माता सीता का किरदार निभाने का मौका मिलना मुझ पर ईश्वर का आशीर्वाद : प्राची बंसल

वे कहती हैं, मैं खुद को बेहद भाग्यशाली मानती हूँ, क्योंकि यह भूमिका अपने आप में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, जिसे मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ निभाने की कोशिश कर रही हूँ।
माता सीता का किरदार निभाने का मौका मिलना मुझ पर ईश्वर का आशीर्वाद": प्राची बंसल
दून हॉराइज़न, नई दिल्ली 

सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविज़न के 'श्रीमद रामायण' में माता सीता का किरदार निभाने का मौका मिलना मुझ पर ईश्वर का आशीर्वाद है, ऐसा कहना है प्राची बंसल का, जो शो में इस किरदार को निभाकर खुद को धन्य महसूस करती हैं। वे कहती हैं, मैं खुद को बेहद भाग्यशाली मानती हूँ, क्योंकि यह भूमिका अपने आप में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, जिसे मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ निभाने की कोशिश कर रही हूँ। दर्शकों ने मेरे प्रति जो प्यार और स्वीकार्यता दिखाई है, उसके लिए मैं सभी की आभारी हूँ और मुझे उम्मीद है कि हमें यूँ ही प्यार मिलता रहेगा।

सीता के जीवन से मिलती है योद्धा होने की सीख

मैंने माता सीता से सीखा है कि महिलाओं और पुरुषों दोनों के भीतर योद्धा की भावना मौजूद होती है, और हमें अक्सर मुश्किल हालातों का सामना करने पर ही इसका पता चलता है। हालाँकि, यह महत्वपूर्ण है कि समय आने पर हम अपने भीतर के उस योद्धा को जगाएँ और चुनौतियाँ आने पर उनका डटकर सामना करें। चाहे वह किसी गलत काम को देखना हो या व्यक्तिगत रूप से किसी मुश्किल दौर से गुज़रना हो, डटकर खड़े होना और खुद के लिए लड़ना बेहद जरुरी है।

महिलाओं के लिए संदेश: किसी को न करने दें अनादर

महिलाओं के लिए मेरा संदेश यह है कि किसी भी स्थिति में किसी को अपना अनादर न करने दें। खुद का साथ दें और अपने लिए लड़ें। मुश्किलों की परवाह किए बिना, अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करें। मुझे पूरा यकीन है कि आत्मविश्वास से आप दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकती हैं। इसलिए, खुद पर भरोसा रखें, अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करें और उन्हें खुलकर जीएँ।

परिस्थिति के अनुरूप खुद को ढालने की कला आना जरुरी

जीवन के विभिन्न चरणों के दौरान, पारस्परिक संबंधों के मामले में व्यक्ति को परिस्थिति के अनुरूप खुद को ढालने की कला आना चाहिए। हालाँकि, महिलाओं को सामाजिक रीति-रिवाज़ों और परंपराओं के तहत सहजता से फिट होने की ज्यादा कोशिश करना चाहिए, जैसे कि शादी के बाद अपने परिवार को छोड़ना और रहने के नए तरीकों को अपनाना।

हालाँकि, सही साथी और परिवार के साथ, यह सब काफी आसान हो जाता है। मैं इसे त्याग नहीं कहूँगी; इसके बजाए, मेरा मानना है कि यह छोटे-छोटे बदलाव करने के बारे में है, जिन्हें खुशी-खुशी अपनाने से ये कभी-भी बोझ महसूस नहीं होते हैं।
 

Share this story