इन 3 बैंकों पर RBI करता है सबसे ज्यादा भरोसा, लिस्ट में टॉप पर दी है जगह

RBI D-SIBs List: केंद्रीय बैंक ने शुरू में जुलाई 2014 में D-SIB से निपटने के लिए एक फ्रेमवर्क जारी किया था, जिसके लिए 2015 से शुरू होने वाले नामित बैंकों के नाम का खुलासा करना और उन्हें उनके Systemic Importance Scores (SISs) के आधार पर उपयुक्त बकेट में रखना जरूरी थी.
इन 3 बैंकों पर RBI करता है सबसे ज्यादा भरोसा, लिस्ट में टॉप पर दी है जगह 
न्यूज डेस्क, दून हॉराइज़न, नई दिल्ली

RBI D-SIBs List: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने D-SIB (Domestic Systemically Important Banks) 2022 की लिस्ट जारी की है. केंद्रीय बैंक (RBI) की D-SIBs लिस्ट में  भारतीय स्टेट बैंक (SBI), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) को शामिल किया है.

D-SIB के लिए अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) की आवश्यकता 1 अप्रैल, 2016 से चरणबद्ध और 1 अप्रैल, 2019 से पूरी तरह से प्रभावी हो गई.

आपको बता दें कि RBI ने 2015 और 2016 में SBI और ICICI Bank को D-SIB के रूप में घोषित किया था. 31 मार्च, 2017 तक बैंकों से एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक के साथ-साथ HDFC बैंक को भी D-SIB में शामिल किया गया था.

RBI के मुताबिक, ये तीन बैंक देश के सबसे बड़े फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस में से एक हैं, जिन्हें डूबने नहीं दिया जा सकता. इस लिस्ट के किसी भी बैंक के फेल होने से देश की आर्थिक सेवाओं में भारी नुकसान देखने को मिल सकता है. इनके डूबने होने का मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में पहुंच सकती है.

केंद्रीय बैंक ने शुरू में जुलाई 2014 में D-SIB से निपटने के लिए एक फ्रेमवर्क जारी किया था, जिसके लिए 2015 से शुरू होने वाले नामित बैंकों के नाम का खुलासा करना और उन्हें उनके Systemic Importance Scores (SISs) के आधार पर उपयुक्त बकेट में रखना जरूरी थी.

एसबीआई के मामले में रिस्क वेटेज एसेट्स (RWAs) के प्रतिशत के रूप में अतिरिक्त एडिशनल कॉमन इक्विटी टियर 1 की आवश्यकता 0.60% है, जबकि अन्य ICICI बैंक और HDFC बैंक के लिए यह 0.20% है. 

वित्तीय संकट पर नजर रखता है SIB 

केंद्रीय बैंक के मुताबिक,अगर भारत में विदेशी बैंक के ब्रांच,एक G-SIB (Global Systemically Important Bank) है, तो उसे अपने RWA के अनुपात के अनुसार, देश में अतिरिक्त CET1 कैपिटल सरचार्ज को बनाए रखना होगा. SIB वित्तीय संकट के वक्त बैंकों की मदद सरकार के जरिए करता है. ये बैंक फंडिंग मार्केट में कुछ खास फायदों का भी लाभ लेते हैं.

इसके अलावा SIB को पर्यवेक्षण के उच्च स्तर के अधीन किया जाता है ताकि किसी भी विफलता की स्थिति में वित्तीय सेवाओं में व्यवधान को रोका जा सके.

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