ITR Refund जल्द चाहिए? बस ये काम कर लो, 3 दिन में पैसा अकाउंट में

ITR Refund : देशभर में टैक्सपेयर्स ने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना शुरू कर दिया है, और इस बार प्रक्रिया में पहले से कहीं ज्यादा तेजी देखने को मिल रही है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 1 जुलाई तक 75 लाख से ज्यादा लोगों ने अपना ITR फाइल किया, जिनमें से 71 लाख से अधिक रिटर्न वेरिफाई हो चुके हैं।
इस साल रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख को बढ़ाकर 15 सितंबर कर दिया गया है। अगर कोई टैक्सपेयर इस डेडलाइन को चूक जाता है, तो 31 दिसंबर 2025 तक पेनल्टी और ब्याज के साथ रिटर्न फाइल करने का मौका मिलेगा। अब टैक्सपेयर्स की नजर अपने रिफंड पर टिकी है, और सवाल यह है कि यह रकम उनके बैंक खातों में कब तक पहुंचेगी।
10 दिनों में मिलेगा रिफंड: नई व्यवस्था का असर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में बताया कि इनकम टैक्स विभाग ने रिफंड प्रक्रिया को और तेज कर दिया है। अब ज्यादातर मामलों में रिफंड 10 दिनों के भीतर खाते में पहुंच जाएगा। विभाग ने ऑटोमेशन और प्रक्रियाओं को पहले से बेहतर किया है, जिसका फायदा टैक्सपेयर्स को मिल रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ लोगों को महज 3 दिन में रिफंड मिल सकता है, जबकि कुछ मामलों में यह प्रक्रिया 3 हफ्ते तक भी ले सकती है। यह अंतर कई तकनीकी और प्रशासनिक कारणों पर निर्भर करता है।
रिफंड में देरी के पीछे क्या हैं कारण?
कई बार टैक्सपेयर्स की छोटी-छोटी गलतियां रिफंड में देरी का कारण बनती हैं। अगर ITR फाइल करने में देरी होती है, तो प्रक्रिया धीमी पड़ सकती है। इसके अलावा, e-verification पूरा न होने पर रिटर्न प्रोसेस नहीं हो पाता। PAN और Aadhaar का आपस में लिंक न होना भी एक बड़ी वजह है, जिसके चलते फाइलिंग रुक सकती है।
TDS में गड़बड़ी या गलत बैंक डिटेल्स दर्ज करने से भी रिफंड में देरी हो सकती है। इतना ही नहीं, अगर इनकम टैक्स विभाग की ओर से भेजे गए मेल या नोटिस को नजरअंदाज किया जाता है, तो रिफंड अटक सकता है।
E-Verification: ITR का अनिवार्य हिस्सा
अब केवल ITR फाइल करना ही काफी नहीं है। टैक्सपेयर्स को E-Verification भी अनिवार्य रूप से करना होगा। यह प्रक्रिया आधार OTP, नेट बैंकिंग, या अन्य डिजिटल तरीकों से आसानी से पूरी की जा सकती है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सही जानकारी और समय पर वेरिफिकेशन से न केवल रिफंड प्रक्रिया तेज होती है, बल्कि किसी भी तरह की परेशानी से भी बचा जा सकता है।
टैक्सपेयर्स के लिए यह जरूरी है कि वे सभी जरूरी दस्तावेज और जानकारी पहले से तैयार रखें ताकि रिफंड में किसी तरह की देरी न हो।