी जा रही है।
3. देनी होगी लिक्विडिटी और अवधि की जानकारी
बैंक एफडी स्कीम्स (FD schemes kon si hain) में निवेश करते वक्त, निवेशक को उनकी लिक्विडिटी और अवधि के बारे में ध्यान रखना चाहिए। कई बैंक आपको मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने की सुविधा देते हैं, लेकिन कुछ बैंक इससे जुड़ी पेनाल्टी भी लगाते हैं। अगर आप इमरजेंसी में अपनी एफडी तोड़ते हैं, तो बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (Non-Banking Financial Companies) आपको इस पर कुछ 1 प्रतिशत फीस के रूप में चार्ज कर सकते हैं, जो आपकी ब्याज दर से कम होती है। यह फीस आपके द्वारा निवेश किए गए समय के आधार पर कम होती है।
4. सोच कर लें एफडी में निवेश का निर्णय
जब आप एफडी में निवेश करने का निर्णय लें, तो सिर्फ ब्याज दर को ही न देखें। यह समझें कि मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने पर आपको जुर्माना लग सकता है, जिससे आपका हासिल किया गया ब्याज कम हो सकता है। इसके ब्याज के हिसाब से इंटरेस्ट कैलकुलेट (FD interest rate calculation) किया जाता है। इसके लिए बैंक की शर्तों और आपकी निवेश अवधि को ध्यान में रखना जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो।
5. टैक्स सेविंग एफडी में टैक्स में छूट
अगर आप टैक्स सेविंग एफडी (tax saving FD) में निवेश करते हैं, तो आपको एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक टैक्स में छूट मिल सकती है। इस प्रकार की एफडी में निवेश करने के बाद, आपको 5 साल तक पैसे नहीं निकाल सकते, यानी इसमें लॉक-इन पीरियड होता है। हालांकि, टैक्स सेविंग एफडी से मिलने वाली ब्याज आय पर टैक्स निवेशक के टैक्स स्लैब (tax slabs) के हिसाब से लगाया जाता है, जैसे अन्य एफडी पर होता है।
बैंकों में कितना मिलता है इंश्योरेंस
बैंकों में एफडी, आरडी (RD terms), सेविंग्स और करेंट एकाउंट्स पर 5 लाख तक का इंश्योरेंस मिलता है, जो किसी भी बैंक के डिफॉल्ट होने की स्थिति में निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करता है। डीआईसीजीसी इंश्योरेंस का उद्देश्य निवेशकों को नुकसान से बचाना है और इसमें निवेश की गई राशि के साथ-साथ उस पर मिलने वाले ब्याज को भी कवर किया जाता है, जिससे बैंक डिफॉल्ट होने पर निवेशकों को नुकसान नहीं उठाना पड़ता।
किस एक्ट के तहत मिलेगा लाभ
इसके अलावा, सीनियर सिटिजन (FD for senior citizen) को इस स्कीम पर IT एक्ट 80TTB सेक्शन के तहत अतिरिक्त लाभ मिलता है। उन्हें एक खास टैक्स लाभ मिलता है, जिसके तहत बैंक और पोस्ट ऑफिस में जमा रकम पर मिलने वाले ब्याज पर 50,000 रुपये तक की टैक्स छूट (tax exemption on FD) मिल सकती है। यह लाभ केवल सीनियर सिटिजन के लिए ही है, जो उन्हें आयकर अधिनियम (income tax act) के तहत मिलता है।
यहां निवेश करके भी उठा सकते हैं लाभ
सुकन्या समृद्धि जैसी योजनाओं में निवेश : टैक्स सेविंग एफडी से मिलने वाला रिटर्न आमतौर पर महंगाई को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता, खासकर उन लोगों के लिए जो उच्च टैक्स स्लैब में आते हैं। ऐसे लोग बेहतर रिटर्न के लिए PPF, NSC, या सुकन्या समृद्धि जैसी योजनाओं (sukanya samriddhi yojna) में निवेश कर सकते हैं। ये योजनाएं न केवल धारा 80C के तहत टैक्स बचाने का मौका देती हैं, बल्कि अच्छा रिटर्न भी प्रदान करती हैं।
कितने साल की होती है लॉक-इन अवधि
अगर आप ज्यादा जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं और उच्च रिटर्न (best return FD)की तलाश में हैं, तो आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) में निवेश कर सकते हैं। इसकी लॉक-इन अवधि सिर्फ 3 साल होती है, जो टैक्स बचाने वाली योजनाओं (tax saving schemes) में सबसे छोटी अवधि है। यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जो थोड़ा जोखिम लेकर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं।
क्रेडिट कार्ड और ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ
कई बैंक अपने ग्राहकों को एफडी पर सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड (Secured Credit Card) और ओवरड्राफ्ट जैसी सुविधाएं प्रदान करते हैं। ओवरड्रॉफ्ट के जरिए एफडी पर लोन लिया जा सकता है, जो विशेष रूप से वित्तीय इमरजेंसी के समय मददगार साबित हो सकता है। इस लोन में आपको सिर्फ उतनी रकम पर ब्याज देना होता है, जितनी आपने इस्तेमाल की हो, और बाकी रकम पर कोई ब्याज नहीं लगता।
