सावधान! ब्याज पर पैसा देने से पहले जान लें ये ज़रूरी नियम

देश में कई गरीब और जरूरतमंद लोग ऐसे भी हैं, जिनकी पहुंच बैंक तक नहीं होती है या बैंक (bank ki news)किन्हीं कारणों से उन्हें लोन देने से मना कर देता है। 
सावधान! ब्याज पर पैसा देने से पहले जान लें ये ज़रूरी नियम

भारतीय समाज में बहुत पहले से ब्याज पर पैसा दिए और लिए जाने का काम चलता आ रहा है। लोग एक दूसरे से ब्याज पर पैसा लेते और देते रहे हैं। बैंकों (latest bank news) के आने के बाद यह काम मुख्य रूप से बैंक अथवा वित्तीय संस्थाएं करने लगीं।

बैंक या वित्तीय संस्थाओं के पास चूंकि इस काम के लिए (Lending Money Rules) लाइसेंस है, तो वे रिजर्व बैंक के नियमों को फॉलो करते हुए ब्याज पर पैसा दे और ले सकते हैं। 

देश में कई गरीब और जरूरतमंद लोग ऐसे भी हैं, जिनकी पहुंच बैंक तक नहीं होती है या बैंक (bank ki news)किन्हीं कारणों से उन्हें लोन देने से मना कर देता है। ऐसे लोगों को पैसा तो चाहिए ही होता है। वे लोग गांव या शहर में बैठे साहूकारों से ब्याज पर पैसा उठाने लगते हैं।

हालांकि, ब्याज़ से संबंधित कोई भी काम (any interest related work) करने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है, लेकिन देश में कई ऐसे लोग हैं जो बिना लाइसेंस के यह काम करते हैं।

यदि आप भी ब्याज पर पैसा देकर कमाई (Earning by giving money on interest) करते हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। ऐसा करने के बहुत से नुकसान हो सकते हैं। कई लोगों को इससे जुड़ी समस्याओं के बारे में पता नहीं होता। परंतु आज हम आपको इससे संबंधित हर जरूरी चीज बताएंगे।

साहूकार कानून का पालन करना जरूरी

रिपोर्ट के अनुसार, ब्याज का धंधा करने के लिए मनी लेंडिंग एक्ट (Money Lending Act) के तहत सरकारी संस्था से लाइसेंस लेना पड़ता है। इस काम के लिए कई राज्यों में साहूकार कानून भी होता है।

इसके अंतर्गत प्राधिकृत संस्था ब्याज पर पैसे देने का काम करने वाले लोगों को लाइसेंस(licesnse for giving money on interest) देती है। अगर आप ब्याज पर पैसे बांटने का काम कर रहे हैं या करना चाहते हैं तो लाइसेंस की अनिवार्यता होती है, क्योंकि इसके बिना ब्याज पर रकम बांटने का धंधा गैरकानूनी होता है।

कैसे मिलता है लाइसेंस

ब्याज पर पैसे देने का काम (the act of paying money on interest) शुरू करने के लिए अपने राज्य में संबंधित संस्था से संपर्क करके आवेदन करना होता है। विभिन्न राज्यों में इसके लिए व्यवस्था होती है। मध्यप्रदेश में तहसील कार्यालय की कानून-गो शाखा से साहूकारी का लाइसेंस दिया जाता है। 

सबसे जरूरी बात है कि जिन लोगों का यह लाइसेंस मिलता है उन्हें एक निश्चित व सामान्य दर पर ब्याज लेने का आदेश दिया जाता है। अगर कोई लाइसेंस लेने के बाद तय दर से ज्यादा ब्याज लेता है तो शिकायत होने पर उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। 

लाइसेंस मिलने के बाद हर साल व्यक्ति को ब्याज पर रकम बांटने का लेखा-जोखा संबंधित संस्था के सामने पेश करना पड़ता है। इस तरह लाइसेंस लेकर कोई भी व्यक्ति निजी रूप से ब्याज पर पैसे बांटने का काम कर सकता है।

लाइसेंस लेने के बाद भी कई सूदखोर मोटा ब्याज वसूलते हैं और इससे कर्जदार परेशान हो जाता है। देश में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब कर्ज और ब्याज के बोझ से कई लोगों ने खुदकुशी कर ली। किसी को पैसे देकर ज्यादा ब्याज वसूलना स्पष्ट रूप से एक अपराध है।

इस धंधे में मनमर्जी से कोई भी ब्याज दर नहीं लगाई जा सकती, सिर्फ वही ब्याज लिया जाता है जो सरकार द्वारा निर्धारित हो। सरकार ने प्रतिवर्ष 13% ब्याज लगाने को कहा है कोई भी साहूकार इस दर से ब्याज वसूल कर सकता है, लेकिन अगर उसने इससे अधिक ब्याज लगाया तो यह गैरकानूनी होगा।

शातिर सूदखोरों से बचने के लिए एग्रीमेंट बनवाएं

हमेशा ब्याज माफिया से किसी भी तरह का कर्ज लेने से बचें। अगर पैसा ले रहे हैं तो उसे कोरे स्टाम्प या खाली चेक पर साइन करके न दें। कर्ज लेने वाले को एक एग्रीमेंट करना चाहिए, जिसमें रकम और ब्याज की दर स्पष्ट रूप से लिखी होनी चाहिए।

इसमें यह भी लिखा जाना चाहिए आप चेक एक सिक्योरिटी के लिए दे रहे हैं। अगर एग्रीमेंट के बावजूद कोई व्यक्ति मनमर्जी से ब्याज की वसूली करता है और इसके लिए प्रताड़ित करता है तो उस व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है।

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