कौन पहने लहसुनिया? जानिए केतु रत्न धारण करने के नियम और लाभ
वहीं, केतु के अशुभ प्रभाव से पारिवारिक जीवन में दिक्कतें,धन हानि जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में केतु के दुष्प्रभावों से बचने के लिए लहसुनिया रत्न पहनना लाभकारी माना गया है,लेकिन किसी भी रत्न को पहनने से ज्योतिषीय सलाह जरूर लेना चाहिए।
हरिश्चन्द्र विद्यालंकार द्वारा लिखी गई पुस्तक रत्न परिचय के अनुसार, जिन व्यक्तियों का जन्म सूर्य के मीन राशि में विराजमान रहने के दौरान हुआ हो यानी कि 15 मार्च से 14 अप्रैल के बीच जन्म हुआ हो। ऐसे जातक केतु के प्रकोप से बचने के लिए लहसुनिया धारण कर सकते हैं। आइए जानते हैं लहसुनिया रत्न पहनने की विधि और लाभ
लहसुनिया धारण करने के नियम :
रत्न ज्योतिष के अनुसार, 3,5 या 7 कैरेट का लहसुनिया रत्न धारण करना चाहिए।
इसे चांदी की अंगूठी में जड़वाकर पहन सकते हैं।
मान्यता है कि 2,4 ,11 और 13 रत्ती का लहसुनिया रत्न पहनने से बचना चाहिए।
इस रत्न को मध्यमा उंगली में पहनना शुभ फलदायी माना गया है।
लहसुनिया रत्न को गुरुवार या शनिवार के दिन धारण कर सकते हैं।
लहसुनिया पहनने के फायदे :
कुंडली में केतु ग्रह के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए लहसुनिया धारण करना लाभकारी माना गया है।
मान्यता है कि इस रत्न को पहनने से आकस्मिक दुर्घटना और गुप्त शत्रुओं से सुरक्षा होती है।
कहा जाता है कि लहसुनिया रत्न धारण करने से बुरी नजरों से रक्षा होती है। व्यक्ति का आध्यात्मिक कार्यों में मन लगता है।
रत्न ज्योतिष के अनुसार, लहसुनिया पहनने से करियर की बाधाएं दूर होती हैं, और प्रोफेशनल लाइफ में अपार सफलता मिलती है।
केतु के प्रकोप से जीवन में काफी संघर्ष झेलने पड़ते हैं। वहीं, शुभ प्रभाव से व्यक्ति का जीवन सुख-सुविधाों में व्यतीत होता है।