Video : वायरल बयान के चलते मीडिया से रूबरू हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, खुद बताया क्या था मामला

बंशीधर भगत की गिनती उत्तराखंड के बड़े नेताओं में होती है. वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. वे जनता के बीच लोकप्रिय भी हैं
वायरल बयान के चलते मीडिया से रूबरू हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, खुद बताया क्या था मामला

देहरादून : अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर उत्तराखंड के हल्द्वानी में आयोजित एक समारोह में पूर्व कैबिनेट मंत्री और बीजेपी विधायक बंशीधर भगत ने भाषण के दौरान कुछ ऐसा कह दिया जो विपक्ष को रास नहीं आया और मामले ने धीरे धीरे तुल पकड़ लिया. 

उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं मां दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, भगवान विष्णु और शंकर पर कुछ ऐसा बोल दिया, जिसको लेकर कड़ी आपत्ति जताई गई है.  

बंशीधर भगत की गिनती उत्तराखंड के बड़े नेताओं में होती है. वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. वे जनता के बीच लोकप्रिय भी हैं

जनसंघ से जुड़े, जीत दर्ज कर बनाया रिकॉर्ड

नैनीताल जिले के भगत्यडा गांव में टीका राम भगत और तारा देवी के घर में 1 जनवरी 1950 को जन्मे बंशीधर भगत ने ग्राम पंचायत स्तर से अपनी राजनीति की शुरुआत की. 1975 में वे जनसंघ से जुड़े थे. वे एक ऐसे नेता रहे हैं जो राजनीति में कदम दर कदम आगे बढ़े हैं. 1984 में हल्द्वानी से लगे पनियाली गांव के प्रधान बनने से उनकी सक्रिय राजनीति की शुरुआत हुई. 1991 में पहली बार वह नैनीताल के विधायक बने.

उन्होंने सात बार चुनाव लड़ा और छह बार जीत दर्ज की. 2002 में वह एक बार हल्द्वानी विधानसभा सीट पर कांग्रेस की कद्दावर नेता डॉ इंदिरा हृदयेश से चुनाव हार गए थे. हालांकि अगले ही चुनाव में उन्होंने इंदिरा को हरा दिया. बंशीधर भगत वर्तमान में कालाढूंगी से विधायक हैं.

सियासी सफर

1984 – हल्द्वानी से सटे पनियाली गांव के ग्राम प्रधान बने.

1989 – अविभाजित नैनीताल-उधमसिंह नगर जिले के बीजेपी जिलाध्यक्ष रहे.

1996 – उत्तर प्रदेश सरकार में खाद्य, पर्वतीय विकास, वन विभाग राज्यमंत्री.

2000 – नवसृजित उत्तरांचल में कृषि, सहकारिता, दुग्ध और कई विभागों में कैबिनेट मंत्री हुए.

2020 – बीजेपी ने उत्तराखंड का प्रदेश अध्यक्ष बनाया.

2021 – शहरी विकास, आवास, खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री की जिम्मेदारी मिली.

पार्टी में बड़ा कद रखते हैं भगत

बंशीधर भगत उन चुनिंदा नेताओं में हैं, जिन्होंने गांव के प्रधान से राजनीति शुरू कर भाजपा जैसी पार्टी की प्रधानी पाई. उत्तराखंड के ताकतवर नेताओं में उनकी गिनती होती है. उनकी पहुँच उत्तराखंड विभाजन के पहले से ही रही है.

उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार में वे राज्यमंत्री रहे और फिर उत्तराखंड बनने के बाद बीजेपी की हर सरकार में कोई न कोई बड़ा मंत्रालय ही संंभाला.

पुराने नेता होने की वजह से उत्तराखंड की राजनीति में उनकी मजबूत पकड़ है. राजनीतिक समीकरण बनाने के मामले में उन्हें महारत हासिल है. उनका विवादित बयानों से नाता रहा है, लेकिन जनता के बीच लोकप्रियता भी है. 

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