Cheque Bounce : अगर चेक बाउंस हो जाए तो क्या करें? जानिए क्या कहता है कानून

Cheque Bounce : बैंकिंग की दुनिया में चेक पैसे के लेन-देन का सबसे पुराना और भरोसेमंद तरीका माना जाता है। चाहे बिजनेस हो, किराए का भुगतान हो, या कोई निजी लेन-देन, चेक का इस्तेमाल हर जगह होता है। लेकिन क्या हो अगर आपका दिया हुआ चेक बाउंस हो जाए? जी हां, चेक बाउंस एक ऐसी समस्या है जो न केवल आपकी जेब पर भारी पड़ सकती है, बल्कि कानूनी झंझट भी खड़ा कर सकती है।
आइए, इस लेख में हम चेक बाउंस के कारण, इसके कानूनी परिणाम, और इससे बचने के उपायों को आसान और रोचक तरीके से समझते हैं ताकि आप भविष्य में ऐसी परेशानियों से बच सकें।
चेक बाउंस होने का सबसे बड़ा कारण है खाते में पर्याप्त राशि का न होना। मान लीजिए, आपने किसी को 50,000 रुपये का चेक दिया, लेकिन आपके खाते में सिर्फ 20,000 रुपये हैं। ऐसी स्थिति में बैंक चेक को क्लीयर नहीं कर पाता, और यह बाउंस हो जाता है।
इसके अलावा, कई बार छोटी-छोटी गलतियां भी चेक बाउंस का कारण बनती हैं, जैसे सिग्नेचर का मिलान न होना, चेक पर गलत तारीख, या ओवरराइटिंग। ये गलतियां भले ही छोटी लगें, लेकिन इनका नतीजा बड़ा हो सकता है। इसलिए चेक भरते समय हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि ऐसी परेशानियों से बचा जा सके।
जब चेक बाउंस होता है, तो बैंक उस चेक से जुड़ी राशि का भुगतान करने से इनकार कर देता है। इसके बाद बैंक चेक लेने वाले को एक रसीद देता है, जिसमें बाउंस होने का कारण बताया जाता है। फिर यह रसीद चेक देने वाले को नोटिस के जरिए भेजी जाती है। अगर चेक देने वाला 30 दिनों के अंदर भुगतान नहीं करता, तो चेक लेने वाला कानूनी नोटिस भेज सकता है।
यह नोटिस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत भेजा जाता है, जो चेक बाउंस को गंभीर अपराध मानता है। कानूनी नोटिस मिलने के बाद चेक देने वाले को 15 दिन का समय मिलता है। अगर वह इस दौरान जवाब नहीं देता, तो मामला कोर्ट में जा सकता है।
चेक बाउंस के मामले में भारत में कड़े कानूनी प्रावधान हैं। धारा 138 के तहत चेक बाउंस को दंडनीय अपराध माना गया है, जिसमें दो साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। जुर्माना चेक की राशि से दोगुना तक हो सकता है। इसके अलावा, बैंक भी चेक बाउंस होने पर पेनल्टी वसूलता है, जो चेक देने वाले के खाते से काट ली जाती है। कोर्ट में मामला जाने पर फैसला जज के विवेक पर निर्भर करता है। कई बार चेक लेने वाले को ब्याज भी मिल सकता है। इसलिए चेक बाउंस की स्थिति को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
चेक की वैधता भी एक अहम पहलू है। किसी भी चेक को जारी होने की तारीख से तीन महीने के अंदर बैंक में जमा कराना जरूरी होता है। अगर यह समय सीमा निकल जाए, तो चेक अमान्य हो जाता है और उसे कैश नहीं किया जा सकता। इसीलिए चेक लेने वाले को समय रहते इसे जमा करना चाहिए।
चेक बाउंस से बचने के लिए कुछ आसान उपाय हैं, जैसे चेक देने से पहले खाते में पर्याप्त बैलेंस सुनिश्चित करना, सिग्नेचर और तारीख को ध्यान से चेक करना, और चेक पर कोई कटिंग या ओवरराइटिंग न करना। ये छोटी-छोटी सावधानियां आपको बड़े कानूनी और वित्तीय नुकसान से बचा सकती हैं।
चेक बाउंस की समस्या से निपटने के लिए जागरूकता और सावधानी सबसे जरूरी है। अगर आप चेक का इस्तेमाल करते हैं, तो इसके नियमों और कानूनी पहलुओं को समझना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।