बाबा रामदेव का मास्टर स्ट्रोक, इस तरह भारत के बचाएगा 9 लाख करोड़

Patanjali ने Malaysia की सरकार के साथ एक ऐतिहासिक डील की है, जिसके तहत 2027 तक 40 लाख पाम तेल के बीज (Palm Oil Seeds) भारत को सप्लाई किए जाएंगे। यह कदम भारत के 9 लाख करोड़ रुपये के खाद्य तेल आयात बिल (Edible Oil Import Bill) को कम करने और आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
बाबा रामदेव का मास्टर स्ट्रोक, इस तरह भारत के बचाएगा 9 लाख करोड़

भारत की रसोई में खाना पकाने के लिए तेल की मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मांग को पूरा करने के लिए भारत को हर साल लाखों करोड़ रुपये का खाद्य तेल (Edible Oil) आयात करना पड़ता है? वित्त वर्ष 2025 में भारत का खाद्य तेल आयात बिल 104 बिलियन डॉलर यानी करीब 9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

यह राशि न केवल हमारी अर्थव्यवस्था पर बोझ डालती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशों पर कितने निर्भर हैं। लेकिन अब Patanjali ने इस चुनौती को कम करने का बीड़ा उठाया है। Malaysia की सरकार के साथ एक ऐतिहासिक डील के जरिए Patanjali भारत में पाम तेल (Palm Oil) के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रहा है। आइए, इस डील के बारे में विस्तार से जानते हैं और समझते हैं कि यह भारत के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है।

Patanjali और Malaysia की डील: एक नई शुरुआत

Patanjali ने Malaysia की सरकारी एजेंसी सावित किनाबालु समूह के साथ एक महत्वपूर्ण पांच साल का अनुबंध किया है। इस समझौते के तहत Malaysia की कंपनी Patanjali को 40 लाख पाम तेल के बीज (Palm Oil Seeds) की आपूर्ति करेगी। अब तक 15 लाख बीज भारत पहुंच चुके हैं, और यह अनुबंध 2027 तक पूरा होगा। खास बात यह है कि Malaysia की यह कंपनी हर साल एक करोड़ से अधिक पाम बीजों को प्रोसेस करती है, जिससे इस डील की विश्वसनीयता और बढ़ जाती है।

इस समझौते में गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कृषि विशेषज्ञ इन बीजों की गुणवत्ता की निगरानी करेंगे और उत्पादन स्थलों का नियमित दौरा करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत में उगाए जाने वाले पाम के पौधे उच्च गुणवत्ता वाले हों। यह पहली बार है जब Malaysia की सरकार ने किसी विदेशी कंपनी के साथ इस तरह का अनुबंध किया है, जो भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

भारत में पाम तेल की खेती: वर्तमान और भविष्य

भारत में पाम तेल की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। वर्तमान में देश में लगभग 3,69,000 हेक्टेयर भूमि पर पाम की खेती हो रही है, जिसमें से 1,80,000 हेक्टेयर पर पाम के पेड़ उत्पादन के लिए तैयार हैं। 2024 तक यह क्षेत्र बढ़कर 3,75,000 हेक्टेयर हो गया है, और अगले कुछ वर्षों में इसमें 80,000 से 1,00,000 हेक्टेयर का और इजाफा होने की उम्मीद है।

केंद्र सरकार का लक्ष्य 2030 तक पाम की खेती को 66 लाख हेक्टेयर तक विस्तारित करना है, जिससे 28 लाख टन पाम तेल का उत्पादन हो सके। इस दिशा में नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स-पाम ऑयल (National Mission on Edible Oils-Palm Oil) एक महत्वपूर्ण पहल है, जो खास तौर पर पूर्वोत्तर भारत और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह में पाम की खेती को बढ़ावा दे रही है।

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल भारत के कुल पाम तेल उत्पादन में 98% हिस्सेदारी रखते हैं। Patanjali भी पूर्वोत्तर भारत में 2026 तक एक पाम तेल मिल स्थापित करने की योजना बना रहा है, जो इस क्षेत्र में स्थानीय रोजगार और उत्पादन को बढ़ावा देगा।

9 लाख करोड़ के आयात बिल को कम करने की राह

भारत का खाद्य तेल आयात बिल अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा बोझ है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह बिल 96.1 बिलियन डॉलर से अधिक था, और 2024-25 में इसके 104 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक देश है, जो हर साल लगभग 16.23 मिलियन मीट्रिक टन तेल आयात करता है।

Patanjali की यह पहल इस आयात बिल को कम करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। पाम तेल का स्वदेशी उत्पादन बढ़ाने से न केवल विदेशी मुद्रा की बचत होगी, बल्कि स्थानीय किसानों को भी आर्थिक लाभ मिलेगा। यह योजना आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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