जन्मतिथि: अर्जुन सिंह ने ''लाल सेना'' बनाकर छुड़ाए थे अंग्रेजों के छक्के, समाधि स्थल पर किया गया याद

जन्मतिथि: अर्जुन सिंह ने ''लाल सेना'' बनाकर छुड़ाए थे अंग्रेजों के छक्के, समाधि स्थल पर किया गया याद


जन्मतिथि: अर्जुन सिंह ने ''लाल सेना'' बनाकर छुड़ाए थे अंग्रेजों के छक्के, समाधि स्थल पर किया गया याद


जन्मतिथि: अर्जुन सिंह ने ''लाल सेना'' बनाकर छुड़ाए थे अंग्रेजों के छक्के, समाधि स्थल पर किया गया याद


जन्मतिथि: अर्जुन सिंह ने ''लाल सेना'' बनाकर छुड़ाए थे अंग्रेजों के छक्के, समाधि स्थल पर किया गया याद


- लाल सेना के कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया को भूलीं सरकारें

-22 मई को पुण्यतिथि पर होगा मुख्य कार्यक्रम

औरैया, 10 मई (हि. स.)। देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। महोत्सव जोर शोर से मन रहा है। सरकारें इसे खूब प्रमोट भी कर रही हैं। इसके बाद भी ऐसे कई महानायक हैं, जिन्होंने आज़ादी के आंदोलन के लिए अहम भूमिका निभाई और फिर भी उन्हें भुला दिया गया। अर्जुन सिंह भदौरिया ऐसे ही क्रांतिकारियों में से एक हैं। अर्जुन सिंह ने ''लाल सेना'' बनाकर अंग्रेजों को मुश्किल में डाल दिया था। ''लाल सेना'' के कमांडर बने अर्जुन सिंह भदौरिया ने रूस की तर्ज पर लाल सेना बनाई थी।

इतने बड़े क्रांतिकारी होने के बाद भी अर्जुन सिंह भदौरिया को पूरी तरह से भुला दिया गया। अर्जुन सिंह का आज जन्मदिवस है, लेकिन उनके समाधि स्थल के आसपास सफाई तक नहीं की गई।

चंबल फाउंडेशन प्रमुख क्रांतिकारी लेखक शाह आलम राना लाल सेना के कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के जन्म दिवस पर उनके जन्म स्थान बसरेहर के लुईया गांव पहुंचे। यहां कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के समाधि स्थल की साफ-सफाई तक नहीं हुई थी। शाह आलम ने ग्रामीणों के सहयोग से साफ-सफाई कराने के बाद लाल सेना के कमांडर का जन्म दिवस को समारोह के रूप में मनाया।

जन्म दिवस समारोह को संबोधित करते हुए शाह आलम राना ने कहा कि जहां सरकारें क्रांतिवीरों को भुलाने पर अमादा है वहीं जनता भी कम दोषी नहीं है। उन्होंने कहा कि कंपनीराज के खिलाफ कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया ने रूस की तर्ज पर लाल सेना का गठन किया था। कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के पौत्र सिद्दार्थ भदौरिया ने कहा कि लाल सेना ने सशस्त्र क्रांति के लिए अपने लड़ाकों को चंबल नदी के किनारे बीहड़ों में तोप से लेकर बंदूक चलाने का बाकायदा ट्रेनिंग दी। चंद्रोदय सिंह ने कहा कि अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान लाल सेना के रणबांकुरो की गुरिल्ला छापेमारी ने अंग्रेजीराज के होश उड़ा दिए। करो या मरो के आंदोलन में कमांडर को 44 साल की कैद हुई। अपने उसूलों के लिए लड़ते हुए वे लगभग 52 बार जेल गये। 1957, 1962 और 1977 में इटावा से तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए। अध्यक्षता हरीराम जाटव और संचालन डॉ. कमल कुमार कुशवाहा ने किया. पुष्पाजंलि समारोह में मोहित यादव, चंद्रवीर सिंह, मनोज चौहान, प्रेम चंद्र बाथम आदि ने भी विचार व्यक्त किया।

हिंदुस्थान समाचार / सुनील

Share this story