2010 की 'दबंग' कार फिर दस्तक देने को तैयार, स्विफ्ट और i10 की बढ़ी टेंशन
उन्होंने बताया कि फिलहाल इसे लॉन्च करने की योजना नहीं है, लेकिन फ्यूचर में इसे फिर से लाने की संभावना है। पोलो को SUV या इलेक्ट्रिक कार के तौर पर लाया जा सकता है। पोलो की उसके मूल मॉडल के साथ वापसी नहीं होगी।
फॉक्सवैगन ने भारत में अपनी 2.0 रणनीति में बदलाव किया है। बता दें कि 2010 में लॉन्च हुई पोलो भारत में फॉक्सवैगन की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार थी। हालांकि, बढ़ते कॉम्पटीशन और इसकी घटती डिमांड के चलते 2022 में बंद कर दिया गया।
भारत में भले ही पोलो 5वीं जनरेशन से आगे नहीं बढ़ पाई, लेकिन इंटरनेशन मार्केट में इसकी 6वीं जनरेशन भी आ गई। फॉक्सवैगन वर्तमान में हैवी लोकलाइजेशन MQB-A0-IN प्लेटफॉर्म पर फोकस कर रहा है, जो ताइगुन और वर्टूस को रेखांकित करता है।
फॉक्सवैगन ब्राजील जैसे उभरते बाजारों के लिए 6वीं जनरेशन के पोलो के लिए एक समान प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करती है। चुनिंदा इंटरनेशनल मार्केट में 6वीं जनरेशन की पोलो वर्टूस के तौर में बिक्री पर है। कुछ बाजारों में पोलो सेडान के तौर पर वर्टूस भी बिक्री पर है।
फॉक्सवैगन पोलो के फीचर्स और स्पेसिफिकेशंस
भारत में पोलो को 3 इंजन ऑप्शन में पेश किया था। इसमें 3 सिलेंडर इंजन के साथ 1.0 लीटर पेट्रोल, 1.2 लीटर और 1.5 लीटर डीजल इंजन शामिल थे। इसका 1.0 लीटर पेट्रोल इंजन 108.6 बीएचपी की अधिकतम पावर के साथ 175 एनएम का पीक टॉर्क जनरेट करता है। ये कार मैनुअल और ऑटोमेटिक दोनों तरह के ट्रांसमिशन के साथ आती थी। पेट्रोल वर्जन में ये कार 15Km/l का माइलेज देती है।
इसके फीचर्स की बात करें तो ये अपने टाइम की सबसे एडवांस्ड फीचर्स वाली कार थी। इसमें ऑटो एयर-कॉन, सभी चार विंडो के लिए वन-टच कंट्रोल, क्रूज कंट्रोल, रेन-सेंसिंग वाइपर, रियर पार्किंग सेंसर, डुअल-फ्रंट एयरबैग और ABS और फॉक्सवैगन कनेक्ट जैसे फीचर्स मिलते थे।
इसका टचस्क्रीन एपल कारप्ले और एंड्रॉइड ऑटो को भी सपोर्ट करता था। भारत में इसका मुकाबाल हुंडई i10, मारुति स्विफ्ट जैसी कारों से होता था।