मौत के बाद कौन चुकाएगा क्रेडिट कार्ड का कर्ज? जानकर उड़ जाएंगे होश

क्रेडिट कार्ड आज हर जेब की शान बन चुका है, लेकिन इसके साथ कर्ज का जोखिम भी जुड़ा है। अनसिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड का बकाया कार्डहोल्डर की मृत्यु पर आमतौर पर माफ हो जाता है, बशर्ते कोई संपत्ति न हो। वहीं, सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड में बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट से कर्ज वसूल लेता है।
मौत के बाद कौन चुकाएगा क्रेडिट कार्ड का कर्ज? जानकर उड़ जाएंगे होश

आज के दौर में क्रेडिट कार्ड हर जेब का हिस्सा बन चुका है। खासकर शहरों में, जहां नौजवान इसे स्टेटस और सुविधा दोनों मानते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर रेस्तरां के बिल और छुट्टियों की बुकिंग तक, क्रेडिट कार्ड ने जिंदगी को आसान बना दिया है। लेकिन इस चमक-दमक के पीछे कर्ज का एक ऐसा साया है, जो कई बार भारी पड़ जाता है।

और अगर क्रेडिट कार्ड यूजर की अचानक मृत्यु हो जाए तो क्या होगा? उसका बकाया कर्ज कौन चुकाएगा? आइए, इस सवाल का जवाब कानून और बैंकों के नियमों की रोशनी में तलाशते हैं।

क्रेडिट कार्ड: सुविधा या जाल?

क्रेडिट कार्ड एक छोटा-सा प्लास्टिक कार्ड है, जो डेबिट कार्ड जैसा दिखता है, लेकिन काम बिल्कुल अलग करता है। डेबिट कार्ड आपके खाते का पैसा खर्च करता है, जबकि क्रेडिट कार्ड बैंक से उधार लिया पैसा। यह उधार एक तय समय में चुकाना पड़ता है। आजकल क्रेडिट कार्ड से जिंदगी की हर जरूरत पूरी हो रही है—शॉपिंग, बिल पेमेंट, ट्रैवलिंग। लेकिन बिना सोचे-समझे इस्तेमाल इसे कर्ज के दलदल में बदल सकता है।

मुश्किल वक्त में क्रेडिट कार्ड किसी वरदान से कम नहीं। बैंक आपको ग्रेस पीरियड देता है, यानी बिल की आखिरी तारीख तक पूरा बकाया चुकाने पर कोई ब्याज नहीं लगता। लेकिन अगर आपने यह मौका गंवा दिया, तो छोटा-सा कर्ज भी भारी ब्याज के साथ पहाड़ बन सकता है। यही वजह है कि क्रेडिट कार्ड को समझदारी से इस्तेमाल करना जरूरी है।

मृत्यु के बाद कर्ज का हिसाब

ज्यादातर क्रेडिट कार्ड अनसिक्योर्ड लोन की श्रेणी में आते हैं। यानी इन्हें लेने के लिए आपको कोई गारंटी, जैसे प्रॉपर्टी या जेवर, नहीं रखना पड़ता। बैंक आपकी आय, क्रेडिट स्कोर और पुराने लोन चुकाने के रिकॉर्ड के आधार पर कार्ड देता है। लेकिन अगर कार्डहोल्डर की मृत्यु हो जाए तो बकाया कर्ज का क्या होता है?

कानून कहता है कि अनसिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड का कर्ज आमतौर पर कार्डहोल्डर की मृत्यु के साथ खत्म हो जाता है। यानी परिवार वालों को यह बोझ नहीं उठाना पड़ता। हालांकि, बैंक पहले मृतक की संपत्ति, जैसे बैंक बैलेंस, प्रॉपर्टी या निवेश, से बकाया वसूलने की कोशिश करता है। अगर कुछ नहीं मिलता, तो बैंक कर्ज को बट्टे खाते में डाल देता है, यानी नुकसान खुद सहन करता है। ऐसे में परिवार को चिंता करने की जरूरत नहीं, क्योंकि अनसिक्योर्ड कर्ज उनके सिर पर नहीं आता।

सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड का अलग नियम

सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड का मामला थोड़ा जटिल है। ये कार्ड उन लोगों को मिलते हैं, जिनका क्रेडिट स्कोर कम है या आय अनिश्चित है। बैंक ऐसे कार्ड देने से पहले गारंटी मांगता है, जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट (FD)। अगर कार्डहोल्डर की मृत्यु हो जाए, तो बैंक पहले FD से बकाया वसूल लेता है। अगर FD में अतिरिक्त रकम बचे, तो वह वारिस को लौटा दी जाती है। सिक्योर्ड कार्ड का कर्ज माफ नहीं होता, क्योंकि बैंक पहले ही अपनी सिक्योरिटी सुनिश्चित कर चुका होता है।

क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल में सावधानी

क्रेडिट कार्ड की चमक आकर्षक है, लेकिन इसके जोखिम भी कम नहीं। कुछ बातों का ध्यान रखकर आप कर्ज के जाल से बच सकते हैं। हमेशा बिल समय पर चुकाएं, क्योंकि देरी से ब्याज के साथ-साथ क्रेडिट स्कोर भी खराब होता है। सिर्फ मिनिमम ड्यू अमाउंट न चुकाएं, क्योंकि इससे कर्ज लंबा खिंचता है।

क्रेडिट लिमिट के करीब खर्च करने से बचें, वरना CIBIL स्कोर पर असर पड़ सकता है। क्रेडिट कार्ड से कैश निकालना महंगा पड़ता है, क्योंकि इस पर तुरंत ब्याज लगता है। बार-बार EMI चुनने से भी कर्ज बढ़ता है, इसलिए इसे जरूरी खरीदारी तक सीमित रखें। रिवॉर्ड पॉइंट्स के लालच में फिजूलखर्ची न करें और बिना जरूरत के कई कार्ड न रखें। हर महीने स्टेटमेंट जरूर जांचें, ताकि गलत चार्ज या फ्रॉड से बचा जा सके।

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