Cheque Bounce के लिए कितना जुर्माना? नए नियमों के अनुसार जानिये कितनी हो सकती है सजा
चेक बाउंस होने पर दोषी (cheque bounce case) वह शख्स माना जाता है जिसने चेक दिया है। यानी अगर आपको चेक किसी और ने दिया है और वह बाउंस हो गया है तो दोषी वह शख्स होगा।
चेक बाउंस (cheque bounce reason) होने पर उस शख्स को एक लीगल नोटिस भेजा जाएगा। इसका जवाब शख्स को 15 दिन के अंदर देना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
चेक बाउंस होने का केस (cheque bounce case) भी इस एक्ट की धारा 148 के तहत दर्ज किया जा सकता है। यह एक दंडनीय अपराध होता है। इसमें दोषी को 2 साल तक की जेल मिल सकती है।
इतना ही नहीं चेक बाउंस होने पर 800 रुपये तक की पेनल्टी (check bounce penalty)लग सकती है। पेनल्टी से अलग चेक बाउंस होने पर जुर्माना भी लगाया जाता है। यह चेक पर लिखी रकम का दोगुना हो सकता है।
हालांकि, यह केवल बैंक द्वारा चेक को डिस्ऑनर (cheque bounce case solution) करने के केस में होता है। चेक बाउंस होने पर ग्राहक के भी कुछ अधिकार होते हैं।
अगर चेक बाउंस होने में सजा 7 साल से कम है इसलिए यह जमानती अपराध है। इसमें अंतिम फैसला आने तक जेल नहीं होती है। अगर इस मामले में किसी को सजा मिलती है तो वह ट्रायल कोर्ट के सामने दंड प्रक्रिया संहिता 389(3) के तहत आवेदन कर सकते हैं।