चीन को भी पीछे छोड़ेगा भारत, मंदी की आशंका के बावजूद भारत करेगा कमाल!

विश्व बैंक ने अपनी ताजा वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि भारत वित्त वर्ष 2025-26 में 6.3 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। 
चीन को भी पीछे छोड़ेगा भारत, मंदी की आशंका के बावजूद भारत करेगा कमाल!

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक आर्थिक वृद्धि (Global Economic Growth) इस साल 2.3 प्रतिशत तक धीमी हो सकती है, जो 2008 की वैश्विक मंदी (Global Recession) के बाद सबसे कम गति होगी। व्यापारिक तनाव और नीतिगत अनिश्चितताओं ने दुनिया भर की लगभग 70 प्रतिशत अर्थव्यवस्थाओं के विकास अनुमानों को प्रभावित किया है।

इसके बावजूद, भारत ने अपनी आर्थिक स्थिरता को बनाए रखा है। विश्व बैंक ने अप्रैल 2025 में भारत के लिए वृद्धि अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.3 प्रतिशत किया था, लेकिन यह दर अभी भी वैश्विक औसत से कहीं अधिक है। इसका श्रेय भारत की मजबूत आंतरिक मांग (Domestic Demand) और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादन (Agricultural Production) में सुधार को जाता है।

कृषि और सेवा क्षेत्र ने संभाला मोर्चा

रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की आर्थिक वृद्धि (GDP Growth) में कुछ कमी आई, जिसका कारण औद्योगिक उत्पादन (Industrial Production) में नरमी रही। हालांकि, निर्माण क्षेत्र (Construction Sector) और सेवा क्षेत्र (Service Sector) ने स्थिर प्रदर्शन किया।

खास तौर पर ग्रामीण भारत में लचीली मांग ने कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया, जिससे देश की जीडीपी (GDP) को मजबूती मिली। यह दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural Economy) भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। विश्व बैंक ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की यह लचीलापन उसे वैश्विक मंदी के प्रभावों से बचाने में मदद कर रहा है।

चीन से आगे निकलेगा भारत

विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर (Economic Growth Rate) न केवल वैश्विक औसत से बेहतर होगी, बल्कि यह चीन (China) की वृद्धि दर को भी पीछे छोड़ देगी। जहां भारत के लिए 2025-26 में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है, वहीं चीन की अर्थव्यवस्था 2025 में 4.5 प्रतिशत और 2026 में 4 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।

इसका कारण भारत के निर्यात (Exports) में कमी के बावजूद उसकी आंतरिक मांग और विविध आर्थिक गतिविधियां हैं। विश्व बैंक ने यह भी चेतावनी दी कि वैश्विक व्यापार बाधाएं (Trade Barriers) और प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में कमजोर गतिविधियां भारत के निर्यात को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम है।

भविष्य की राह और भारत की उम्मीदें

विश्व बैंक की यह रिपोर्ट भारत के लिए एक सकारात्मक संदेश लेकर आई है। भले ही वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताएं (Economic Uncertainties) बनी हुई हैं, लेकिन भारत अपनी मजबूत नीतियों और आंतरिक मांग के दम पर दुनिया में अपनी जगह बनाए रखेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी निर्यात रणनीतियों (Export Strategies) को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि वैश्विक व्यापार की चुनौतियों का सामना किया जा सके। इसके अलावा, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में संतुलित विकास पर ध्यान देना भारत को और मजबूती देगा।

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