IAS Success Story: पिता के साथ चाय बेची, गरीबी से लड़कर ऐसे बने IAS, पढ़े Success Story

हिमांशु ने गरीबी से लड़ते हुए भारत की सबसे मुश्किल परीक्षा यूपीएससी अच्छी रैंक के साथ पास की और आईएएस बनर पूरे परिवार का मान बढ़ाया।
IAS Success Story: पिता के साथ चाय बेची, गरीबी से लड़कर ऐसे बने IAS, पढ़े Success Story

फिल्म 'ओम शांति ओम' में शाहरुख खान का एक डायलॉग है।।। "अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलाने में लग जाती है"

यह डायलॉग रियल जिंदगी में भी सही साबित होता है, बस जरूरत होती है कड़ी मेहनत की। ऐसे अनगिनत लोग हैं जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर तमाम चुनौतियों और आभाव को मात देते हुए कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचे हैं।

इन्हीं अनगिनत लोगों में से एक हैं हिमांशु गुप्ता। हिमांशु ने गरीबी से लड़ते हुए भारत की सबसे मुश्किल परीक्षा यूपीएससी अच्छी रैंक के साथ पास की और आईएएस बनर पूरे परिवार का मान बढ़ाया। आइए जानते हैं कैसा रहा है हिमांशु गुप्ता का सफर।

यहां से आया पढ़ लिखकर कुछ बनने का विचार

हिमांशु गुप्ता का जन्म उत्तराखंड के एक गरीब परिवार में हुआ था। वह बचपन में पढ़ाई के साथ-साथ पिता के साथ उनकी ठेली पर चाय बेचा करते थे। इस दौरान उन्होंने कई अनपढ़ लोगों को देखा जो पैसा तक नहीं गिन पाते थे।

इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि वह पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनेंगे। अपने सपने को सच करने के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया। बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया, पेड ब्लॉग्स लिखे और कुछ दूसरे काम भी किए।

चाय बेचने की बात पर स्कूल में साथी उड़ाते थे मजाक

हिमांशु ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शुरुआती शिक्षा में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था। उनके घर से स्कूल 35 किलोमीटर दूर था। ऐसे में रोजाना वह 70 किलोमीटर की आवाजाही करते थे।

इसके बाद शाम तक पिता की काम में मदद करते थे। वह कहते हैं कि जब कभी स्कूल वैन पापा के चाय के ठेले के पास से गुजरती थी तो मैं छिप जाता था, लेकिन एक दिन किसी ने मुझे चाय बेचते देख लिया।

इसके बाद स्कूल में सभी लोग मेरा मजाक उड़ाने लगे। मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया और अपने लक्ष्य पर फोकस किया।

पहली कोशिश में नहीं हो पाए थे सफल

हिमांशु गुप्ता ने बताया कि, 12वीं के बाद वह दिल्ली आ गए थे। यहां हिंदू कॉलेज में ग्रैजुएशन के लिए दाखिला ले लिया। ग्रेजुएशन के दौरान ही वह यूपीएससी की तैयारी में भी जुट गए थे।

उनके पास कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे, ऐसे में उन्होंने कभी कोचिंग नहीं ली। सेल्फ स्टडी पर फोकस किया। वह कहते हैं कि मुझे अंग्रेजी नहीं आती थी, इसलिए मैं अंग्रेजी मूवी डीवीडी खरीदता था और उन्हें देखकर सीखता था।

ग्रैजुएशन के बाद उन्होंने यूपीएससी में पहला प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने और मेहनत शुरू की।

तीन बार पास की यूपीएससी की परीक्षा

इसके बाद हिमांशु ने 2018 में यूपीएससी की परीक्षा दी। उनकी 304 रैंक आई थी। उनका चयन भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) के लिए हुआ। 2019 में उन्हें आईपीएस की रैंक मिली, लेकिन वह इतने भर से संतुष्ट नहीं थे।

हिमांशु का लक्ष्य आईएएस था और वह इसके लिए लगे रहे। उन्होंने 2020 में भी परीक्षा दी और अंततः उनकी 139वीं रैंक आई और वह आईएएस बन गए।

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