PM Kisan Yojana : सरकार ने रोकी 20वीं किस्त, जानिए किन किसानों को नहीं मिलेगा पैसा और क्यों?

PM Kisan Yojana : देश के करोड़ों किसानों के लिए आर्थिक सहारा बन चुकी PM Kisan Yojana अब मध्य प्रदेश में नए नियमों के साथ लागू हो रही है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार हर साल पात्र किसानों को 6000 रुपये की आर्थिक सहायता सीधे उनके बैंक खातों में भेजती है, जबकि मध्य प्रदेश सरकार भी अपने बजट से अतिरिक्त 6000 रुपये की मदद देती है। इस तरह, राज्य के किसानों को हर साल कुल 12000 रुपये की सहायता मिलती रही है।
लेकिन अब एक नया नियम लागू होने से किसानों के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि जो किसान पराली जलाएंगे, उन्हें इस योजना का लाभ एक साल तक नहीं मिलेगा। यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाया गया एक सख्त कदम है, जो किसानों को जिम्मेदार और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने का प्रयास करता है।
मध्य प्रदेश कैबिनेट की हालिया बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि पराली जलाने वाले किसानों को PM Kisan Yojana की 20वीं किस्त से वंचित किया जाएगा। इसके साथ ही, ऐसे किसानों की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने की सुविधा भी एक साल के लिए बंद कर दी जाएगी।
सरकार का यह कदम प्रदूषण की रोकथाम और पर्यावरण की रक्षा के लिए है। पराली जलाने से न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता पर भी बुरा असर पड़ता है, जो लंबे समय में खेती के लिए नुकसानदायक है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह कदम किसानों को सजा देने का इरादा नहीं रखता, बल्कि उन्हें पर्यावरण के प्रति जागरूक और जिम्मेदार बनाने का प्रयास है।
पराली जलाने का मुद्दा लंबे समय से पर्यावरणविदों और नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय रहा है। हर साल सर्दियों के मौसम में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब होती है और कई शहरों में स्मॉग की स्थिति बन जाती है। मध्य प्रदेश सरकार का यह निर्णय न केवल किसानों को वैकल्पिक तरीकों की ओर प्रेरित करेगा, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसानों को पराली प्रबंधन के लिए जागरूक करने और तकनीकी सहायता प्रदान करने की दिशा में भी काम किया जाएगा।
इसके अलावा, कैबिनेट बैठक में सरकारी कर्मचारियों के लिए भी कई अहम फैसले लिए गए। राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए नई स्थानांतरण नीति को मंजूरी दी गई है, जो कार्यप्रणाली को और सुचारू बनाएगी। साथ ही, कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है, जिससे यह अब केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर हो गया है। ये फैसले जहां एक ओर कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आएंगे, वहीं दूसरी ओर किसानों के लिए नए नियम कुछ समय के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम पर्यावरण और किसानों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस नियम का पालन कितनी सख्ती से होता है और किसान इसे कैसे अपनाते हैं। सरकार की ओर से पराली प्रबंधन के लिए तकनीकी और आर्थिक सहायता प्रदान करने की योजना भी इस दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकती है। फिलहाल, किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे पराली जलाने से बचें और सरकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी रुकावट के प्राप्त करें।