Health Tips : आप भी करते हैं इस तेल का इस्तेमाल, जानिए कैसे बनता है दिल के लिए ज़हर

Health Tips : हमें कोल्ड-प्रेस्ड या कम प्रोसेस्ड नेचुरल तेल का इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे – सरसों का तेल, नारियल तेल या एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल। साथ ही, ओमेगा-6 और ओमेगा-3 फैटी एसिड का संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है ताकि शरीर में सूजन नियंत्रित रहे और दिल की सेहत बनी रहे।
Health Tips : आप भी करते हैं इस तेल का इस्तेमाल, जानिए कैसे बनता है दिल के लिए ज़हर

Health Tips : अक्सर हम टीवी विज्ञापनों और पैकिंग पर लिखे "हेल्दी फॉर हार्ट" जैसे टैगलाइन देखकर कुकिंग ऑयल को सेहतमंद मान लेते हैं। रिफाइंड सीड ऑयल्स – जैसे सनफ्लावर, सोयाबीन, कैनोला और कॉर्न ऑयल – आपकी सेहत को चुपचाप नुकसान पहुंचा सकते हैं।

सीड ऑयल असली खाना नहीं, फैक्ट्री का प्रोडक्ट है

तेल दरअसल "रियल फूड" की कैटेगरी में नहीं आते। इन्हें फैक्ट्रियों में बेहद हाई हीट, केमिकल्स और प्रेशर की मदद से प्रोसेस किया जाता है। इस प्रक्रिया में तेल ऑक्सिडाइज़ हो जाता है और उसके न्यूट्रिशनल स्ट्रक्चर को भारी नुकसान होता है।

शरीर में फ्री रेडिकल्स और इंफ्लामेशन का खतरा

जब हम इन ऑक्सिडाइज्ड तेलों में बना खाना खाते हैं, तो शरीर में फ्री रेडिकल्स बनने लगते हैं। यह स्थिति शरीर में सूजन (Inflammation) को बढ़ाती है, जिससे कोशिकाएं डैमेज होती हैं। नतीजतन, दिल की बीमारियों, मोटापे और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।

ओमेगा-6 की अधिकता बिगाड़ती है शरीर का संतुलन

सीड ऑयल्स में ओमेगा-6 फैटी एसिड, खासतौर पर लिनोलिक एसिड की मात्रा बहुत अधिक होती है।

यदि ये संतुलन में न हों और ओमेगा-3 की तुलना में ज़्यादा लिए जाएं, तो यह गुड कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं और सूजन को और अधिक बढ़ावा दे सकते हैं।

इसके चलते डायबिटीज़ और अन्य क्रॉनिक डिज़ीज़ का खतरा भी बढ़ता है।

ट्रांस फैट और बार-बार गर्म करने से ज़हर में बदल जाता है तेल

कुछ सीड ऑयल्स में ट्रांस फैट की मात्रा अधिक होती है, जो सीधे तौर पर कैंसर और हार्ट डिज़ीज़ से जुड़ी है।

रेस्तरां और फास्ट फूड में यही तेल बार-बार गर्म किए जाते हैं, जिससे टॉक्सिक एल्डिहाइड जैसे खतरनाक केमिकल्स बनते हैं, जो शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक हैं।

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