Haryana News : घर के अंदर चलता था लिंग जांच का खेल, बाहर खड़ी थी टीम - जानिए कैसे फंसे आरोपी

Haryana News : उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में स्वास्थ्य विभाग ने एक सनसनीखेज कार्रवाई करते हुए अवैध भ्रूण लिंग जांच के रैकेट का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह झज्जर और आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय था, जो गर्भवती महिलाओं की लिंग जांच कर मोटी रकम वसूलता था। स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने चतुराई से इस गिरोह के पांच सदस्यों को धर दबोचा, जबकि एक महिला आरोपी फरार हो गई। यह कार्रवाई न केवल कानून की जीत है, बल्कि समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
गुप्त सूचना ने खोली पोल
झज्जर जिला समुचित प्राधिकरण को गुप्त सूचना मिली थी कि बुलंदशहर में एक गिरोह अवैध रूप से भ्रूण लिंग जांच कर रहा है। इस सूचना के आधार पर एक विशेष टीम गठित की गई, जिसमें पीसीपीएनडीटी नोडल अधिकारी डॉ. संदीप कुमार, डॉ. बसंत कुमार दूबे, डॉ. बिनिका और विनोद कुमार शामिल थे। झज्जर पुलिस से महिला हेड कांस्टेबल रीना और दीपक भी इस अभियान का हिस्सा बने। टीम ने बुलंदशहर की पीसीपीएनडीटी टीम के साथ मिलकर योजना बनाई और जाल बिछाना शुरू किया।
चतुराई से बुना जाल
टीम ने गुप्त सूचक द्वारा दिए गए एजेंट प्रविंद्र के फोन नंबर पर संपर्क किया। एक फर्जी ग्राहक के पति बनकर बात की गई, जिसके बाद प्रविंद्र ने 28 हजार रुपये में लिंग जांच का सौदा तय किया। उसने 11 अप्रैल को बुलंदशहर के स्याना अड्डा पर आने को कहा। तय योजना के मुताबिक, टीम ने फर्जी ग्राहक की गाड़ी का पीछा शुरू किया। स्याना अड्डा पर प्रविंद्र ने फर्जी ग्राहक सोमवीर से 28 हजार रुपये लिए और दूसरा एजेंट अजय मौके पर पहुंचा। अजय ने फर्जी महिला ग्राहक को अपनी बाइक पर बिठाकर आवास विकास प्रथम कॉलोनी में एक घर ले गया।
घर में चल रहा था गैरकानूनी खेल
उस घर में एजेंट शिवम एक पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन लेकर पहुंचा। वहां मौजूद विवेक नामक व्यक्ति ने फर्जी ग्राहक का अल्ट्रासाउंड किया और गर्भ में लड़का होने की बात कही। इसके बाद अजय महिला ग्राहक को वापस स्याना अड्डा छोड़ने ले गया। वहां पहुंचते ही ग्राहक ने टीम को इशारा किया, जिसके बाद प्रविंद्र और अजय को मौके पर ही पकड़ लिया गया। टीम ने तुरंत उस घर पर छापा मारा, जहां अल्ट्रासाउंड हुआ था। वहां से शिवम और विवेक को भी हिरासत में लिया गया। इस दौरान 10 हजार रुपये और अल्ट्रासाउंड मशीन बरामद की गई।
मुख्य सरगना तक पहुंची टीम
हालांकि, इस अफरा-तफरी में किराए के मकान में रहने वाली महिला विशाखा शर्मा 18 हजार रुपये लेकर फरार हो गई। पूछताछ में विवेक ने खुलासा किया कि अल्ट्रासाउंड मशीन शिवम ने लाई थी, जो असल में अमित नामक व्यक्ति की थी। टीम ने विवेक की मदद से अमित को पास की एक जगह पर बुलाया और उसे भी गिरफ्तार कर लिया। अमित इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड निकला। सभी आरोपियों को पुलिस के हवाले कर दिया गया, और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। इस अपराध में 3 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।
सामाजिक जिम्मेदारी का सवाल
यह घटना हमें समाज में लैंगिक भेदभाव की गहरी जड़ों की ओर इशारा करती है। अवैध लिंग जांच जैसी गतिविधियां न केवल कानून का उल्लंघन हैं, बल्कि समाज में लड़कियों के प्रति भेदभाव को भी बढ़ावा देती हैं। स्वास्थ्य विभाग की इस कार्रवाई ने एक मजबूत संदेश दिया है कि ऐसे अपराधों को बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही, यह हमें जागरूकता और शिक्षा के महत्व की याद दिलाता है ताकि समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिले।
यह कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के समन्वय का शानदार उदाहरण है। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है। ऐसी गतिविधियों को पूरी तरह खत्म करने के लिए जागरूकता अभियान, कड़े कानून और समाज की भागीदारी जरूरी है। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसी कार्रवाइयां भविष्य में भी जारी रहेंगी, ताकि हम एक समान और सुरक्षित समाज की ओर बढ़ सकें।