अमेठी से गांधी परिवार का ना लड़ना इस बात का संकेत है कि उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली : स्मृति ईरानी

अमेठी से गांधी परिवार का ना लड़ना इस बात का संकेत है कि उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली : स्मृति ईरानी
अमेठी से गांधी परिवार का ना लड़ना इस बात का संकेत है कि उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली : स्मृति ईरानी 
दून हॉराइज़न, उत्तर प्रदेश

Amethi Lok Sabha Seat: कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी अमेठी सीट को छोड़कर रायबरेली से चुनाव लड़ने को लेकर सत्तारूढ़ दल बीजेपी के निशाने पर आ गए हैं। पीएम मोदी ने राहुल गांधी के रायबरेली जाने पर 'डरो मत, भागो मत' वाले स्टाइल में करार हमला बोला तो अब अमेठी से सांसद और भाजपा उम्मीदवार ने भी राहुल गांधी को जमकर घेरा।

दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने बड़ा फैसला करते हुए अमेठी से केएल शर्मा को उम्मीदवार घोषित किया, जबकि राहुल गांधी अमेठी की जगह रायबरेली से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। ऐसे में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चुनाव से पहले ही उन्होंने अमेठी से हार मान ली है।

मीडिया से बात करते हुए स्मृति ईरानी ने केएल शर्मा को उम्मीदवार बनाने और राहुल के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर कहा, "मेहमानों का स्वागत है। हमलोग अतिथियों के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे"

अमेठी को लेकर स्मृति ईरानी का दावा

वहीं राहुल गांधी पर बात करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि,"इतना ही कह दूं कि अमेठी से गांधी परिवार का ना लड़ना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव में वोट पड़ने से पहले ही अमेठी से अपना हार स्वीकार कर चुकी है। अगर उन्हें लगता कि यहां जीत की कोई भी गुंजाइश हो तो वे यहां से लड़ते।"

स्मृति ईरानी ने आगे कहा कि, "अगर बीजेपी सांसद के तहत पिछले पांच वर्षों में अमेठी में विकास संभव था, तो कांग्रेस ने पिछले कई दशकों में अमेठी को इतना नुकसान क्यों पहुंचाया? पिछले तीन साल में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व जनता के लिए वहां मौजूद नहीं था, जिन्हें अमेठी ने अस्वीकृत कर दिया, अमेठी छोड़ के वायनाड चल गए, वो रायबरेली के पूर्णता कभी नहीं हो पाएंगे।"

नामांकन के बाद क्या बोले केएल शर्मा?

अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा ने अपने नामांकन के बाद कहा, "यहां का रण तो जनता के हाथ में है वो किसे जिताएगी और किसे हराएगी। हमारा संगठन यहां पहले से काम कर रहा है और हम उसी के बल पर चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे। जनता बहुत पहले ही मन बना लेती है, चुनाव तो औपचारिकता है। जनता अपने मन में पहले ही धारणा बना लेती है कि पहले जिसे मतदान दिया गया था वो सही था या गलत।"

Share this story