Ashadha Amavasya 2025: बार-बार आ रहीं जीवन में रुकावटें? ये 5 उपाय बदल सकते हैं आपकी किस्मत!

आषाढ़ अमावस्या 2025 : जो 25 जून को मनाई जाएगी, पितरों की कृपा पाने और पितृ दोष से मुक्ति का विशेष अवसर है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान, तर्पण, काले तिल का दीपक जलाना, भगवान विष्णु की पूजा और पितरों को भोजन दान जैसे उपाय किए जाते हैं।
Ashadha Amavasya 2025: बार-बार आ रहीं जीवन में रुकावटें? ये 5 उपाय बदल सकते हैं आपकी किस्मत!

हर महीने की अमावस्या अपने आप में खास होती है, लेकिन आषाढ़ अमावस्या का महत्व कुछ और ही है। यह केवल एक धार्मिक तिथि नहीं, बल्कि एक ऐसा पवित्र दिन है जब हम अपने पूर्वजों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। यह दिन पितृ दोष से मुक्ति और जीवन की बाधाओं को दूर करने का अनूठा अवसर लेकर आता है।

प्रसिद्ध ज्योतिषी के अनुसार, इस दिन किए गए कुछ सरल उपाय न केवल पितरों को तृप्त करते हैं, बल्कि हमारे जीवन में सुख-शांति भी लाते हैं। आइए, जानते हैं आषाढ़ अमावस्या 2025 की तारीख, महत्व और कुछ प्रभावी उपाय।

कब है आषाढ़ अमावस्या 2025?

इस साल आषाढ़ अमावस्या 25 जून 2025 को मनाई जाएगी। यह तिथि 24 जून 2025 की शाम 7 बजे शुरू होगी और 25 जून की शाम 4 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। चूंकि उदय तिथि 25 जून को है, इसलिए इसी दिन व्रत, पूजा और तर्पण के कार्य किए जाएंगे। इस दिन पितरों की शक्ति विशेष रूप से सक्रिय रहती है, जिससे उनकी कृपा प्राप्त करने का यह सबसे उत्तम समय माना जाता है।

क्यों खास है आषाढ़ अमावस्या?

हिंदू धर्म में पितरों का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि हमारे पूर्वज हमारी हर गतिविधि पर नजर रखते हैं और उनकी कृपा से ही जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। अगर आपको लगता है कि जीवन में बार-बार रुकावटें आ रही हैं, मानसिक अशांति बनी रहती है या कारण समझ नहीं आ रहा, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है।

आषाढ़ अमावस्या ऐसा दिन है जब आप पितरों को प्रसन्न कर उनके आशीर्वाद से इन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। इस दिन की पूजा और उपाय न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि मानसिक शांति और पारिवारिक सौहार्द के लिए भी लाभकारी हैं।

आषाढ़ अमावस्या के 5 प्रभावी उपाय

1. पवित्र स्नान और तर्पण

आषाढ़ अमावस्या के दिन प्रातःकाल किसी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद अपने पितरों को जल अर्पित करें और मन से उनकी स्मृति में प्रार्थना करें। यह उपाय पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है।

2. दीपदान और भोजन दान

इस दिन घर की दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाएं, जिसमें काले तिल मिलाए गए हों। साथ ही, गाय, कुत्ते, कौए और चिड़ियों को रोटी या चावल खिलाएं। मान्यता है कि इन जीवों के माध्यम से पितरों को भोजन पहुंचता है, जिससे वे तृप्त होते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं।

3. ब्रह्म मुहूर्त में विशेष पूजा

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर के आंगन या छत पर एक साफ सफेद कपड़ा बिछाएं। इस पर काले तिल और चावल रखें, फिर दीपक जलाएं। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ‘ॐ पितृदेवताभ्यः नमः’ मंत्र का 11 बार जाप करें। यह छोटा सा उपाय पितरों को प्रसन्न करने में बहुत प्रभावी है।

4. भगवान विष्णु की आराधना

आषाढ़ अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में स्थिरता और शांति आती है। तुलसी के पत्ते, पीले फूल और पंचामृत से भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही उनके 108 नामों का जाप करें। यह उपाय न केवल पितरों को प्रसन्न करता है, बल्कि आपके मन को भी शांति देता है।

5. पितरों की स्मृति और सम्मान

घर में रखी पितरों की तस्वीर को साफ करें, उस पर माला चढ़ाएं और शांत मन से उन्हें याद करें। यह कार्य न केवल आपकी श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि पितरों का आशीर्वाद आपके परिवार पर बना रहता है।

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