समय से पैसों का इंतजाम नहीं होने से अगर बाउंस हो गयी ईएमआई, तो ऐसे करें इस समस्या का हल

EMI चुकाने के दो तरीके होते हैं। एक एडवांस दूसरी एरियर। अमूमन धारक एडवांस ईएमआई जमा करते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर आप एरियर ईएमआई भी भर सकते हैं।
लोन की EMI बाउंस होने पर न हों परेशान, बस इन बातों का रखें ध्यान
न्यूज डेस्क, दून हॉराइज़न, नई दिल्ली

लोन चाहे घर के लिए हो, कार या फिर किसी भी तरह का। EMI तय तारीख पर जमा करना जरूरी है। लेकिन कई बार ऐसा भी हो जाता है कि हम EMI भरने से चूक जाते हैं। वजह कोई भी हो खामियाजा एक ही होता है पेनाल्टी।

सरकारी बैंक जहां एक किस्त पर 500 रुपए तक की पेनाल्टी लगाते हैं, वहीं निजी बैंकों में ये राशि 1000 रुपए तक भी हो सकती है।लोन कुछ महीनों के लिए नहीं होता यह एक लंबी प्रक्रिया है। ऐसे में बिजनेस हो या निजी क्षेत्र में नौकरी, कई बार आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ जाता है।

अगर आप भी इस तरह की किसी दिक्कत में हैं तो कुछ जरूरी कदम आपको उठाने चाहिए। पहली किस्त बाउंस होते ही लोन देने वाले बैंक में जाएं और मैनेजर से बात करें। आमतौर पर मैनेजर अगली किस्त ध्यान से चुकाने की सलाह देता है।

अगर आपकी दिक्कत बड़ी है तो आप कुछ महीने के लिए मासिक किस्त होल्ड करने के लिए आवेदन दिया जा सकता है। बाद में पैसों की व्यवस्था होने पर रकम चुकाई जा सकती है। हालांकि इसमें काफी हद तक मैनेजर का विवेक काम करता है।

इन बातों का रखें ध्यान

EMI चुकाने के दो तरीके होते हैं। एक एडवांस दूसरी एरियर। अमूमन धारक एडवांस ईएमआई जमा करते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर आप एरियर ईएमआई भी भर सकते हैं।

लोन की किस्त की तारीख आमतौर पर महीने की शुरुआत में होती है, इसे एडवांस EMI कहते हैं। अगर आप महीने के आखिर में किस्त चुकाते हैं तो इसे एरियर EMI कहा जाता है।

बैंक का कोई भी दस्तावेज बिना पढ़े या समझे साइन न करें। लोन की पॉलिसी और जरूरी दस्तावेजों की जानकारी लिए बिना प्रोसेस शुरू न कराएं। अगर आपने घर के लिए लोन लिया है बिल्डर ने मकान समय पर नहीं दिया तो भी बैंक को आपको लोन चुकाना ही पड़ेगा।

लोन के लिए किसी का गारंटर सोच समझकर बनें। किसी का गारंटर बनने के बाद आप पर भी उस लोन को चुकाने कीजिम्मेदारी होती है। ईसीएस फॉर्म पर साइन करने से पहले जांच लें कि ट्रांसफर कब शुरू होना है और कितनी किस्तें जानी हैं।

बैंक को दिए गए चेक पर अपने हस्ताक्षर की जांच कर लें। साइन न होने, नहीं मिलने और चेक वापस होने की पेनाल्टी भी धारक की होती है। बिल्डर से मकान का सौदा किया है तो लोन लेने से पहले बिल्डर के जमीन के दस्तावेज जरूर देखें।

कोई कमी होने पर बैंक बीच में ही लोन बंद कर सकता है और जितनी रकम बैंक ने दे दी है, उसका भुगतान आपको करना होगा। अगर आपको लोन नहीं चुकाने या मासिक क़िस्त बाउंस होने को लेकर बैंक से कोई नोटिस मिला है तो परेशान न हों।

कई बार ऐसा होता है कि बैंक अधिकारी आपकी नीयत समझना चाहते हैं। अगर आप किसी वास्तविक दिक्कत की वजह से लोन की मासिक किस्त नहीं चुका पाएं तो बैंक से नोटिस मिलने के बाद आपके पास लोन चुकाने के लिए आपके पास 60 दिन का समय होता है।’

अगर इस अवधि के अंदर भी आप लोन नहीं चुकाते तो बैंक आपको एक नया नोटिस भेजेगा।- इस फाइनल नोटिस की समय सीमा 30 दिन की होगी। इसके बाद भी अगर आप लोननहीं चुकाते तो बैंक आपके ऊपर सरफेसी एक्ट के तहत प्रॉपर्टी की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।

बैंक से लोन नहीं चुकाने का नोटिस मिलने पर आप अधिकारी से मिलकर इसके बारे में पूछ सकते हैं और आपत्ति जता सकते हैं। आपके सवाल पर बैंक अधिकारी को सात दिन के अंदर जवाब देना होगा या इसकी सही वजह बतानी होगी।

अगर आप अपने लोन की मासिक किस्त जल्द खत्म करना चाहते हैं तो ईएमआई की रकम बढ़ा सकते हैं। चूंकि आप अधिकतर लोन एक साल से अधिक की अवधि के लिए लेते हैं, इसलिए वेतन में वृद्धि, बोनस मिलने आदि का सही इस्तेमाल कर आप ईएमआई की रकम आसानी से बढ़ा सकते हैं।

अगर कहीं से अतिरिक्त आमदनी होती है तो उस रकम का इस्तेमाल लोन के प्रीपेमेंट के लिए किया जा सकता है। इससे भी लोन की अवधि घटाने में मदद मिलेगी। होम लोन जैसे बड़े लोन के मामले में शुरुआती सालों में प्रीपेमेंट आपको लोन की अवधि काफी ज्यादा कम कर देता है।

लोन में प्रीपेमेंट से या तो उस कर्ज की अवधि घटा सकते हैं या उसकी ईएमआई की रकम कम कर सकते हैं। अगर लोन की ब्याज दर अधिक है और दूसरा बैंक कम ब्याज पर लोन दे सकता है, तो लोन की रीफाइनेंसिंग भी कराई जा सकती है।

हालांकि इसके लिए लोन को चुकाने की आदत (क्रेडिट हिस्ट्री) बेहतर होनी चाहिए। होम लोन जैसी लंबी अवधि के लोन पर ब्याज दरों में मामूली अंतर भी लाखों रुपए की बचत करने में सक्षम है।

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