Chaturmas 2025 : चातुर्मास में भूलकर भी न करें ये कार्य, नहीं तो जीवन भर पछताना पड़ेगा

Chaturmas 2025 : सनातन धर्म के अनुसार हर वर्ष हरिशयनी एकादशी की तिथि से लेकर हरी प्रबोधिनी एकादशी (कार्तिक मास की एकादशी) तक का चार महीने का पर्व चातुर्मास कहलाता है।
कहा जाता है कि इस अवधि में भगवान विष्णु “योग निद्रा” में रहते हैं, और सृष्टि की देखभाल का कार्य महादेव संभालते हैं।
2025 में हरिशयनी एकादशी का समय
वर्ष 2025 में हरिशयनी एकादशी अमावस्या या पूर्णिमा नहीं, बल्कि 6 जुलाई को पड़ेगी। यह व्रत 5 जुलाई की शाम 7 बजे से प्रारंभ होकर 6 जुलाई की रात 9:16 बजे तक रहेगी।
इस दिन विशाखा नक्षत्र 5 जुलाई 7:52 बजे आरंभ होकर 6 जुलाई 10:42 बजे तक रहेगा, और साध्ययोग 5 जुलाई रात 8:36 बजे से 6 जुलाई रात 9:27 बजे तक बनेगा।
इन शुभ योगों में व्रत करने से आध्यात्मिक लाभ और भगवान विष्णु की कृपा तीव्र होती है।
मांगलिक कार्यों पर नियंत्रण
हरिशयनी एकादशी से ही चातुर्मास आरंभ हो जाता है। इस दौरान सभी सुख-साधन एवं मांगलिक कार्य – जैसे शादी, गृह-प्रवेश, भूमि पूजन आदि स्थगित कर दिए जाते हैं। यह नियम 2 नवंबर 2025 को पड़ने वाली हरी प्रबोधिनी एकादशी तक रहेगा।
चातुर्मास में वर्जित वस्तुएँ
इस पवित्र चार महीने की अवधि में कुछ खाने-पीने की चीज़ें वर्जित मानी जाती हैं, जैसे:
- ताज़ा गुड़, तेल, शहद, मूली, परवल, बैंगन, और विशिष्ट शाक-सब्जियाँ।
- इस अवधि में परिजनों के अलावा किसी और के घर का दही या भात ग्रहण करने से भी बचना चाहिए।
संयम और साधना
चातुर्मास के दौरान प्रवास करना, अधूरी पूजा-अर्चना या ब्रह्मचर्य का पालन न करना, इन सब से बचना चाहिए। एक ही स्थान पर निरंतर साधना करने और ब्रह्मचर्य का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।