सस्ते हुए आम! अब 1 किलो आम की कीमत जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

भारत में गर्मियों का मौसम आते ही आम की मिठास हर घर में छा जाती है। लेकिन इस साल, आम की कीमतों में भारी गिरावट ने सबको चौंका दिया है। पिछले साल जहां दशहरी आम 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, वहीं अब यह 40-45 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है।
उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में आम की कीमतों में कमी ने किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए नई चुनौतियां और अवसर लाए हैं। आइए, इस बदलाव के पीछे की वजहों को समझते हैं और जानते हैं कि इसका बाजार और आम प्रेमियों पर क्या असर पड़ रहा है।
आम उत्पादन में बंपर उछाल
इस साल भारत में आम का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश, जो भारत के कुल आम उत्पादन का लगभग 20% हिस्सा देता है, में इस बार करीब 35 लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन होने की उम्मीद है। यह पिछले साल के 25 लाख मीट्रिक टन की तुलना में काफी ज्यादा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार आम के पेड़ों में 100% फूल आए, जिसके चलते उत्पादन में भारी वृद्धि हुई। यही कारण है कि बाजार में आम की भरमार है, जिससे कीमतें नीचे आई हैं।
जल्दी फसल कटाई का असर
किसानों ने इस साल मानसून के जल्दी आने की आशंका के चलते फसल को जल्दी काट लिया। उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक, किसानों ने समय से पहले आम तोड़ लिए, ताकि बारिश की वजह से फसल खराब न हो। लेकिन इस जल्दबाजी का नतीजा यह हुआ कि बाजार में एक साथ ढेर सारे आम आ गए।
कोलकाता के एक आम व्यापारी, Prashant Pal, ने बताया, “इस साल उत्पादन इतना अच्छा है कि बाजार में आम की बाढ़ सी आ गई है। अच्छी क्वालिटी के आम अब 45-50 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं, जो पहले 80 रुपये प्रति किलो थे।”
आंध्र प्रदेश में तोतापुरी आम की मुश्किल
आंध्र प्रदेश के तिरुपति और चित्तूर जैसे क्षेत्रों में तोतापुरी आम की कीमतों में भी भारी गिरावट देखी गई है। इसका एक बड़ा कारण है पल्प बनाने वाली कंपनियों का किसानों से आम खरीदना बंद करना। इन कंपनियों ने इस साल कम मांग दिखाई, जिसके चलते किसानों को अपने आम स्थानीय बाजारों में कम दाम पर बेचने पड़े। मानसून की आशंका ने यहां भी किसानों को जल्दी फसल काटने के लिए मजबूर किया, जिससे आपूर्ति बढ़ गई और कीमतें और गिर गईं।
वैश्विक परिदृश्य में भारत का दबदबा
दुनियाभर में आम उत्पादन की बात करें तो 2024 में यह 25 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गया। इसमें से लगभग आधा हिस्सा भारत का रहा। चीन (3.8 मिलियन मीट्रिक टन) और इंडोनेशिया (3.6 मिलियन मीट्रिक टन) भले ही इस सूची में दूसरे और तीसरे स्थान पर हों, लेकिन भारत का दबदबा बरकरार है। खासकर उत्तर प्रदेश, जो दशहरी और लंगड़ा जैसे स्वादिष्ट आमों के लिए मशहूर है, ने इस साल उत्पादन में नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
क्या भविष्य में बढ़ेंगी कीमतें?
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ हफ्तों में आम की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना कम है। ज्यादा उत्पादन और बाजार में आम की प्रचुर उपलब्धता के कारण कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद है। हालांकि, यह स्थिति किसानों के लिए चिंता का विषय बन सकती है, क्योंकि कम कीमतों का मतलब है कम मुनाफा। दूसरी ओर, आम प्रेमियों के लिए यह सुनहरा मौका है, क्योंकि अब वे अपने पसंदीदा फल का जमकर लुत्फ उठा सकते हैं।