Waqf Amendment Bill : वक्फ संशोधन कानून पर विपक्ष का बड़ा हमला, सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर सस्पेंस

Waqf Amendment Bill : हाल ही में केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन कानून 2025 को संसद में पारित किया, जिसके बाद से देश में एक नया विवाद छिड़ गया है। इस कानून का विरोध न केवल विपक्षी दल कर रहे हैं, बल्कि कई मुस्लिम संगठन और प्रमुख नेता भी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुके हैं। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस कानून को अल्पसंख्यक समुदाय के हितों के खिलाफ बताते हुए इसे चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई कुल 10 याचिकाओं पर बुधवार को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ सुनवाई करेगी। यह सुनवाई दोपहर 2 बजे शुरू होगी, और पूरे देश की निगाहें इस पर टिकी हैं। लेकिन सुनवाई से पहले ही कुछ संगठनों और नेताओं की ओर से धमकी भरे बयान सामने आए हैं, जिसने माहौल को और गर्म कर दिया है।
सड़कों पर उतरने की धमकी
वक्फ संशोधन कानून को लेकर कुछ संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को न मानने की बात कही है। पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले से एक वीडियो सामने आया है, जिसमें अखिल भारतीय इमाम संघ के एक स्थानीय नेता को कथित तौर पर धमकी देते देखा गया है। इस वीडियो में नेता कह रहे हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने कानून को रद्द नहीं किया, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।
उनके बयान में सड़कों को जाम करने, ट्रेनों को रोकने और पूरे देश को ठप करने की बात कही गई है। इस तरह के बयानों ने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि सामाजिक तनाव को भी बढ़ावा दिया है।
सुवेंदु अधिकारी का आरोप
पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस तरह की धमकियां देने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। सुवेंदु ने ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के साथ मंच साझा कर रही हैं, जो अब देश का कानून है। उन्होंने बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी चिंता जताई और कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका और जनता की उम्मीदें
सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से देश को एक निष्पक्ष और संतुलित फैसले की उम्मीद है। यह कानून अल्पसंख्यक समुदाय के लिए संवेदनशील माना जा रहा है, और इसका विरोध करने वाले इसे धार्मिक और सामाजिक अधिकारों पर हमला बता रहे हैं। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और पारदर्शी बनाने के लिए लाया गया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस विवाद को शांत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
सामाजिक सौहार्द की जरूरत
वक्फ संशोधन कानून को लेकर जिस तरह का तनाव और धमकी भरा माहौल बन रहा है, उसने सामाजिक सौहार्द पर सवाल खड़े किए हैं। यह समय है कि सभी पक्ष संयम बरतें और कानूनी प्रक्रिया पर भरोसा करें। धमकियों और हिंसक बयानों से न केवल कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है, बल्कि समाज में भी दरार पैदा हो सकती है। देश के नागरिकों को चाहिए कि वे इस मुद्दे पर संवाद और समझदारी से काम लें, ताकि शांति और एकता बनी रहे।