Doonhorizon

Maharashtra: शिवसेना शिंदे की होगी या उद्धव की, इस पर SC में अब 27 सितम्बर को होगी सुनवाई

महाराष्ट्र (Maharashtra) में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) बनाम शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की जंग के लिए 27 सितंबर अहम दिन साबित हो सकता है।
Maharashtra: शिवसेना शिंदे की होगी या उद्धव की, इस पर SC में अब 27 सितम्बर को होगी सुनवाई

नई दिल्ली। महाराष्ट्र (Maharashtra) में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) बनाम शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की जंग के लिए 27 सितंबर अहम दिन साबित हो सकता है। खबर है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) राज्य के सियासी संकट से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करने जा रहा है।

कहा जा रहा था कि बुधवार को ही इन याचिकाओं को लेकर न्यायालय सुनवाई कर सकता है। शिंदे कैंप के वकील नीरज किशन कौल की तरफ से मामले में तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया गया था।

खास बात है कि इससे पहले पांच सदस्यीय बेंच की तरफ से 25 अगस्त को सुनवाई की जानी थी, लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हुई। खास बात है कि इसे आगामी बीएमसी चुनाव के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। वहीं, शिवसेना में दशहरा रैली को लेकर भी रार जारी है। अब विस्तार से समझते हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में कौन से विवाद जारी हैं।

राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र में करीब 50 विधायकों का समर्थन हासिल कर चुके शिंदे गुट खुद को ‘असली शिवसेना’ बता रहा था। इसके बाद ठाकरे के नेतृत्व वाले समूह ने शीर्ष न्यायालय का रुख किया, जहां राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की तरफ से शिंदे को सरकार के लिए बुलाए जाने के फैसले को चुनौती दी गई थी। साथ ही ठाकरे कैंप ने शिंदे का समर्थन कर रहे विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग भी की थी।

चुनाव चिह्न पर छिड़ा सियासी युद्ध

शिंदे कैंप की तरफ से ‘असली शिवसेना’ की मान्यता पाने के लिए आवेदन किया गया था। इस पर शीर्ष न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग को पत्र भेजकर आवेदन पर फैसले नहीं करने के आदेश दिए थे। साथ ही कोर्ट ने मामले को 25 अगस्त को सुनवाई के लिए संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया था।

याचिका पर याचिका और अयोग्यता की तलवार

सियासी विवाद को कानून तरीके से जीतने के लिए शिवसेना के दोनों गुटों की तरफ से कई याचिकाएं दायर की गईं। इस दौरान शिंदे कैंप ने भी 16 विधायकों के खिलाफ जारी अयोग्यता के नोटिस को भी चुनौती दी थी। हालांकि, एपेक्स कोर्ट ने 27 जून को शिंदे समूह को नोटिस का जवाब देने के लिए अंतरिम राहत दी थी।

महाराष्ट्र विधानसभा में स्पीकर ने शिंदे समूह के सदस्य को शिवसेना के व्हिप के रूप में मान्यता दे दी थी। बाद में ठाकरे कैंप की तरफ से इसे लेकर सवाल उठाए गए। ग्रुप का कहना था कि नए नियुक्त हुए स्पीकर के पास शिंदे की तरफ से नामित शख्स को व्हिप के रूप में मान्यता देने का अधिकार नहीं है, क्योंकि उद्धव अब भी शिवसेना के प्रमुख हैं।

अब दशहरा रैली पर विवाद जारी

हाल ही में शिंदे कैंप की तरफ से शिवाजी पार्क में दशहरा रैली की बात कही गई थी। इसपर शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट जाने की धमकी दे दी थी। दरअसल, साल 1966 से शिवसेना ही शिवाजी पार्क में रैली आयोजित कर रही है। लेकिन इसबार शिंदे समूह ने कार्यक्रम के आयोजन को लेकर बीएमसी से अनुमति मांगी है।

शिवाजी पार्क ही क्यों?

28 एकड़ में फैले शिवाजी पार्क का नाम पहले माहिम पार्क था, जिसे 1927 में छत्रपति शिवाजी के नाम पर कर दिया गया था। अब कहा जाता है कि इस पार्क से शिवसेना का भावनात्मक स्तर पर काफी जुड़ाव है।

पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे के पिता ‘प्रबोधंकर’ केशव सीताराम ठाकरे नवरात्री पर सार्वजनिक समारोह का आयोजन करने वाले लोगों में शामिल थे, जिसका समापन दशहरा पर होता था। साल 2010 में दशहरा रैली में ही आदित्य ठाकरे को युवा सेना के प्रमुख के तौर पर राजनीति में उतारा गया था।
 

Share this story