घर और गाड़ी का सपना टूटा? MCLR बढ़ोतरी से EMI क्यों हुई महंगी, जानें

दरअसल बैंक ऑफ बड़ौदा ने 3 महीने, 6 महीने और 1 साल के समय अवधि ड के लिए अपनी लेंडिंग रेट्स में 5 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी हैं। 
घर और गाड़ी का सपना टूटा? MCLR बढ़ोतरी से EMI क्यों हुई महंगी, जानें

देश के बैंकिंग सेक्टर में बैंक ऑफ़ बड़ोदा एक अग्रणी बैंक है। लेकिन बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट कि अहम अपडेट के बाद बड़ा झटका दे दिया है। जिससे यहां पर ऐसे ग्राहक है जो किसी भी प्रकार के होम या कार लोन ले रखा हैं तो उनकी परेशानी बढ़ जाएगी।

क्योंकि बैंक ने एमसीएलआर रेट बढ़ा दिया है। जिसका असर लाखों ग्राहकों पर पड़ने वाला है। दरअसल बैंक ऑफ बड़ौदा ने 3 महीने, 6 महीने और 1 साल के समय अवधि ड के लिए अपनी लेंडिंग रेट्स में 5 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी हैं।

यह नई दरें 12 अगस्त 2024 से प्रभावी होंगी। बैंक ने अपने अधिकारिक वेबसाइट पर यह जानकारी दे दी है।तो वही बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा कि बैंक ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट्स (MCLR) की समीक्षा की है, जिससे आने वाले 12 अगस्त 2024 से नई दरें प्रभावी हो जाएगीं, जिससे ग्राहकों के लोन पर बड़ा असर पड़ने वाला है।

यहां पर जानिए बैंक के एमसीएलआर दर

बैंक ऑफ बड़ौदा ने रेगुलेटरी फाइलिंग ने बताया हैं कि, 3 महीने की एमसीएलआर को 8.45% से बढ़ाकर 8.50%, 6 महीने की एमसीएलआर को 8.70% से बढ़ाकर 8.75% , 1 साल की एमसीएलआर को 8.90% से बढ़ाकर 8.95% कर दिया गया है। आप को बता दे कि बैंक ने इसमें हर एक पीरियड के लिए 5 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी है।

हालांकि ग्राहकों को राहत देते हुए यहां पर ,ओवरनाइट एमसीएलआर को 8.15% और 1 महीने के एमसीएलआर को 8.35% को जस से तस रखा है।

एमसीएलआर में बढ़ोतरी होने पर क्या होगा असर

जिससे अगर कोई बैंक यहां पर एमसीएलआर में बढ़ोतरी करती हैं,तो बैंक से उठाए गए लोन जो कर्जदारों पर असर पड़ेगा जिनके लोन इस दर से जुड़े होते हैं। एमसीएलआर बढ़ के वजह सेण लोन की ब्याज दरें बढ़ेंगी, जिससे ईएमआई और कुल लोन लागत में बढ़ोतरी होगी।

कब आया एमसीएलआर

आप को बता दें देश में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ही बैकों के नियम तय करती है, जिससे आईबीआई ने एमसीएलआर को 2016 में पेश किया था, जोकि एक बेंचमार्क ब्याज दर है, जिससे बैंक अपने लेंडिंग रेट्स तय करने के लिए उपयोग करते हैं। बैंक इस दर से कम पर लोन नहीं दे सकते हैं। जब बैंक लोन दरों को तय  करते हैं। जिसका असर ग्राहकों पर सीधा होता है।

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