27 मई का पंचांग : मंगलवार की अमावस्या पर वृषभ राशि में चंद्रमा, जानें इसका क्या असर पड़ेगा आप पर

हिंदू संस्कृति में वैदिक पंचांग (Vedic Panchang) का विशेष महत्व है। यह समय और काल की सटीक गणना का आधार है, जो हमारे जीवन में शुभ कार्यों के लिए सही समय चुनने में मदद करता है।
27 मई 2025 (Tuesday) को ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि होगी, जो सुबह 08:33 तक रहेगी। इस दिन रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) और सुकर्माण योग (Sukarma Yoga) का संयोग रहेगा, जो कई कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
आइए, इस दिन के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat), राहुकाल (Rahu Kaal), और पंचांग के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।
शुभ मुहूर्त और राहुकाल
27 मई 2025 को अभिजीत मुहूर्त (Abhijeet Muhurat) दोपहर 11:44 से 12:37 तक रहेगा। यह समय नए कार्य शुरू करने, पूजा-पाठ, या किसी महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए आदर्श माना जाता है। वहीं, राहुकाल (Rahu Kaal) दोपहर 15:29 से 17:08 तक रहेगा।
इस दौरान कोई भी शुभ कार्य शुरू करना वर्जित है, क्योंकि राहुकाल को अशुभ समय माना जाता है। इस दिन सूर्योदय (Sunrise) सुबह 05:34 पर और सूर्यास्त (Sunset) शाम 18:47 पर होगा। चंद्रमा वृषभ राशि (Taurus) में संचरण करेंगे, जो स्थिरता और समृद्धि का प्रतीक है।
पंचांग के पांच प्रमुख अंग
हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) पांच प्रमुख अंगों—तिथि, नक्षत्र, वार, योग, और करण—पर आधारित है। ये अंग समय की गणना और शुभ-अशुभ समय का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए, इनके बारे में संक्षेप में जानते हैं:
- तिथि: तिथि चंद्रमा और सूर्य की स्थिति के आधार पर निर्धारित होती है। 27 मई को अमावस्या (Amavasya) सुबह 08:33 तक रहेगी। यह तिथि पितृ कार्यों और विशेष पूजा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
- नक्षत्र: इस दिन रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) रात 26:50 (अगली तारीख) तक प्रभावी रहेगा। यह नक्षत्र सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक है और कई शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
- वार: 27 मई मंगलवार (Tuesday) है, जो मंगल ग्रह से प्रभावित होता है। यह दिन हनुमान जी की पूजा और साहसिक कार्यों के लिए विशेष माना जाता है।
- योग: सुकर्माण योग (Sukarma Yoga) रात 22:53 तक रहेगा। यह योग सफलता और अच्छे कर्मों के लिए शुभ माना जाता है।
- करण: इस दिन प्रथम करण नाग (Naga Karan) सुबह 08:33 तक और द्वितीय करण किमस्तोगना (Kimstughna Karan) शाम 18:48 तक रहेगा। करण तिथि के दो हिस्सों को दर्शाता है और शुभ कार्यों के समय को और सटीक करता है।
पंचांग का महत्व और उपयोग
वैदिक पंचांग (Vedic Panchang) न केवल धार्मिक कार्यों बल्कि दैनिक जीवन के निर्णयों में भी महत्वपूर्ण है। चाहे विवाह, गृह प्रवेश, या कोई नया व्यवसाय शुरू करना हो, पंचांग के आधार पर शुभ समय का चयन कार्य की सफलता को बढ़ाता है।
इस दिन का विक्रमी संवत् 2082 (Vikrami Samvat) और शक संवत् 1947 (Shaka Samvat) होगा, जो विश्वावसु (Vishvavasu) नाम से जाना जाता है। ज्येष्ठ मास (Jyeshtha Month) गर्मी के मौसम में आता है और इस दौरान पूजा-पाठ और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है।
जीवन में पंचांग की प्रासंगिकता
आज के आधुनिक युग में भी पंचांग का उपयोग केवल धार्मिक कार्यों तक सीमित नहीं है। यह हमें समय प्रबंधन, प्रकृति के साथ सामंजस्य, और जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
27 मई 2025 को अमावस्या (Amavasya) होने के कारण यह दिन पितृ तर्पण और दान-पुण्य के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है। साथ ही, रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) का प्रभाव इस दिन को रचनात्मक कार्यों और प्रेम-संबंधी मामलों के लिए भी अनुकूल बनाता है।
इस दिन की खासियत यह है कि सुकर्माण योग (Sukarma Yoga) और अभिजीत मुहूर्त (Abhijeet Muhurat) का संयोग इसे कई कार्यों के लिए शुभ बनाता है। हालांकि, राहुकाल (Rahu Kaal) का ध्यान रखना जरूरी है ताकि कोई भी महत्वपूर्ण कार्य इस अशुभ समय में शुरू न हो।
पंचांग के आधार पर सही समय का चयन न केवल कार्य की सफलता सुनिश्चित करता है, बल्कि मन में आत्मविश्वास और सकारात्मकता भी लाता है।