ट्रंप की नरमी या कोई चाल? चीन से ‘बड़े समझौते’ की बात पर मचा हड़कंप

Tariff War : अमेरिका और चीन के बीच चल रहा टैरिफ युद्ध एक नया मोड़ लेता दिख रहा है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ एक बड़े व्यापार समझौते की उम्मीद जताई है। यह बयान तब आया है, जब दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण व्यापारिक रिश्तों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। आइए, इस खबर को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि ट्रंप की यह रणनीति क्या संदेश दे रही है।
ट्रंप का नया रुख
व्हाइट हाउस में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ मुलाकात के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “मुझे विश्वास है कि हम चीन के साथ एक बहुत अच्छा व्यापार समझौता करने जा रहे हैं।” यह बयान उस समय आया है, जब अमेरिका ने हाल ही में चीनी आयात पर 245% तक का भारी-भरकम टैरिफ लगाया है। ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि अमेरिका को यूरोपीय संघ या अन्य देशों के साथ व्यापारिक समझौते में ज्यादा परेशानी नहीं होगी, इसलिए वह जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहते। उनका यह आत्मविश्वास वैश्विक व्यापार की गतिशीलता को एक नई दिशा दे सकता है।
जॉर्जिया मेलोनी का समर्थन
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने भी ट्रंप के इस दृष्टिकोण का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वह पश्चिमी देशों को फिर से वैश्विक मंच पर मजबूत देखना चाहती हैं। मेलोनी का मानना है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच व्यापारिक समझौता निश्चित रूप से संभव है। इस मुलाकात में ट्रंप ने भविष्य में रोम की यात्रा का निमंत्रण भी स्वीकार किया, जहां वह यूरोपीय नेताओं के साथ और चर्चा कर सकते हैं। मेलोनी ने जोर देकर कहा कि अटलांटिक के दोनों किनारों के बीच मतभेदों को अब बातचीत के जरिए सुलझाने का समय आ गया है।
टैरिफ युद्ध की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ समय से अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध ने वैश्विक व्यापार को प्रभावित किया है। व्हाइट हाउस के अनुसार, अमेरिका ने चीनी निर्यात पर पहले 145% और अब 245% तक टैरिफ लगाया है। यह कदम चीन की जवाबी कार्रवाइयों के बाद उठाया गया। दूसरी ओर, चीन ने भी अमेरिकी आयात पर 125% टैरिफ लागू किया है। इस टैरिफ युद्ध ने दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर डाला है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को भी प्रभावित किया है।
चीन की प्रतिक्रिया
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि टैरिफ युद्ध की शुरुआत अमेरिका ने की थी। उन्होंने इसे “उचित और कानूनी” ठहराते हुए कहा कि चीन ने अपने हितों और अंतरराष्ट्रीय न्याय की रक्षा के लिए जवाबी कदम उठाए हैं। लिन ने यह भी स्पष्ट किया कि व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता। हालांकि, चीन इस युद्ध से न तो डरता है और न ही इसे बढ़ावा देना चाहता है। उन्होंने बातचीत के जरिए बाधाओं को दूर करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
क्या होगा भविष्य?
ट्रंप का यह बयान और चीन की सुलह की इच्छा वैश्विक व्यापार के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकती है। अगर दोनों देश समझौते की दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो यह न केवल उनकी अर्थव्यवस्थाओं के लिए, बल्कि वैश्विक बाजारों के लिए भी राहत की खबर होगी। हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि क्या यह बयानबाजी हकीकत में बदल पाएगी या फिर टैरिफ युद्ध का यह दौर और लंबा खिंचेगा।