Dehradun News : अप्रैल में ही दून में डेंगू की दस्तक, 13 दिन में सामने आये 15 डेंगू केस!

Dehradun News : देहरादून, उत्तराखंड की राजधानी, एक बार फिर डेंगू की चपेट में आता दिख रहा है। अप्रैल की शुरुआत में ही शहर के प्रमुख अस्पतालों में डेंगू के मामले सामने आए हैं, जिसने स्थानीय लोगों और चिकित्सकों को चिंता में डाल दिया है। श्रीमहंत इंदिरेश और ग्राफिक एरा अस्पताल में हुई जांच में 15 मरीजों में डेंगू वायरस की पुष्टि हुई है।
यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस खतरे से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। आइए, इस गंभीर मुद्दे को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि आम लोग इससे कैसे बच सकते हैं।
डेंगू का बढ़ता दायरा
आमतौर पर मानसून के मौसम में सक्रिय होने वाला डेंगू इस बार अप्रैल में ही देहरादून में दस्तक दे चुका है। श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल में 13 और ग्राफिक एरा अस्पताल में 2 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। ये मरीज तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, शरीर पर लाल चकत्ते, और मसूड़ों से खून बहने जैसी शिकायतों के साथ अस्पताल पहुंचे थे। चिकित्सकों ने एलाइजा जांच के जरिए इन मरीजों में डेंगू वायरस की मौजूदगी की पुष्टि की।
श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण जीत सिंह के अनुसार, “पिछले कुछ दिनों में डेंगू जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। इनमें पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों के लोग शामिल हैं। शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार, कमर दर्द, और उल्टी जैसी समस्याएं प्रमुख हैं।” यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि अप्रैल में डेंगू का प्रकोप असामान्य है और इसके पीछे जलवायु परिवर्तन और स्वच्छता की कमी जैसे कारक हो सकते हैं।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
देहरादून में डेंगू के 15 मामलों की पुष्टि होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। सूत्रों की मानें तो विभाग के अधिकारियों को इन मामलों की जानकारी तक नहीं है। यह लापरवाही न केवल चिंताजनक है, बल्कि शहरवासियों के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य संकट भी खड़ा कर सकती है।
पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े देखें तो देहरादून में डेंगू का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। साल 2019 में 4991 मामले और 6 मौतें दर्ज हुई थीं, जबकि 2023 में 1201 मामले और 13 मौतें हुईं। इस साल अब तक 37 मामले सामने आ चुके हैं, जो यह संकेत देता है कि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
अस्पतालों की स्थिति: जांच और इलाज में तेजी
श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल में 13 दिनों में 710 एलाइजा टेस्ट किए गए, जिनमें 13 मरीज डेंगू पॉजिटिव पाए गए। वहीं, ग्राफिक एरा अस्पताल में 12 दिनों में 50 टेस्ट हुए, जिनमें 2 मरीजों में वायरस की पुष्टि हुई। दोनों अस्पतालों ने डेंगू के इलाज के लिए विशेष इंतजाम किए हैं, लेकिन बढ़ते मामलों को देखते हुए और संसाधनों की जरूरत पड़ सकती है।
डेंगू से बचाव
डेंगू से बचाव के लिए जागरूकता और सावधानी बेहद जरूरी है। घर में पानी जमा न होने दें, क्योंकि मच्छर यहीं अंडे देते हैं। फ्रिज, कूलर, और गमलों में जमा पानी को नियमित रूप से साफ करें। साफ और ताजा भोजन करें, ताजे फल खाएं, और खूब पानी पिएं। इसके अलावा, मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी और रिपेलेंट का इस्तेमाल करें।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा, “हमने डेंगू से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रभावित क्षेत्रों में सर्वे कराया जाएगा और चिकित्सा इकाइयों में पर्याप्त इंतजाम किए जा रहे हैं।” हालांकि, जमीन पर इन तैयारियों का असर दिखना अभी बाकी है।
आगे की राह
देहरादून में डेंगू का बढ़ता खतरा एक चेतावनी है कि हमें स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर और सजग होना होगा। स्वास्थ्य विभाग को तुरंत कदम उठाने चाहिए, जैसे कि फॉगिंग, मच्छरों के प्रजनन स्थलों की सफाई, और जागरूकता अभियान। साथ ही, आम लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। छोटे-छोटे कदम, जैसे घर और आसपास की सफाई, डेंगू के खिलाफ इस लड़ाई में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।