RBI: आपने भी ले रखा है लोन तो ये खबर जरूर पढ़ें, और दूसरो को भी बताए

यदि RBI के निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है तो बैंक के लिए काफी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। नई गाइडलाइन के अनुसार, सभी दस्तावेजों को जारी करने में किसी भी देरी की स्थिति में बैंक या फिर एनबीएफसीएस पर हर रोज 5 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा।
RBI: आपने भी ले रखा है लोन तो ये खबर जरूर पढ़ें, और दूसरो को भी बताए 

नई दिल्ली, 17 सितम्बर, 2023 : देश की सबसे बड़ी बैंक आरबीआई ने लोन के रीपेमेंट या फिर सेटलमेंट के लिए काफी सारी परेशानियों को जारी किया है। इसके तहत RBI ने बैंकों और गैर बैंकिंग कंपनियों को लोन के सेटलनमेंट के 30 दिनों के भीतर ग्राहकों को चल और अचल संपत्ति के सभी कागजों को जारी करने का निर्देश दिया है।

ये वहीं दस्तावेज हैं जिनकों ग्राहकों ने लोन लेते समय बैंक या फिर एनबीएफसीएस के पास गिरवी रखें हैं। आरबीआई का ये नियम 1 दिसंबर 2023 से लागू किया जाएगा।

हर रोज लगेगा इतना जुर्माना

यदि RBI के निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है तो बैंक के लिए काफी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। नई गाइडलाइन के अनुसार, सभी दस्तावेजों को जारी करने में किसी भी देरी की स्थिति में बैंक या फिर एनबीएफसीएस पर हर रोज 5 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। बैंक ये जुर्माना ग्राहकों को मुआवजें के तौर पर देगी।

नुकसान होने पर क्या होगा?

लेंडर्स यानि कि बैंक या NBFCs से ग्राहकों के सभी दस्तावेजों का नुकसान होता है तो इसके लिए भी निर्देश जारी किए गए हैं। इस स्थिति में ग्राहकों की डुप्लीकेट या फिर अप्रूव कॉपियां पाने में सहायता करनी होगी और मुआवजे का पेमेंट करने के अलावा, इससे जुड़ें खर्चे भी वहन करना होगा।

इसके अलावा ग्राहक के निधन की स्थिति में लेंडर्स के पास कानूनी उत्तराधिकारियों को मूल चल और अचल संपत्ति कागजों की वापसी के लिए एक अच्छी तरह से शुरु होनी चाहिए।RBI के सर्कुलर के अनुसार लेंडर्स को लोन री-पीमेंट या फिर लोन खाते को बंद करने की स्थिति में सभी चल और अचल संपत्ति दस्तावेजों को जारी करना काफी आवश्यक है।

ये भी देखा गया है कि लेंडर्स दस्तावेजों को जारी करने में अलग-अलग प्रकार के नियमों का पालन करते हैं, जिससे ग्राहकों की शिकायतें और विवाद होते हैं। अब RBI के नए निर्देशों के बाद 30 दिन में ग्राहकों को उनके कागज मिल जाएंगे।

जानकारी के लिए बता दें RBI ने ये निर्देश बैंकिग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 21, 35A 1934 की धारा 45JA और 45L के तहत जारी किए गए हैं।

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