जुकाम-खांसी से परेशान हैं? हो सकता है एलर्जिक अस्थमा, जानिए कैसे करें पहचान

बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम और छींक आने जैसी समस्याएं बेहद कॉमन हो जाती हैं। लेकिन यही वो मौसम होता है, जब लोगों को एलर्जी होने का खतरा काफी ज्यादा बना रहता है। 
जुकाम-खांसी से परेशान हैं? हो सकता है एलर्जिक अस्थमा, जानिए कैसे करें पहचान
दून हॉराइज़न, नई दिल्ली

अकसर लोग सर्दी-जुकाम को आम समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं सर्दी-जुकाम, छींक और खांसी जैसे लक्षण कई बार एलर्जिक अस्थमा का कारण भी हो सकते हैं। दिल्ली के डॉ कहते हैं कि अस्थमा एक सांस से जुड़ी स्थिति है, जो व्यक्ति के फेफड़ों को प्रभावित करके ब्रोन्कियल ट्यूबों में सूजन पैदा करके अतिरिक्त बलगम पैदा करते हैं।

जिसकी वजह से मांसपेशियों के बीच से हवा पास करने और सांस लेने में दिक्कत महसूस हो सकती है। जिसकी वजह से सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आती है। सही समय पर खासतौर पर एलर्जी वाले बदलते मौसम में अगर इस समस्या का इलाज ना किया जाए तो यह अस्थमा घातक भी हो सकता है।

क्या होता है एलर्जिक अस्थमा

एलर्जिक अस्थमा उस स्थिति को कहते हैं, जब कोई एलर्जी अस्थमा के साथ मिल जाती है। ऐसी स्थिति में आप जब कभी एलर्जी वाली किसी चीज के संपर्क में आते हैं या सांस लेते हैं तो आपके वायुमार्ग सख्त हो जाते हैं। यूं तो कई तरह की चीजें व्यक्ति के अस्थमा को ट्रिगर कर सकती हैं।

लेकिन चाहे भोजन हो या दवा, इन सभी में एक चीज जो कॉमन है वो है पर्यावरण। उदाहरण के लिए पालतू जानवरों की रूसी, धूल के कण, तिलचट्टे, नमी,फफूंदी, पराग एलर्जी के लक्षण पैदा कर सकते हैं। डॉ का कहना है कि यदि आपके पालतू जानवर या आपके बिस्तर पर मौजूद धूल के कण इस तरह की एलर्जी को ट्रिगर करते हैं, तो आपको साल भर इसके लक्षण दिख सकते हैं। लेकिन पराग या फफूंदी इस स्थिति को केवल मौसमी रूप से ट्रिगर करती है।

एलर्जिक अस्थमा के लक्षण

एलर्जिक राइनाइटिस, या हे फीवर, आपकी नाक और साइनस को प्रभावित करता है। जिसके ये लक्षण हो सकते हैं-

  • छींक आना
  • जकड़न
  • नाक और आंखों में खुजली होना।

अस्थमा मुख्य रूप से आपके फेफड़ों को प्रभावित करके ये लक्षण पैदा कर सकता है।

  • खांसी
  • घरघराहट
  • सीने में जकड़न
  • सांस लेने में तकलीफ या तेज-तेज सांस लेना

हालांकि अगर व्यक्ति को एलर्जिक अस्थमा है, तो उसमें ऊपर बताए गए दोनों ही लक्षण एक साथ विकसित होने की संभावना बनी होती है।

अस्थमा का कारण

कुछ लोगों में अभी तक पूरी तरह से अस्थमा विकसित होने के सटीक कारणों का पता नहीं चल पाया है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह पर्यावरण और आनुवंशिक कारकों का मिश्रण होता है। एक्सपर्ट की माने तो यह दोनों ही कारण अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। बावजूद इसके अस्थमा का खतरा पराग, धूल के कण, फफूंद बीजाणु और पालतू जानवरों की रूसी से भी हवा से फैलकर एलर्जी को बढ़ावा दे सकते हैं।

बदलता मौसम लाता है अलग एलर्जी का खतरा

बदलता मौसम अपने साथ अलग-अलग तरह की एलर्जी लेकर आता है। जो अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों की मुश्किलों को बढ़ा सकता है। उदाहरण के लिए, गर्मियों में हवा से होने वाली एलर्जी का जैसे परागकण, प्रदूषण और धुआं का खतरा बढ़ जाता है तो मानसून की शुरुआत में फफूंदी, नमी और यहां तक ​​कि सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे श्वसन संक्रमण का खतरा बढ़ने लगता है।

इसके अलावा गर्म हवा और उमस भरे वातावरण में भी अस्थमा के लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं,जिससे हवा की गुणवत्ता बिगड़ती है। ये सभी स्थिति खासतौर पर बच्चों में सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न और घरघराहट जैसे लक्षणों को ट्रिगर कर सकती हैं। लंबे समय तक परेशानी बने रहने पर अस्थमा की स्थिति खराब हो सकती है,जिससे फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित होने के साथ इन्हेलर का उपयोग बढ़ सकता है।

अस्थमा का उपचार और बचाव के उपाय

बता दें, अस्थमा को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन कुछ उपचार अपनाकर इसके लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। ताकि इस समस्या से परेशान लोग बिना कोई समझौता किए एक अच्छा सक्रिय जीवन जी सकें। अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को इन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।

  • अस्थमा का संदेह होने पर या लंबे समय तक लगातार खांसी या घरघराहट बने रहने पर समस्या का शीघ्र पता लगाने और निदान करने के लिए टेस्ट करवाएं। जिससे फेफड़ों की क्षति को रोका जा सकता है।
  • अस्थमा के लक्षण बिगड़ते हैं या दवा अप्रभावी होती है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
  • अपने चिकित्सक से परामर्श किए बिना निर्धारित दवा से अधिक न लें, क्योंकि अधिक उपयोग से अस्थमा की स्थिति खराब हो सकती है।
  • अस्थमा की नियमित जांच करवाएं।
  • घर से बाहर निकलते समय चेहरे पर मास्क का प्रयोग करें।
  • घर की साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। खासतौर पर बिस्तर, गद्दों और तकियों को साफ करने के लिए अच्छी तरह वैक्यूमिंग करें।
  • अपनी बॉडी को डाइट में फलों और सब्जियों को शामिल करके हाइड्रेटेड रखना। फल और सब्जियां एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं। जिससे फेफड़ों में इर्रिटेशन और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • जीवनशैली में योग, ध्यान को शामिल करके तनाव को कंट्रोल करें।

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