Haryana News: हरियाणा के कुम्हारों की बदलेगी किस्मत, मिट्टी से बनेगा सुनहरा भविष्य

Haryana News: हरियाणा की सैनी सरकार ने कुम्हारों के लिए बड़ा ऐलान किया। गुजरात मॉडल पर हाईटेक कुम्हार बनेंगे, हर गांव में 5 एकड़ जमीन मिलेगी। माटी कला बोर्ड सोलर चॉक, ट्रेनिंग और सब्सिडी लोन देगा। झज्जर में ट्रेनिंग सेंटर खुलेगा, मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा मिलेगा।
Haryana News: हरियाणा के कुम्हारों की बदलेगी किस्मत, मिट्टी से बनेगा सुनहरा भविष्य

Haryana News: हरियाणा की सैनी सरकार ने कुम्हार समुदाय के लिए एक नई उम्मीद की किरण जलाई है। मिट्टी के बर्तनों को बनाने वाले इन कारीगरों को अब पुराने ढर्रे से निकालकर आधुनिक तकनीक से जोड़ा जाएगा। गुजरात मॉडल की तर्ज पर हरियाणा में भी कुम्हारों को हाईटेक बनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है।

इसके लिए हर गांव में 5 एकड़ जमीन को संरक्षित करने का प्लान है, ताकि कुम्हारों को अपने हुनर को निखारने का पूरा मौका मिले। हरियाणा माटी कला बोर्ड और खादी ग्रामोद्योग कार्यालय ने इस दिशा में एक ठोस योजना तैयार की है, जो कुम्हारों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने का वादा करती है।

मिट्टी और हुनर का नया दौर

कुम्हारों के लिए यह योजना सिर्फ आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है। बोर्ड उन्हें मिट्टी और पैसों के साथ-साथ आधुनिक उपकरण और ट्रेनिंग भी देगा। अब पुराने चॉक की जगह सोलर और इलेक्ट्रिक चॉक इस्तेमाल होंगे। पहले जहां कुम्हार दीपावली के दीये, बच्चों की गुल्लक, पानी के मटके और चाय के कुल्हड़ तक सीमित थे, वहीं अब वे सजावटी सामान और रोजमर्रा की जरूरतों के बर्तन बनाकर अपनी कला को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकेंगे। यह बदलाव न सिर्फ उनकी आमदनी बढ़ाएगा, बल्कि मिट्टी के बर्तनों को फिर से घर-घर पहुंचाने में मदद करेगा।

गुजरात से प्रेरणा, हरियाणा में क्रांति

गुजरात ने पिछले एक दशक में अपने कुम्हारों को तकनीक से जोड़कर उनकी जिंदगी बदल दी है। वहां मिट्टी के बर्तनों का चलन फिर से वापस आया और कारीगरों को सम्मान के साथ आजीविका मिली। हरियाणा सरकार भी उसी राह पर चल पड़ी है। माटी कला बोर्ड ने फैसला किया है कि हर गांव में कुम्हारों के लिए 5 एकड़ जमीन तय की जाएगी।

अगर किसी गांव की मिट्टी उपयुक्त नहीं होगी, तो पड़ोसी गांव से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, सब्सिडी पर लोन और आधुनिक उपकरण भी दिए जाएंगे। झज्जर में बंद पड़ा ट्रेनिंग सेंटर फिर से शुरू होगा, जहां कुम्हारों को नई तकनीक सिखाई जाएगी।

कुम्हारों की पहचान और तैयारी

योजना को जमीन पर उतारने के लिए बोर्ड ने कमर कस ली है। जिलों में कुम्हारों की गिनती शुरू हो गई है और मिट्टी की जांच भी चल रही है। पहले चरण में कुरुक्षेत्र, झज्जर, हिसार और कैथल के 700 से ज्यादा कुम्हारों की सूची तैयार की गई है, जिनमें से 76 ने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन भी कर लिया है।

सभी जिलों के खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों से मिट्टी और कुम्हारों का ब्योरा मांगा गया है। केंद्र सरकार की एमएसएमई स्कीम के तहत 15 हजार रुपये की मुफ्त टूल किट, दो लाख का लोन और बाद में एक लाख का अतिरिक्त लोन भी मिलेगा। हरियाणा खादी बोर्ड 50 लाख तक की मदद देगा, जिसमें सामान्य वर्ग को 25% और महिलाओं व आरक्षित वर्ग को 35% सब्सिडी मिलेगी।

कुम्हारों का भविष्य उज्ज्वल

यह योजना कुम्हारों के लिए सिर्फ एक सरकारी स्कीम नहीं, बल्कि उनके सपनों को सच करने का जरिया है। मिट्टी से जुड़ा यह पारंपरिक पेशा अब आधुनिकता के रंग में रंगकर नई पहचान बनाएगा। हरियाणा के गांवों में कुम्हारों की मेहनत अब सिर्फ बर्तन नहीं, बल्कि एक बेहतर जिंदगी का आधार बनेगी। सरकार का यह कदम न सिर्फ कारीगरों को सशक्त करेगा, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल मिट्टी के बर्तनों को भी बढ़ावा देगा।

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