कोविड-19 का खतरा कम करने के लिए आईआईटी रुड़की ने विकसित किया फेसमास्क के लिए एंटी-माइक्रोबियल नैनोकोटिंग सिस्टम

कोविड-19 का खतरा कम करने के लिए आईआईटी रुड़की ने विकसित किया फेसमास्क के लिए एंटी-माइक्रोबियल नैनोकोटिंग सिस्टम

रुड़की : आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं की एक टीम ने कोविड-19 के खतरे को कम करने के लिए फेसमास्क और पीपीई किट के लिए एक नैनो-कोटिंग सिस्टम विकसित किया है।

10 से 15 मिनट के भीतर रोगजनकों को प्रभावी ढंग से मारने के लिए इस कोटिंग का परीक्षण किया गया है। यह फॉर्म्यूलैशन स्टैफिलोकोकस ऑरियस और एस्चेरिचिया कोलाई O157 जैसे नैदानिक रोगजनकों के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी है।

यह फॉर्म्यूलैशन चिकित्सा कर्मियों को उनके मौजूदा फेसमास्क को कोटिंग करने के लिए फायदेमंद होगा और उनके गाउन पर कोटिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।

इस शोध का नेतृत्व करने वाले जैव प्रौद्योगिकी विभाग और नैनो प्रौद्योगिकी केंद्र के प्रोफेसर  नवीन के नवानी ने कहा कि “स्वास्थ्य कर्मियों के लिए गाउन, ग्लोव्स और आई प्रोटेक्शन की तरह फेसमास्क भी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट का एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण है।

मौजूदा मास्क में यह नैनो-कोटिंग रोगजनकों के खिलाफ एक्सट्रा प्रोटेक्शन की तरह काम करेगा और वायरस के प्रसार को रोकने में कामयाब होगा।“

फॉर्म्यूलैशन में सिल्वर नैनोपार्टिकल्स और प्लांट-बेस्ड एंटीमाइक्रोबियल्स भी हैं जो रोगजनकों के खिलाफ सिनर्जेटिक प्रभाव दिखाते हैं। तीन से अधिक एंटीमाइक्रोबियल्स  कंपाउंड्स के संयुक्त प्रभाव का उपयोग करके विकसित इस फॉर्म्यूलैशन को किसी भी सतह पर कोटेड किया जा सकता है।

चूंकि इस फॉर्म्यूलैशन में उपयोग किए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स वायरस को नष्ट करने के लिए जाने जाते हैं इसलिए इसमें कोरोनवायरस के प्रसार को रोकने की भी क्षमता है।

इसे श्री प्रदीप कुमार, डॉ. अरुण बेनीवाल और श्री अजमल हुसैन सहित चार सदस्यीय टीम द्वारा विकसित किया गया था।

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