RBI ने बदल दिए EMI के नियम! अब बैंक नहीं कर पाएंगे आपकी जेब पर हमला

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने कर्जदारों के लिए EMI नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब EMI बाउंस होने पर बैंक और NBFC केवल उचित जुर्माना शुल्क (Penalty Charges) लगा सकेंगे, और इस पर कोई दंडात्मक ब्याज (Penal Interest) नहीं जोड़ा जाएगा। 
RBI ने बदल दिए EMI के नियम! अब बैंक नहीं कर पाएंगे आपकी जेब पर हमला

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने कर्ज लेने वालों के लिए एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है। अब अगर कोई कर्जदार अपनी EMI (Equated Monthly Installment) चुकाने में चूक करता है या उसकी EMI बाउंस हो जाती है, तो बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) केवल उचित जुर्माना लगा सकेंगी।

इस जुर्माने पर कोई अतिरिक्त ब्याज (Penal Interest) नहीं जोड़ा जाएगा। यह कदम कर्जदारों को बैंकों की मनमानी से बचाने और वित्तीय बोझ को कम करने के लिए उठाया गया है। आइए, इस नए नियम को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि यह आम लोगों के लिए कैसे मददगार साबित होगा।  

RBI का नया नियम: कर्जदारों के हित में एक कदम

Reserve Bank of India ने हाल ही में अपने नए दिशा-निर्देशों के तहत बैंकों और NBFC को सख्त हिदायत दी है कि वे EMI भुगतान में चूक होने पर केवल उचित दंड शुल्क (Penalty Charges) ही वसूल सकते हैं। पहले, कई बैंक और वित्तीय संस्थान EMI बाउंस होने पर न केवल जुर्माना लगाते थे, बल्कि उस पर अतिरिक्त ब्याज भी जोड़ते थे।

इससे कर्जदारों पर दोहरा बोझ पड़ता था, और उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ जाती थी। अब RBI ने इस प्रथा पर रोक लगा दी है, जिससे कर्ज लेने वालों को अनावश्यक वित्तीय दबाव से राहत मिलेगी।  

बैंकों की मनमानी पर लगाम

Reserve Bank of India ने स्पष्ट किया है कि दंड शुल्क का उपयोग बैंकों को अपनी आय बढ़ाने के लिए नहीं करना चाहिए। पहले कुछ बैंक और NBFC दंडात्मक ब्याज (Penalty APR) को एक आय के स्रोत के रूप में इस्तेमाल करते थे, जिससे कर्जदारों को भारी नुकसान उठाना पड़ता था।

RBI ने अपने नोटिफिकेशन में कहा है कि दंड शुल्क केवल उधारकर्ताओं में अनुशासन लाने के लिए होने चाहिए, न कि बैंकों के मुनाफे का जरिया। नए नियमों के तहत, यह शुल्क उचित होना चाहिए और इसे किसी भी तरह से पूंजीकृत (Capitalized) नहीं किया जा सकता। इसका मतलब है कि जुर्माने पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं जोड़ा जाएगा।  

किन लोन्स पर लागू होगा यह नियम?

RBI के ये नए नियम सभी प्रकार के व्यक्तिगत और गैर-वाणिज्यिक ऋणों (Personal Loans, Home Loans, Auto Loans) पर लागू होंगे। हालांकि, क्रेडिट कार्ड भुगतान (Credit Card Payment), बाह्य वाणिज्यिक ऋण (External Commercial Credit), और बिजनेस लोन जैसे कुछ खास ऋण इस नियम के दायरे से बाहर रहेंगे। Reserve Bank of India ने यह सुनिश्चित किया है कि ये नियम उपभोक्ताओं के हित में हों और बैंकों की मनमानी को रोका जा सके।  

RBI का नोटिफिकेशन: क्या कहता है?

Reserve Bank of India ने अपने नोटिफिकेशन "Fair Lending Practices - Loan Accounts" में साफ तौर पर कहा है कि 1 तारीख से कोई भी बैंक या NBFC दंडात्मक ब्याज नहीं वसूल सकता। अगर कोई कर्जदार ऋण समझौते की शर्तों का पालन नहीं करता, तो उस पर केवल उचित दंड शुल्क लगाया जा सकता है। यह नियम न केवल कर्जदारों को अनुचित शुल्कों से बचाएगा, बल्कि वित्तीय पारदर्शिता को भी बढ़ावा देगा।  

कर्जदारों के लिए इसका क्या मतलब है?

नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब कर्जदारों को EMI चूकने पर दोहरा वित्तीय बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। पहले, EMI बाउंस होने पर जुर्माना और उस पर ब्याज दोनों देना पड़ता था, जिससे कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ता था। अब Reserve Bank of India के इस फैसले से कर्जदारों को राहत मिलेगी और वे अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर तरीके से संभाल सकेंगे। यह कदम खास तौर पर उन लोगों के लिए मददगार है जो आर्थिक तंगी के कारण समय पर EMI नहीं चुका पाते।  

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