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Pranav Singh and Umesh Kumar Dispute : पूर्व विधायक चैंपियन और विधायक उमेश शर्मा का विवाद सुलझाने पहुंचे राकेश टिकैत, जानें क्या हुई बातचीत?

किसान नेता पहले हरिद्वार जेल में बंद चैंपियन से मिले। इसके बाद, डामकोठी पहुंचकर उनकी पत्नी रानी देवयानी और स्थानीय समाज के लोगों से बातचीत की। शाम तक वह देहरादून में विधायक उमेश शर्मा से वार्ता के लिए रवाना हुए। 
Pranav Singh and Umesh Kumar Dispute : पूर्व विधायक चैंपियन और विधायक उमेश शर्मा का विवाद सुलझाने पहुंचे राकेश टिकैत, जानें क्या हुई बातचीत?
Pranav Singh and Umesh Kumar Dispute : पूर्व विधायक चैंपियन और विधायक उमेश शर्मा का विवाद सुलझाने पहुंचे राकेश टिकैत, जानें क्या हुई बातचीत?

हरिद्वार : हरिद्वार में चल रहे सियासी टकराव को शांत करने के लिए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने पहल की है। उन्होंने पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और खानपुर विधायक उमेश शर्मा के बीच जारी तनातनी को खत्म करने की कोशिश की।

दोनों पक्षों से की मुलाकात

राकेश टिकैत सबसे पहले जेल में बंद पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन से मिले और उनके पक्ष को सुना। इसके बाद उन्होंने डामकोठी में भाजपा नेता और चैंपियन की पत्नी रानी देवयानी से भी चर्चा की। समाज के लोगों से बातचीत कर उन्होंने शांति स्थापित करने का प्रयास किया।

देहरादून में विधायक उमेश शर्मा से की वार्ता

इसके बाद टिकैत देहरादून रवाना हो गए, जहां उन्होंने खानपुर विधायक उमेश शर्मा से मुलाकात की। वार्ता के दौरान उन्होंने दोनों नेताओं से अपील की कि व्यक्तिगत विवाद को समाज के मुद्दे से न जोड़ा जाए और आपसी सहमति से मामले को सुलझाने का प्रयास किया जाए।

"यह जातिगत लड़ाई नहीं, बल्कि चुनावी प्रतिद्वंद्विता"

पत्रकारों से बातचीत में चौधरी राकेश टिकैत ने स्पष्ट किया कि यह लड़ाई किसी समाज विशेष की नहीं बल्कि एक जीते और एक हारे हुए विधायक के बीच की प्रतिस्पर्धा है। उन्होंने समाज के लोगों से अपील की कि वे इस मामले को जातिगत मुद्दा न बनाएं।

केंद्र सरकार के बजट पर भी उठाए सवाल

बातचीत के दौरान राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार के आम बजट पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ऐसा बजट जो कर्ज बढ़ाता है, वह देश के हित में नहीं होता। किसान और आमजन के लिए यह बजट फायदेमंद साबित नहीं होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पूंजीवाद को बढ़ावा दे रही है और किसानों को उनके अधिकारों से वंचित कर रही है।

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