केतु ग्रह का प्रकोप: मानसिक अशांति और पारिवारिक कलह, इन उपायों से पाएं शांति!

Ketu Upay: जैसे ही राहु और केतु का नाम आता है लोग तुरंत ही चिंतित हो जाते हैं. दरसअल, कहा जाता है कि राहु और केतु स्वाभाव से एक दूसरे से काफी अलग-थलग हैं. इन दोनों ही छाया ग्रहों के प्रभाव भी अलग-अलग ही होते हैं.
केतु ग्रह का प्रकोप: मानसिक अशांति और पारिवारिक कलह, इन उपायों से पाएं शांति!
दून हॉराइज़न, नई दिल्ली

केतु एक रहस्मय एनर्जी का कारक भी होता है. कहा जाता है कि जो भी इसके प्रभाव में आ जाते हैं, वे अपना दुःख अपने भीतर ही समा के रखते हैं और किसी से भी कुछ कह नहीं पाते हैं. ये अंदर ही अंदर खुद में घुटते रहते हैं. इनकी एक आदत और होती है जो इन्हें डिप्रेशन में डाल सकती है वो ये है कि अगर ये किसी बारे में सोच लें, तो इतना ज्यादा विचार कर लेते हैं कि खुद के दिमाग को खराब कर लेते हैं. ये पुरानी से पुरानी बातों तक को याद करते हैं कि सामने वाले ने कब इनसे क्या कहा था.

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कहा जाता है कि केतु का प्रभाव जब भी शरीर के ऊपर पड़ता है तो व्यक्ति कई तरह के रोगों से ग्रसित हो जाता है. उस व्यक्ति को मानसिक तौर पर कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके आलावा उसके हाँथ-पैर में दर्द होना, नोच आना साथ ही पेट से जुड़ी दिक्कतें बढ़ जाती हैं जैसे कि अपच, कब्ज, ब्लोटिंग, बवासीर जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं.

वहीं, ट्रेवल करते समय दुर्घटना का शिकार होने का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए ऐसे लोगों को जितना हो सके उतना ज्यादा शांत रहना चाहिए.

इन उपायों से मिल सकता है लाभ

यदि कुंडली में केतु की दुर्दशा ख़राब है तो इनके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए गणपति जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए. श्री गणपति जी की विधि विधान से पूजा करने से केतु महराज खुश होते हैं और अपने आशीर्वाद को बनाए रखते हैं. गणपति जी के व्रत रखना चाहिए और उन्हें मोदक प्रसाद के रूप में चढ़ाना चाहिए.

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