Dehradun : सीएम की प्राथमिकता को हकीकत में बदलेगा प्रशासन, वन पंचायतों को मिलेगी पहली बार आपदा मद की राहत

देहरादून से बड़ी खबर! जिलाधिकारी सविन बंसल मार्च में त्यूनी और चकराता के दुर्गम क्षेत्रों में 3 दिन रहकर जनसुनवाई और बहुउद्देशीय शिविर आयोजित करेंगे। कोटी कनासर में 200 वन पंचायतों का कॉन्क्लेव होगा, जहां पहली बार आपदा मद से वनाग्नि रोकथाम के लिए धनराशि दी जाएगी। हनोल मंदिर के मास्टर प्लान पर भी चर्चा होगी।
देहरादून : उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों तक विकास की किरण पहुंचाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री की प्राथमिकता को अब जिला प्रशासन हकीकत में बदलने जा रहा है। इसी कड़ी में जिलाधिकारी (डीएम) सविन बंसल मार्च के तीसरे सप्ताह में त्यूनी और चकराता जैसे दूरस्थ इलाकों में तीन दिन तक प्रवास करेंगे।
इस दौरान वे न सिर्फ लोगों की समस्याओं को सुनेंगे, बल्कि उनके समाधान के लिए बड़े पैमाने पर बहुउद्देशीय शिविर का आयोजन भी करेंगे। त्यूनी में यह शिविर आम जनता के लिए वरदान साबित होगा, जहां स्वास्थ्य जांच से लेकर पेंशन और प्रमाण पत्र जैसे जरूरी काम मौके पर ही निपटाए जाएंगे। डीएम का यह कदम दुर्गम क्षेत्रों के अंतिम व्यक्ति, बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।
इस प्रवास के दौरान कोटी कनासर में 200 नई वन पंचायतों का एक भव्य कॉन्क्लेव भी होगा। खास बात यह है कि जिला प्रशासन पहली बार आपदा मद से वन पंचायतों को वनाग्नि रोकथाम के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराएगा। इससे न केवल जंगलों को आग से बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि फायर वाचरों की क्षमता भी मजबूत होगी।
साथ ही, हनोल मंदिर परिसर में स्थानीय लोगों और पुरोहितों के साथ मंदिर के मास्टर प्लान और विस्तार पर चर्चा होगी। इस विमर्श में स्थानीय हितों को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि विकास के साथ-साथ परंपराओं का भी सम्मान हो। डीएम का यह क्षेत्र भ्रमण और जनसुनवाई का प्लान निश्चित रूप से लोगों के बीच विश्वास और उम्मीद जगाएगा।
यह पहली बार है जब कोई जिलाधिकारी इतने दुर्गम इलाकों में तीन दिन तक रुककर लोगों के बीच रहेगा। इस खास मौके पर बहुउद्देशीय शिविरों के जरिए प्रशासन जनता के करीब पहुंचेगा और उनकी शिकायतों का त्वरित समाधान करेगा। यह कदम न केवल प्रशासन की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि मुख्यमंत्री की उस सोच को भी मजबूत करता है, जिसमें हर कोने तक निवेश और सुविधाएं पहुंचाना लक्ष्य है। यह पहल उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बदलाव की नई शुरुआत हो सकती है।