गुप्त नवरात्रि 2024: जानिये कलश स्थापना विधि, पूजा मंत्र और शनि, राहु-केतु के प्रभाव कम करने के उपाय
पहला चैत्र नवरात्र, दूसरा शारदीय नवरात्र आश्विन माह में और दो गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ महीने में मां आदि शक्ति की आराधना की जाती है। वहीं, तंत्र-मंत्र की साधना में लीन रहने वाले लोगों के लिए गुप्त नवरात्र बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। आचार्य अवधेश निर्मलेश पाठक बताते हैं कि साल में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। ये व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
शक्ति साधना का सबसे महत्वपूर्ण पर्व नवरात्रि को सनातन धर्म का सबसे पवित्र व ऊर्जादायक पर्व माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में 10 महाविधाओं की पूजा-अर्चना की जाती है। इसका सबसे महत्वपूर्ण समय मध्य रात्रि से सूर्योदय तक अधिक प्रभावशाली बताया गया है।
पंडित अवधेश निर्मलेश पाठक ने बताया कि पंचांग के मुताबिक, अषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि का 6 से 15 जुलाई तक होगा। गुप्त नवरात्रि 9 दिन नहीं बल्कि इस बार 10 दिनों की है। माता रानी के भक्त गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना करेंगे।
शनि, केतु-राहु ग्रह करें शांत
मां की अराधना, हवन आदि कर शनि, राहु और केतु से छुटकारा पाने की कामना इन ग्रहों से ग्रसित लोग करेंगे। ये तीनों ग्रह तंत्र कारक माने जाते हैं। इसलिए इन ग्रहों से छुटकारा पाने के लिए तंत्र साधना किया जाएगा। भगवान विष्णु शयन काल की अवधि के बीच होते हैं, तब देव शक्तियां कमजोर होने लगती हैं। इन विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि की घट स्थापना शुभ मुहूर्त में 06 जुलाई की सुबह 05:11 मिनट से 07:26 मिनट तक कर सकते हैं। अगर इस मुहूर्त में कलश स्थापन नहीं कर पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजे से लेकर 12:15 बजे तक कर लें। इन दो मुहूर्त में कलश स्थापन करना शुभकारी होगा।
आचार्य अशेष समर पाठक ने बताया कि देवी भागवत के अनुसार, जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। ठीक उसी तरह गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। उनकी पूजा तब कि जाती है जब पृथ्वी पर रुद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढ़ने लगता है। मां कामख्या की पूजा का जुलाई में ज्यादा महत्व है। मनोवांछित सिद्धि मिलती है।
गुप्त नवरात्रि की देवियां
गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं। शक्तियों की प्राप्ति के लिए शक्ति साधना और महा कालिका की खास पूजा विभिन्न मंदिरों और घरों में होगी।