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बेंगलुरु में भारी बारिश से हाहाकार, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक सिटी को क्यों नहीं हुआ नुकसान?

मौसम विभाग का कहना है कि अगले पांच दिनों में लगातार भारी बारिश हो सकती है. जिससे हालात और ज्यादा खराब होने की आशंका है.
बेंगलुरु में भारी बारिश से हाहाकार, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक सिटी को क्यों नहीं हुआ नुकसान?

बेंगलुरु : कर्नाटक(Karnataka) की राजधानी और सिलिकॉन सिटी बेंगलुरु (Bengaluru Heavy Rain) में एक हफ्ते से भारी बारिश जारी है. 3 दिन से शहरभर में पानी भरा है. सड़कें स्कूल, कॉलोनियां और हाइवे(Colonies and Highways) सब पानी में डूबे हैं.

मौसम विभाग (weather department) ने बेंगलुरु में बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है. मौसम विभाग का कहना है कि अगले पांच दिनों में लगातार भारी बारिश हो सकती है. जिससे हालात और ज्यादा खराब होने की आशंका है. बारिश में बेंगलुरु का आउटर रिंग रोड बुरी तरह से प्रभावित है.

आउटर रिंग रोड, जिसे अब डॉक्टर पुनीत राजकुमार रोड नाम दिया गया है; शहर का सबसे लंबा टेक्नोलॉजी कॉरीडोर (technology corridor) है. ये 17 किमी से अधिक तक फैला है और अचानक बाढ़ का केंद्र बन गया है. मान्यता टेक पार्क और आरएमजेड इको स्पेस जैसे आईटी पार्क झीलों के करीब बनाए गए हैं. कई इमारतें भी झीलों के बफर ज़ोन में बनी हैं, ये सभी बारिश से सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, (IISc) बेंगलुरु द्वारा लैंड यूज लैंड कवर (LULC) डायनेमिक्स पर एक पेपर के अनुसार, बेंगलुरु ने 1973 और 2016 के बीच शहरी निर्मित क्षेत्र में 1005% की वृद्धि देखी है. विशेषज्ञों का कहना है कि नए आईटी पार्क समोच्च भूभाग पर खड़े हैं, जिसका अर्थ है कि यहां पानी का प्रवाह रुक रहा है. ऐसे में उन्हें बाढ़ का ज्यादा खतरा है.

प्रकृति का रोष

इंफोसिस के पूर्व निदेशक मोहनदास पई बेंगलुरु(Former Director Mohandas Pai Bengaluru) में कई नागरिक मुद्दों को हल करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. उन्होंने बारिश के दौरान जलभराव को दूर करने का सबसे आसान तरीका बताया है. उन्होंने कहा कि हमें सिर्फ नालियों को साफ रखना है.

मोहनदास पई ने एक निजी मीडिया संस्‍थान को बताया, “इलेक्ट्रॉनिक सिटी को ऐसे मुद्दों का सामना नहीं करना पड़ता है, क्योंकि वहां अच्छी नालियां हैं. हम सभी (कंपनियां) अपने नालों की नियमित सफाई कराते हैं. इंफोसिस और अन्य ऐसी कंपनियां यह सुनिश्चित करती हैं कि 2 किमी तक नालियों की सफाई की जाए.

पहले पानी जमा हो जाता था, लेकिन अब यह नियमित रखरखाव के कारण घंटों में साफ हो जाता है.” इंफोसिस के पूर्व सीएफओ ने शहर के मिलर्स टैंक बंड इलाके में 1986 की बाढ़ का जिक्र किया.

उन्होंने कहा, “उस समय कई दफ्तरों में पानी भर गया था, लेकिन पानी लंबे समय तक नहीं रहा. इसे जल्दी से निकाला गया. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी नालों की नियमित रूप से सफाई की जाए. राजकालुवे (तूफान के पानी की नालियां) को उनके मूल आकार में विस्तारित किया जाए. अवैध निर्माण को युद्ध स्तर पर हटाया जाए. तभी चीजें ठीक हो पाएंगी.”

वहीं, शहरी और नागरिक विशेषज्ञ वी रविचंदर ने कहा कि मुख्य समस्याएं अवैध अतिक्रमण, बेकार सरकार, भ्रष्टाचार और मुद्दों को हल करने और समाधान खोजने की क्षमता की कमी है. उन्होंने आगे कहा, “जब आपके पास एक बेकार सरकार, अनियमित तेजी से निर्माण, झील के विस्तार और भ्रष्टाचार है, तो ऐसी समस्याएं आएंगी ही.”

ओआरआर को सालों से राहत का इंतजार

आउटर रिंग रोड कंपनीज एसोसिएशन (ओआरआरसीए) सिल्क बोर्ड जंक्शन से केआर पुरम कॉरिडोर तक आईटी कॉरिडोर के साथ कई आईटी और बीटी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है.

16 अक्टूबर, 2017 के एक पत्र में कहा गया है: “हम आपके ध्यान में आउटर रिंग रोड पर दैनिक आधार पर काम करने वाले लाखों कर्मचारियों की दुर्दशा की ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं. स्थिति अब संकट के स्तर पर है. बेंगलुरु को प्रभावित कर रही है.

भारी बारिश के कारण ओआरआर पर सर्विस रोड की स्थिति चिंताजनक है. इसके अलावा नालों को केंद्रीय पाइपलाइन से नहीं जोड़ा जाता है, जिससे सर्विस रोड पर पानी छोड़ा जाता है. इससे हालात और भी खराब हो जाते हैं.”

ओआरआरसीए ने बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को 1 महीने पहले इकोस्पेस के पास नाले को हटाने की जरूरत के लिए लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. आज हमारे सामने इकोस्पेस के सामने बाढ़ की समस्या है.

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