Nirjala Ekadashi 2025 : व्रत करते समय हो गई ये गलती, तो नहीं मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद

Nirjala Ekadashi 2025 : Nirjala Ekadashi 2025 में व्रत रखने से पहले जानिए क्या करें और क्या नहीं। भीमसेनी एकादशी के नियम, महत्व और सावधानियों की पूरी जानकारीNirjala Ekadashi 2025 में व्रत रखने से पहले जानिए क्या करें और क्या नहीं।
Nirjala Ekadashi 2025 : व्रत करते समय हो गई ये गलती, तो नहीं मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद

Nirjala Ekadashi 2025 : हिंदू पंचांग के अनुसार साल की सबसे कठोर लेकिन फलदायी एकादशी होती है – निर्जला एकादशी। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, और यह नाम पड़ा भीम की कठिन परीक्षा के कारण।

इस व्रत में न जल पीया जाता है, न अन्न खाया जाता है। फिर भी, श्रद्धालु इस दिन तपस्या करते हैं क्योंकि यह व्रत मोक्षदायी माना गया है – ऐसा व्रत जो जीवनभर के पापों को धो देता है।

व्रत की तारीख और महत्व

इस साल Nirjala Ekadashi 2025 में 6 जून को शुक्रवार के दिन आ रही है। इस दिन को लेकर धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि जो भी व्यक्ति पूरी निष्ठा से व्रत करता है, उसे भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन इसके लिए कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना ज़रूरी है।

इन बातों का रखें खास ध्यान वरना व्रत हो सकता है निष्फल

झाड़ू-पोंछा? एक दिन पहले ही कर लें

एकादशी के दिन झाड़ू या पोंछा लगाना मना है। शास्त्रों में इसे सूक्ष्म जीवों की हिंसा माना गया है – खासकर चींटियों की। इसलिए घर की सफाई व्रत से एक दिन पहले पूरी कर लें ताकि पुण्य पर कोई आंच न आए।

दांत ब्रश करने से भी बचें

आजकल भले ही ये अजीब लगे, लेकिन एकादशी के दिन रासायनिक टूथपेस्ट या ब्रश का उपयोग वर्जित है। इसकी जगह गर्म पानी से कुल्ला करें या जामुन के पत्ते इस्तेमाल करें। यह प्राकृतिक तरीका व्रत की पवित्रता को बनाए रखता है।

अन्न और जल का त्याग ही है व्रत का सार

निर्जला यानी 'बिना जल के' एकादशी। इस दिन भोजन और पानी दोनों से दूर रहना होता है। अगर स्वास्थ्य अनुमति दे, तो पूरे दिन उपवास रखकर सिर्फ भगवान विष्णु के भजन और जाप में लीन रहें।

तुलसी जी को जल न चढ़ाएं

तुलसी माता भी इस दिन व्रत में होती हैं, इसलिए उन्हें जल अर्पित करना वर्जित है। तुलसी को न छुएं, न जल चढ़ाएं और न पत्तियां तोड़ें – वरना व्रत खंडित हो सकता है।

नमक, चावल और तामसिक भोजन को कहें ना

इस दिन चावल खाना अशुभ माना गया है। मान्यता है कि चावल खाने वाले को अगले जन्म में कीड़े-मकोड़े का रूप मिलता है। साथ ही मसूर दाल, लहसुन, प्याज, बैंगन जैसी तामसिक चीजों से दूर रहें।

मांस और शराब से पूरी तरह दूरी रखें

जैसे-जैसे शरीर को शुद्ध किया जाता है, वैसे ही आत्मा को भी। इसलिए मांस, शराब या किसी भी प्रकार की नशीली चीज़ों से पूरी तरह बचें।

बाल और नाखून न काटें

यह दिन आत्मिक शुद्धि का है, न कि शरीर की सजावट का। इसलिए बाल या नाखून काटने से परहेज करें। इन छोटे कार्यों से भी पुण्य प्रभावित हो सकता है।

रात को जागरण करें

एकादशी की रात को जागना और श्री हरि के भजन करना व्रत का एक अहम हिस्सा है। कहते हैं, जो रातभर भक्ति में जागता है, उसे अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

Nirjala Ekadashi का पालन करें पूरी श्रद्धा से

ये व्रत सिर्फ शरीर को तपाने का नहीं, आत्मा को शुद्ध करने का माध्यम है। हर नियम, हर परहेज़ एक साधना है – भगवान विष्णु के चरणों तक पहुंचने की। यदि आप पूरे मन से नियमों का पालन करें, तो यह व्रत आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का मार्ग खोल सकता है।

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