जिस वस्तु को छूने के बाद आप धोते हैं हाथ, वही वस्तु आप पर बरसा सकती है लक्ष्मी की कृपा, जाने कैसे

जिस वस्तु को छूने के बाद आप हाथ धोते हैं, सेनेटाइज करते हैं, वही वस्तु आप पर लक्ष्मी की कृपा बरसा सकती है, आप अचानक धनवान बन सकते हैं, बशर्ते आप इस वस्तु को वास्तु के अनुसार उपयुक्त स्थान पर रखें. जी हाँ हम बात कर रहे हैं कूड़ेदान की.
जिस वस्तु को छूने के बाद आप धोते हैं हाथ, वही वस्तु आप पर बरसा सकती है लक्ष्मी की कृपा, जाने कैसे 

जिस वस्तु को छूने के बाद आप हाथ धोते हैं, सेनेटाइज करते हैं, वही वस्तु आप पर लक्ष्मी की कृपा बरसा सकती है, आप अचानक धनवान बन सकते हैं, बशर्ते आप इस वस्तु को वास्तु के अनुसार उपयुक्त स्थान पर रखें.

जी हाँ हम बात कर रहे हैं कूड़ेदान की. आइये जाने वास्तु आपको इस कूड़ेदान को कहां कहां रखने की इजाजत देता है, ताकि आपके आय के स्रोत खुल सके.

वास्तु नियमों के अनुसार कूड़ेदान का मूल स्थान दक्षिण पश्चिम के दक्षिण, दक्षिण पूर्व के पूर्व, दक्षिण पूर्व के दक्षिण और उत्तर पश्चिम के पश्चिम में सर्वोत्तम स्थान बताया गया है.

  • कूड़ेदान को सप्ताह में कम से कम दो बार धोना चाहिए.
  • कूड़ेदान को हमेशा ढक कर रखना चाहिए, ताकि उसका स्मेल बाहर नहीं आने पाए.
  • कूड़ेदान को उत्तर- पूर्व दिशा में ना रखें. ऐसा करने से आप मानसिक रूप से अस्वस्थ रहेंगे, आपके मन में फ्रेश विचार नहीं आ पाएंगे.
  • मुख्य द्वार पर कूड़ेदान कभी नहीं रखना चाहिए. वरना आपके घर के भीतर की पॉजिटिव एनर्जी निगेटिव में बदल जायेगी. जो आपकी बनती किस्मत को बिगाड़ सकता है.
  • घर के मंदिर के आसपास की एरिया में तो डस्टबिन हर्गिज नहीं रखना चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से माता लक्ष्मी रूठ जाती है.
  • घर के पूर्व दिशा में भी कचरे का डिब्बा नहीं रखना चाहिए. यह आपके भीतर अशांति पैदा करता है, आप खुद को अकेलापन महसूस करेंगे. ऐसा करने से आपके विकास के मार्ग अवरुद्ध हो सकते हैं.
  • अगर आपके किचन में सिंक के नीचे कूड़ेदान रखते हैं तो दिशा की चिंता मत कीजिये, आप किसी भी दिशा में रखें, मगर उस पर ढक्कन जरूर रखें, और आसपास का क्षेत्र साफ-सुथरा होना चाहिए.
  • शयनकक्ष में डस्टबिन भूल कर भी नहीं रखना चाहिए, इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है.
  • कूड़ेदान का रंग हमेशा लाइट ग्रे या ब्लैक कलर का रखें. लाल या पीले रंग का कूड़ेदान नहीं रखना चाहिए. क्योंकि यह रंग अध्यात्म का माना जाता है. इससे पूजा-अनुष्ठान के परिणाम निष्क्रिय हो सकते हैं.

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