कब मिल सकती है एफडी वापस
लोन की विशेषता यह है कि आप अपनी एफडी को तोड़े बिना भी उसका उपयोग कर सकते हैं। जब आप लोन का भुगतान कर देते हैं, तो आपकी एफडी (FD rules and terms) आपको वापस मिल जाती है, और उस पर मिलने वाला ब्याज भी प्रभावित नहीं होता। इस प्रकार, ये एक सुरक्षित और सुविधाजनक तरीका है, जिससे आप बिना एफडी तोड़े अपनी आर्थिक जरूरतें पूरी कर सकते हैं।
कब ले सकते हैं सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड
कुछ लोग जिन्हें क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने में परेशानी होती है, वे एफडी के बदले सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड (how to take Secured Credit Card) ले सकते हैं। यह कार्ड क्रेडिट स्कोर को बेहतर बनाने में मदद करता है, क्योंकि बैंक इसके जरिए किए गए लेन-देन की जानकारी क्रेडिट ब्यूरो को भेजते हैं। इससे आपके क्रेडिट स्कोर (credit score) पर सकारात्मक असर पड़ता है, और अगर आप सही तरीके से इसका इस्तेमाल करते हैं, तो यह आपके स्कोर को धीरे-धीरे सुधार सकता है।
इसके अलावा, सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड लेने पर भी एफडी पर मिलने वाला ब्याज जारी रहता है, जैसे लोन अगेंस्ट एफडी में होता है। इस प्रकार, न केवल आपको क्रेडिट स्कोर (how to improve credit score) बनाने का अवसर मिलता है, बल्कि आपकी एफडी भी सुरक्षित रहती है और उस पर ब्याज मिलता रहता है।
टीडीएस कटने का समय
जब बैंक एफडी पर ब्याज (FD) का भुगतान करता है, तो उसमें से TDS (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) काट लिया जाता है, लेकिन यह टैक्स देनदारी को पूरी तरह से खत्म नहीं करता। TDS का प्रतिशत उस समय के आधार पर होता है, यदि आपके पास पैन कार्ड है तो 10 प्रतिशत कटता है, और यदि नहीं है तो यह 20 प्रतिशत हो सकता है। हालांकि, निवेशकों को अपनी कुल आय और टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होता है, क्योंकि यह टीडीएस (TDS rules) केवल एक आंशिक भुगतान होता है।
कब नहीं कटता टीडीएस
अगर किसी निवेशक की एफडी पर मिलने वाली ब्याज आय एक वित्त वर्ष में 40,000 रुपये से कम है, तो उन पर TDS नहीं कटता। लेकिन फिर भी, निवेशकों को अपनी टैक्स स्थिति को समझते हुए अपनी पूरी टैक्स देनदारी को आयकर रिटर्न (income tax return) दाखिल करते समय सही तरीके से समायोजित करना चाहिए। ऐसा करने से वे एफडी से प्राप्त ब्याज और अन्य निवेश विकल्पों के मुकाबले अधिक समझदारी से फैसला कर सकते हैं।
कैसे करें एफडी का चयन
आने वाले महीनों में एफडी पर मिलने वाला ब्याज दर घट सकता है, लेकिन निवेशकों को अपनी वित्तीय जरूरतों और लक्ष्यों के हिसाब से ही एफडी की अवधि चुननी चाहिए। जब भी लंबी अवधि के लिए एफडी चुनें, तो लिक्विडिटी (liquidity on FD) यानी पैसों की तात्कालिक जरूरतों को भी ध्यान में रखना जरूरी है, ताकि अगर अचानक पैसों की आवश्यकता हो तो कोई परेशानी न हो।
क्रेडिट स्कोर सुधारने के तरीके
अगर निवेशक को बैंक से एफडी के खिलाफ लोन लेने या सिक्योरिटी के तौर पर क्रेडिट कार्ड मिलने का मौका मिलता है, तो यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इस तरीके से निवेशक अपनी एफडी को बिना तोड़े अपने क्रेडिट स्कोर को सुधार (cibil score kaise sudhare) सकते हैं और साथ ही शॉर्ट टर्म वित्तीय लक्ष्य भी पूरे कर सकते हैं। खासकर जब महंगाई बढ़ रही हो, तो ऐसे बैंक से एफडी में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है जो अच्छा ब्याज दर दे रहे हों, भले ही वो स्मॉल फाइनेंस बैंक (Small Finance Bank) क्यों न हो।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने की ब्याज दर में कटौती
इस साल सितंबर में अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने अपनी ब्याज दरों में 0.5 प्रतिशत की कटौती (American Federal Reserve interest rate cut) की है, जिससे ये उम्मीद जताई जा रही थी कि भारतीय रिजर्व बैंक भी अपनी दरों में कमी कर सकता है। जब ब्याज दरें घटती हैं, तो लोन लेने वाले लोगों को फायदा होता है, खासकर उन लोगों को जिनका लोन फ्लोटिंग ब्याज दर (FD floating interest rates) पर है। इसके अलावा, ब्याज दरों में कमी से लोन की किस्तें भी कम हो सकती हैं, जो कि कर्जदारों के लिए फायदेमंद है।