Ganesh Chaturthi 2023: गणपति बप्पा के पूजन की कर लें तैयारी, इस दिन घर में आएगी गणेश जी की सवारी

नई दिल्ली, 13 सितम्बर, 2023 : भादों अर्थात भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष में चतुर्थी तिथि को गणेश जी की प्रतिमा स्थापना के साथ ही 10 दिनों तक यह महोत्सव चलता है. गणपति, गणेश, विनायक, लंबोदर या अन्य किसी भी नाम से उन्हें पुकार जाए, वह हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं, जिनका पूजन उनकी योग्यता, बौद्धिक क्षमता और श्रेष्ठता के चलते सभी देवताओं में सबसे पहले किया जाता है.
उनका स्थान सिर्फ एक पूजा की मूर्ति नहीं बल्कि इससे कहीं अधिक है. गणेश जी एक हाथी के मुख और एक मानव शरीर के संयोजन के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं. वह संघर्ष, नवाचार, और सामाजिक समरसता के प्रतीक के रूप में माने जाते हैं. इस वर्ष यह गणेश महोत्सव 19 सितंबर मंगलवार से प्रारंभ होगा.
असीम शक्तियों के परिचायक
यूं तो पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती की आज्ञा से गणेश जी घर की सुरक्षा कर रहे थे और शिव जी को भी अंदर नहीं जाने दिया तो क्रोधित होकर शिव जी ने गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया. माता पार्वती यह दृश्य देख कर विलाप करने लगीं तो भगवान शिव ने ही उनके हाथी का मुख लगाकर जीवित कर दिया.
हाथी के मुख से उनका बहुत गहरा नाता है. हाथी को उसकी मजबूती, बुद्धिमत्ता और विवेक के लिए माना जाता है. गणेश जी के इस अद्वितीय रूप में उनकी असीम शक्तियों और सामर्थ्य की पहचान होती है.
विघ्नहर्ता गणेश जी
गणेश जी को 'विघ्नहर्ता' भी कहा जाता है, जो विघ्न और अड़चनों को दूर करने वाले का संकेत है. इसलिए, हर शुभ कार्य की शुरुआत में उनकी पूजा की जाती है, ताकि वह कार्य बिना किसी अड़चन के संपन्न हो सके.
साहित्यिक और सामाजिक महत्व
हिंदी, संस्कृत, और मराठी साहित्य में गणपति जी पर अनेक कविताएं, भजन और गीत लिखे गए हैं जिसमें उनके विविध रूपों और महत्व को व्यक्त किया गया है. गणपति का महत्व सिर्फ धार्मिक और उपासना की दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी है.