
बाइडेन प्रशासन के फैसले को देखते हुए जमाल खशोगी केस कोर्ट में खारिज

अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में एक संघीय न्यायालय ने मंगलवार को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के खिलाफ पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मुकदमे को खारिज कर दिया।
यह मुकदमा जमाल खशोगी की मंगेतर ने किया था। अमेरिकी जिला न्यायाधीश जॉन बेट्स ने कहा कि खगोशीकी हत्या में क्राउन प्रिंस की संलिप्तता के आरोप विश्वसनीय थे ऐसे में वह मुकदमा वापस लेने के लिए अनिच्छुक थे लेकिन बाइडेन प्रशासन के फैसले को देखते हुए उनके पास कोई विकल्प नहीं था।
अमेरिकी कोर्ट ने कहा- नहीं है इतनी ताकत
अदालत ने क्राउन प्रिंस को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रतिरक्षा अनुदान का हवाला देते हुए मुकदमा खारिज किया। दरअसल इसके तहत सऊदी अरब के प्रधानमंत्री पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
डिस्ट्रिक्ट जज जॉन बेट्स ने बाइडन प्रशासन के इस पक्ष को स्वीकार करते हुए अपना फैसला सुनाया। जॉन बेट्स ने कहा कि क्राउन प्रिंस के खिलाफ खगोशीकी मंगेतर हतीजे जेंग्गिज ने जो सबूत पेश किये वे बेहद ठोस थे, लेकिन उनके पास इतनी शक्ति नहीं कि वह अमेरिकी सरकार के फैसले को पलट सकें।
सऊदी क्राउन के पीएम बनने का मिला फायदा
इससे पहले डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया में बाइडन प्रशासन की ओर से क्राउन प्रिंस को इस मुकदमे से ''इम्यून'' बताया था। कोर्ट ने कहा कि ''इम्युनिटी'' के खिलाफ जाकर फैसला लेना बाइडन प्रशासन की कार्यप्रणाली में अनुचित तरीक से दखल देना होगा।
दरअसल बाइडन प्रशासन की ओर से कोर्ट में दाखिल दस्तावेज में कहा गया था कि अंतराष्ट्रीय कानून में किसी मौजूदा राष्ट्र अध्यक्ष को छूट मिलने की बात पूरी तरह स्थापित है। आपको बता दें कि सउदी अरब के शाह सलमान ने हफ्तों पहले अपने बेटे प्रिंस मोहम्मद को प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया था।
यह राज्य की शासी संहिता से एक अस्थायी छूट थी, जो राजा को प्रधानमंत्री बनाती है।
2018 में तुर्की में हुई जमाल खाशोगी की हत्या
सऊदी अरब के एजेंटों की एक टीम ने 2018 में इस्तांबुल में वाणिज्य दूतावास के अंदर खशोगी की हत्या कर दी थी। द वाशिंगटन पोस्ट के एक स्तंभकार खशोगी ने सऊदी अरब के शासक प्रिंस मोहम्मद के कठोर तरीकों की आलोचना की थी।
इस हत्या ने अमेरिका और सऊदी अरब के बीच एक दरार पैदा कर दी, जिसे प्रशासन ने हाल के महीनों में बंद करने की कोशिश की है, क्योंकि अमेरिका ने असफल रूप से यूक्रेन युद्ध से प्रभावित वैश्विक बाजार में तेल उत्पादन में कटौती को पहले की तरह करने का आग्रह किया था।
दूतावास के बाहर पत्नी कर रही थी इंतजार
इससे पहले सऊदी प्रिंस ने हत्याकांड में अपनी संलिप्तता से इनकार किया था लेकिन बाद में उन्होंने स्वीकार किया था कि सब कुछ उनकी निगरानी में हुआ। खशोगी अपनी शादी के लिए आवश्यक दस्तावेज लेने के लिए तुर्की स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास गए थे।
उनकी मंगेतर हैटिस केंगिज उनके मारे जाने के समय अनजाने में वाणिज्य दूतावास के बाहर ही इंतजार कर रही थीं। तुर्की के सबा अखबार ने दावा किया था कि सऊदी अरब से एक हिट टीम ने जमाल खशोगी को रियाद ले जाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन जब खशोगी नहीं माने तो दूतावास में ही उनका चेहरा ढंककर दम घोंट दिया गया।
चीन से करीबी का असर?
सऊदी अरब और अमेरिका के रिश्ते बाइडेन प्रशासन के आने के साथ ही खराब हो चुके हैं। पिछले आठ दशक से सऊदी अरब अमेरिका के सबसे खास सहयोगियों में शामिल रहा है, लेकिन हाल में सऊदी का चीन के प्रति प्रेम बढ़ा है।
ऐसी खबर भी आ रही है कि जल्दी ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सऊदी अरब का दौरा करने वाले हैं। ऐसे में इस फैसले से उम्मीद की जा रही है कि दोनों दैश एक बार फिर से करीब आ सकेंगे।