जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण ने गुरुवार को बताया कि कोविड-19 के टीकाकरण से संबंधित प्रतिवेदन दो प्रपत्र में प्रत्येक दिन शाम चार बजे तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था लेकिन किसी भी प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी ने ससमय पूरा प्रतिवेदन नहीं भेज कर अधूरा प्रतिवेदन भेजा। जिसके कारण जिलाधिकारी द्वारा समीक्षा के दौरान लक्ष्य के अनुरूप कोविड-19 का टीकाकरण नहीं होने के कारण चिंता व्यक्त किया गया। इसके बाद सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को इसके लिए बार-बार पारित किया गया लेकिन किसी ने भी इस महत्वपूर्ण कार्य को गंभीरता से नहीं लिया। यह मनमानेपन, कर्तव्यहीनता, स्वेच्छाचारिता एवं उच्चाधिकारी के आदेश की अवहेलना है।
जिसके कारण अगले आदेश तक सभी का वेतन स्थगित करते हुए स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। सौंपे गए दायित्वों का निर्वहन नहीं किये जाने के आरोप में इन लोगों के विरुद्ध अनुशासनिक/प्रशासनिक कार्रवाई के लिए सक्षम प्राधिकार को प्रतिवेदित किया जाएगा। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि कोविड-19 टीकाकरण इस महामारी से बचाव का एक राशक्त माध्यम है। इसके लिए लक्षित लाभार्थियों का शत-प्रतिशत टीकाकरण किया जाना जरूरी है। सरकार के निर्देशानुसार एक अप्रैल से 45 वर्ष या इससे अधिक आयु वर्ग के सभी लोगों को कोविड-19 का टीकाकरण किया जा रहा है।
उक्त संबंध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा 31 मार्च को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग में दिए गए दिशा निर्देश के आलोक में के सभी प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक सरकारी एवं निजी विद्यालय, अनुदानित मदरसा, संस्कृत विद्यालय, गैर अनुदानित मदरसा एवं संस्कृत विद्यालय, स्थापना अनुमति प्राप्त विद्यालय एवं कोचिंग संस्थान के शिक्षक-शिक्षिका एवं कर्मी तथा विद्यालय शिक्षा समिति के सभी सदस्य, शिक्षा सेवक, तालिमी मरकज, मध्याहन भोजन योजना के रसोईया को अपने नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर कोविड-19 का टीका लेना है। इसके लिए सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए थे। लेकिन एक भी अधिकारी ने इस महत्वपूर्ण आदेश का पालन नहीं किया।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा