अनूपपुर: नर्मदा की जलधारा को बचाने के लिए यूकेलिप्ट्स के पेड़ों की होगी कटाई, लगाएंगे औषधियुक्त पौधे

अनूपपुर: नर्मदा की जलधारा को बचाने के लिए यूकेलिप्ट्स के पेड़ों की होगी कटाई, लगाएंगे औषधियुक्त पौधे


अनूपपुर, 10 मई (हि.स.)। अमरकंटक से उद्गमित हुई नर्मदा की सकरी हो रही जलधारा को बचाने और नर्मदा रीजन में जलस्तर बढ़ाने वनविभाग स्थानीय स्तर के पौधे लगाने की तैयारी कर रहा है। जिसमें वर्तमान में वनविभाग ने अमरकंटक में 110 हेक्टेयर भूमि पर लगे यूकेलिप्ट्स के पेड़ों की कटाई की जा चुकी है। आगामी जुलाई माह के दौरान पौधारोपण किए जाएंगे। इसके लिए वनविभाग ने 100 हेक्टेयर भूमि पर 87 हजार 500 पौधों के रोपण किए जाने का शासन को प्रस्ताव भेजा है। जिसकी स्वीकृति मिलने पर बारिश के मौसम में स्थानीय और औषधियुक्त पौधे लगाए जाएंगे। इनमें बांस, नीम, आंवला, साल, सौगान सहित अन्य औषधि वाले पौधे होंगे।

बताया जाता है कि नर्मदा कुंड सहित आसपास के क्षेत्रों में जलस्तर बढ़ाने वनविभाग अमरकंटक वनपरिक्षेत्र के 350 हेक्टेयर में लगी यूकेलिप्टस के पेड़ों की कटाई कर क्षेत्र में किए जाने वाले कार्य के आधार पर आगामी वर्ष में कार्यक्षेत्र का निर्धारण करते हुए अगले 8-10 वर्षों में सभी पेड़ों की कटाई कर पौधारोपण भी किया जाएगा। यूकेलिप्टस के पेड़ों की कटाई पोंडकी घाट के उपरी हिस्से से लेकर नर्मदा कुंड के आसपास के क्षेत्र और राजेन्द्रग्राम तक फैले नर्मदा रीजन को प्रस्तावित किया गया है। इसमें वनपरिक्षेत्र अमरकंटक में ही लगभग 95 हेक्टेयर रकबे में पौधारोपण प्रस्तावित है।

क्षेत्रीय एसडीओ मान सिंह मरावी ने बताया कि वनीय रिकार्ड के अनुसार वर्ष 1975 के बाद मप्र-छग अमरकंटक वनपरिक्षेत्र रीजन में लिप्टस के पौधों की रोपाई नहीं हुई है। लिप्टस के पेड़ पर्यावरण की दृष्टि से जल सोखने और खुद को हरा-भरा रखने वाले पौधे माने जाते हैं। इनके जड़ आसपास के जल का अधिक मात्रा में शोषण करते है। नर्मदा सहित आसपास के क्षेत्रों में यूकेलिप्ट्स और लेंटाना के पौधे से निकलने वाले तरल अम्ल आसपास कोई पौधा नहीं पनपे देते हैं। इससे वनीय क्षेत्र भी प्रभावित होते हैं। जबकि साल के पेड़ बारिश के दौरान जल को अवशोषित कर बाद में बूंद-बूंद स्त्रावित करते हैं। इससे लगातार जल का स्त्राव होने से जलस्तर में वृद्धि होगी।

एसडीओ ने बताया कि अमरकंटक में 350 हेक्टेयर भूमि पर लगे यूकेलिप्ट्स के पेड़ों की कटाई की योजना है। अब तक 110 हेक्टेयर पर लगे पेड़ों की कटाई किया गया है। शेष 240 हेक्टेयर है। इन पूरे रकबे पर लगे पेड़ों की कटाई में 9-10 वर्ष का समय लग जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष अमरकंटक के साधु-संतों व पर्यावरणविदें ने नर्मदा जलसंरक्षण व जड़ी बुटी के पेड़-पौधों को बचाने के प्रस्ताव रखे थे। जिस पर मुख्यमंत्री ने यूकेलिप्ट्स की कटाई और स्थानीय साल, बांस, आम सहित फलदार व औषधियुक्त पौधों के रोपण के निर्देश दिए थे। वनविभाग फेज-टू-फेज के रूप पेड़ों की कटाई करेगा। वहीं पौधारोपण कर सुरक्षा के लिए फेंसिंग करने की योजना बनाई है।

बताया जाता है कि वनविभाग इस वर्ष जितनी कटाई और पौधों की रोपण करने में सक्षम होंगे, आगामी वर्ष उसी के आधार पर रणनीति बनाते हुए कार्य पूरा कराया जाएगा। इसमें 350 हेक्टेयर के पेड़ों की कटाई में लगभग 9-10 वर्ष का समय लग जाएंगा। जिसका आगामी 15-20 सालों में नर्मदा के जलस्तर पर असर दिखेगा। वर्ष 2014-१५ के दौरान नर्मदा परिक्रमा के उपरांत एएसआई व ईएसआई देहरादूर और दिल्ली की संस्थाओं के किए गए सर्वेक्षण में सर्वे ऑफ इंडिया ने जंगलों के विकास में लिप्ट्स और लेंटाना के पौधों को बाधा माना और जड़ से हटाने पर अपनी राय रखी थी। साथ ही पूर्व के स्थानीय पौधों के रोपण का प्रस्ताव रखकर नर्मदा के जलसंरक्षण की बात कही थी। मैकल के इस क्षेत्र में साल के सर्वाधिक पेड़ थे, जिनकी अत्याधिक कटाई के कारण अब नर्मदा प्रभावित मानी जा रही है।

एसडीओ मान सिंह मरावी ने बताया कि अमरकंटक में 350 हेक्टेयर पर लगी यूके लिप्ट्स के पेड़ों की कटाई की योजना है। अब तक 110 हेक्टेयर की कटाई पूरी कर ली गई है। विभाग ने 100 हेक्टेयर पर पौधारोपण के प्रस्ताव शासन को भेजे हैं। जुलाई से रोपण किया जाना है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला

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