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Bhu Aadhaar कैसे करेगा जमीन के विवादों का अंत? जानिए कैसे सरकार का नया कदम बनाएगा आपकी जमीन को सुरक्षित

Bhu Aadhaar Card Apply 2024 : देश संपत्ति खरीदना एक बड़ा इन्वेस्टमेंट माना जाता है। लोग अपने जीवन भर के जमा पूंजी लगाकर जमीन खरीद लेते हैं या फिर घर बनवाने के लिए प्लाट खरीद लेते हैं।
Bhu Aadhaar कैसे करेगा जमीन के विवादों का अंत? जानिए कैसे सरकार का नया कदम बनाएगा आपकी जमीन को सुरक्षित

Bhu Aadhaar Card Apply 2024 : देश में लाखों नहीं करोड़ों की संख्या में जमीन और शहरों में प्लांट से जुड़े मामले पेंडिंग है। जिससे सरकार इन जमीनी विवादों के लिए कई कदम उठाती रहती है।

जिससे मालिकों की यहां सुरक्षित जमीन रहे तो सराकार आधार की तरह ही जमीन का एक यूनिक दस्तावेज बनाने जा रही है। जो डिजिटल माध्यम से बड़ा कारगर साबित होने वाला है।

देश संपत्ति खरीदना एक बड़ा इन्वेस्टमेंट माना जाता है। लोग अपने जीवन भर के जमा पूंजी लगाकर जमीन खरीद लेते हैं या फिर घर बनवाने के लिए प्लाट खरीद लेते हैं। लेकिन यहां पर यह लोग रहते नहीं है।

कई बार देखने में आता है कि अक्सर दूसरे लोग यहां पर जमीन और मकान पर कब्जा कर लेते हैं। ऐसे लाखों मामले पेंडिंग पड़े हैं।

लोगों की जमीन हो जाएगी सुरक्षित

तो वही कोर्ट में इसके लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है। जिसमें काफी पैसा खर्च हो जाता है। जमीन जायदाद और घर मकान के ऐसे लाखों करोड़ों की संख्या में केस पेंडिंग है। जिससे सरकार चाहती है कि लोगों के पास जमीन का भी आधार कार्ड हो जिसमें विशिष्ट पहचान संख्या दी जाए तो मोदी सरकार बड़ी योजना पर काम कर रही है।

अब जमीने का बनेगा Bhu Aadhaar Card

दरअसल सरकार के इस बड़ा कदम से लोगों के जमीन जमीन को एक विशिष्ट पहचान मिलेगी, जिसे भू-आधार कार्ड (Bhu Aadhaar Card) के नाम से जाना जाएगा, तो वही यहां पर यह दस्तावेज केवल आपकी संपत्ति को सुरक्षित करेगा, बल्कि कई अन्य लाभ भी प्रदान करेगा। जिससे सरकार बना रही है।

2027 तक होगा शहरी भूमि का डिजिटलीकरण

मोदी सरकार ने आम बजट 2024 में ग्रामीण क्षेत्रों में सभी भूमि भूखंडों के लिए विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करने की घोषणा की है। जिसे अब भू-आधार कहा जाता है। सरकार अहम योजना के जरिए 2027 तक शहरी भूमि अभिलेख का डिजिटलीकरण काम करने जा रही है।

कैसे काम करता है भू आधार

लोगों के लिए भू-आधार एक नया दस्तावेज है,जिससे यह काम कैसे करता है यह जानना जरुरी है। जिसे भूखंड का भू-आधार बनन है,तो पहले जीपीएस तकनीकी का प्रयोग करके जिओ टैगिंग किया जाता है। इसके बाद में सर्वेक्षणकर्ता भूखंड की सीमाओं का भौतिक सत्यापन और माप करते हैं।

अब भूखंड के जो जानकारी है, जिससे मालिक का नाम, उपयोग श्रेणी, क्षेत्र आदि जैसे डिटेल्स को दर्ज कर सेव कर दी जाती है।  जिसके बाद स्वचालित रूप से भूखंड के लिए 14 अंक का भू-आधार संख्या सिस्टम में आ जाती है।

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