अब BigBasket-Zepto की कीमतों से तय होगी महंगाई! सरकार ने लिया बड़ा फैसला

भारत में महंगाई मापने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सरकार ने Blinkit, Zepto, और BigBasket जैसे ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म की कीमतों को CPI में शामिल करने की योजना बनाई है। 12 प्रमुख शहरों से ऑनलाइन डेटा जुटाकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को Repo Rate तय करने में मदद मिलेगी।
अब BigBasket-Zepto की कीमतों से तय होगी महंगाई! सरकार ने लिया बड़ा फैसला

भारत में महंगाई को मापने का तरीका अब बदलने जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जब अपनी मौद्रिक नीति तय करता है, तो वह Consumer Price Index (CPI) पर नजर रखता है। अब सरकार ने इस CPI को और सटीक बनाने के लिए ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म जैसे Blinkit, Zepto, और BigBasket पर उपलब्ध सामानों की कीमतों को शामिल करने की योजना बनाई है।

यह कदम न केवल महंगाई के आकलन को बेहतर बनाएगा, बल्कि देश में बदलते उपभोक्ता व्यवहार को समझने में भी मदद करेगा। आइए, इस नए बदलाव को विस्तार से जानें।

ऑनलाइन शॉपिंग का बढ़ता प्रभाव

आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन खरीदारी भारतीय उपभोक्ताओं की पहली पसंद बन चुकी है। चाहे वह सब्जियां हों, किराने का सामान हो, या इलेक्ट्रॉनिक्स, लोग अब Blinkit और Zepto जैसे प्लेटफॉर्म पर एक क्लिक में अपनी जरूरतें पूरी कर रहे हैं।

मौजूदा CPI में किराने की दुकानों, पेट्रोल-डीजल, और टेलीफोन बिल जैसी चीजों की कीमतों को शामिल किया जाता है। लेकिन बदलते समय के साथ सरकार ने फैसला किया है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की कीमतों को भी इस गणना में जोड़ा जाए। इससे महंगाई का आकलन और सटीक होगा, खासकर उन शहरों में जहां लोग ऑनलाइन शॉपिंग पर ज्यादा निर्भर हैं।

12 शहरों से जुटेगा डेटा

सरकार की इस नई योजना के तहत 12 ऐसे शहरों से ऑनलाइन खरीदारी का डेटा जुटाया जाएगा, जहां 25 लाख से ज्यादा की आबादी रहती है। इन शहरों में Amazon, BigBasket, और Zepto जैसे प्लेटफॉर्म पर सब्जियों, फलों, और किराने के सामान की कीमतों का विश्लेषण होगा।

उदाहरण के लिए, लखनऊ में चावल की कीमत के लिए BigBasket का डेटा लिया जा सकता है, जबकि बेंगलुरु में Zepto या Amazon से जानकारी जुटाई जा सकती है। यह डेटा न केवल शहरी महंगाई को मापने में मदद करेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी उपभोक्ता व्यवहार को समझने में सहायक होगा।

डेटा संग्रह का नया तरीका

ऑनलाइन डेटा जुटाने के लिए सरकार हर शहर के प्रमुख ऑनलाइन विक्रेताओं को चुनेगी। अभी तक CPI के लिए 1,181 ग्रामीण और 1,114 शहरी बाजारों से डेटा लिया जाता है। नए बदलाव के बाद कुल 2,900 बाजारों से रिटेल कीमतों का डेटा जुटाया जाएगा। यह नया तरीका 2026 से लागू होने की संभावना है।

इससे न केवल महंगाई की गणना में पारदर्शिता आएगी, बल्कि सरकार को उपभोक्ताओं की बदलती आदतों का भी सटीक अंदाजा मिलेगा।

CPI में और क्या होगा शामिल?

नए CPI में सिर्फ ऑनलाइन किराने की कीमतें ही नहीं, बल्कि आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी कई अन्य चीजें भी शामिल होंगी। उदाहरण के लिए, Jio और Airtel के मोबाइल रिचार्ज, Netflix और Amazon Prime जैसे OTT प्लेटफॉर्म, Indigo की हवाई यात्रा, और IRCTC के रेल किराए को भी गणना में जोड़ा जा सकता है।

इतना ही नहीं, CPI का आधार वर्ष (Base Year) भी 2012 से बदलकर 2024 करने की योजना है। यह बदलाव CPI को और प्रासंगिक बनाएगा, क्योंकि यह आज के समय की जरूरतों को बेहतर ढंग से दर्शाएगा।

उपभोक्ताओं के लिए इसका क्या मतलब?

यह नया कदम उपभोक्ताओं के लिए कई मायनों में फायदेमंद हो सकता है। पहला, इससे RBI को महंगाई का सटीक आकलन करने में मदद मिलेगी, जिससे Repo Rate जैसी नीतियां तय करने में आसानी होगी। दूसरा, सरकार को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता व्यवहार की गहरी समझ मिलेगी, जिससे नीतियां और योजनाएं और प्रभावी बन सकेंगी।

तीसरा, ऑनलाइन और ऑफलाइन कीमतों की तुलना से उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प चुनने में मदद मिलेगी।

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